फेल नहीं हुआ है चंद्रयान 2, इसका ऑर्बिटर 1 साल तक चांद पर करेगा शोध

चंद्रयान 2

PC: InToday

चंद्रयान फेल नहीं हुआ है। हमारा विक्रम से सिर्फ संपर्क टूटा है। इसरो के वैज्ञानिक लगातार संपर्क बनाने की कोशिश करने में लगे हुए है। दरअसल, कल रात चंद्रयान 2 के चाँद पर उतरते समय विक्रम यानि लैंडर जो चांद की सतह पर उतरने जा रहा था तभी मात्र 2.1 किलोमीटर पहले उसका इसरो से संपर्क टूट गया। अब वैज्ञानिक उसके डाटा का विश्‍लेषण करने में जुटे हैं। लैंडर से टूटे संपर्क टूटने के बाद इसरो टीम समेत पूरे देश में मायूसी छा गयी कि ये मिशन फेल हो गया है परन्तु ये मिशन फेल नही हुआ है। भले ही विक्रम लैंडर का संपर्क वैज्ञानिकों से टूट गया हो, लेकिन चांद की कक्षा पर मौजूद चंद्रयान 2 ऑर्बिटर पूरे एक साल तक चांद पर शोध करेगा और उसके रहस्‍यों पर से पर्दा हटाएगा।

भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास तक चंद्रयान 2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर को पहुंचाकर इतिहास रचा है और ऐसा करने वाला भारत पहले देश बना है। इसे हमें एक सफलता की तरह देखना चाहिए। यह ऑर्बिटर चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से मिली जानकारियों को धरती पर वैज्ञानिकों के पास भेजेगा। हालांकि, अभी विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया है लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने क्रैश होने जैसी आशंका नहीं जताई है, उनका कहना है कि फिलहाल डाटा का विश्‍लेषण किया जा रहा है। चंद्रयान 2 मिशन का 95 फीसदी पेलोड अपने आवश्यक गति से काम कर रहा है, इसका मतलब स्पष्ट है कि ऑर्बिटर के सभी उपकरण सुचारू रूप से काम कर रहे हैं।

बता दें कि चंद्रयान 2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। फिलहाल, लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर से उम्मीदें अभी कायम हैं। ऑर्बिटर से लैंडर-रोवर दो सिंतबर को अलग हुआ था। ऑर्बिटर इस समय चांद से करीब 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है। 2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर यहां कई अहम जिम्मेदारियों को अंजाम देगा। ऑर्बिटर बेंगलुरु में स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आइएसडीएन) से संपर्क में रहेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं लैंडर और रोवर, चांद पर केवल एक दिन यानि पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करेगा। ऑर्बिटर के साथ लगे सभी 8 पेलोड के अलग-अलग काम हैं।

पहले पेलोड के जरिए चांद की सतह का नक्शा तैयार किया जाएगा, जो चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने में मदद करेगा।

दूसरे पेलोड में लगे ओर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरे से ही चंद्रमा की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेगा।

तीसरे पेलोड से चांद पर मैग्नीशियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाएगा।

चौथे पेलोड में लगे सोलर एक्स रे मोनिटर से सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता को मापी जाएगी।

पांचवे पेलोड से अभी भी चांद के बाहरी वातावरण को स्कैन किया जायेगा।

छठा पेलोड चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी की खोज करने में मदद करेगा।

सातवां पेलोड दक्षिणी ध्रुव पर खनिजों के साथ-साथ पानी का भी पता लगाएगा।

आठवां पेलोड लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग से संबंधित था जो चंद्र आयनमंडल में इलेक्ट्रॉन घनत्व के अस्थायी विकास का अध्ययन करने वाला था।

इसका मतलब स्पष्ट है भारत का चंद्रयान 2 अभी जारी है और जल्द ही इसरो वैज्ञानिक चाँद से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं। जब इसरो ने कहा कि मिशन सुचारू रूप से चल रहा हो लेकिन विक्रम के सही तरीके से लैंड न कर पाने की वजह से संपर्क टूट गया है परन्तु उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है।

ऐसे में जो भी यह कह रहे हैं कि भारत ने चंद्रयान 2 मिशन पर लगभग 900 करोड़ रुपये बर्बाद किये हैं तो वो ये जान लें कि भारत का ये मिशन सफल हुआ है फेल नहीं।

बता दें कि विक्रम लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग न होने से निराश वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, देश आप पर गर्व करता है, सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करें, हौसला रखें।‘ प्रधानमंत्री की बातें सही भी हैं और अब इसरो ने गगनयान मिशन की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के चयन का पहला चरण इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में पूरा भी हो चुका है।

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