चंद्रयान 3: जापान के JAXA के साथ बड़े मून मिशन की तैयारी में इसरो

इसरो

(PC: Firstpost)

इसरो आने वाले समय में एक और मिशन के लिए पूरी तैयार है – चंद्रयान 3। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इसरो का अगला मिशन और भी बड़ा और बेहतर होने वाला है। इसरो के अगले चंद्र अभियान में शायद चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र से कुछ सैम्पल भी वापिस लाये जा सकते हैं। इसके लिए, इसरो जापान की स्पेस एजेंसी जैक्सा, यानि जापानी अन्तरिक्ष अन्वेषन संस्था के साथ संधि करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसरो द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘ISRO और JAXA के वैज्ञानिक चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध करने के लिए एक संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम करने की संभावना पर स्टडी कर रहे हैं।’

हाल ही में जापान के जाक्सा ने क्षुद्रग्रह पर अपने हायाबुसा मिशन-2 को सफलतापूर्वक उतारा था। अन्तरिक्ष विज्ञान में ये जापान की प्रतिबद्धता को प्रत्यक्ष रूप से प्रमाणित करता है। इस संयुक्त मिशन को 2024 में पूरा किया जाएगा, जो 2022 में इसरो के पहले मानव स्पेस मिशन के बाद सामने आएगा। इस संयुक्त मिशन के बारे में 2017 में ही संकेत मिलने शुरू हो चुके थे, जब बेंगलुरु में एक मल्टी स्पेस एजेंसी बैठक आयोजित हुई थी। ये पीएम मोदी की 2018 में जापान यात्रा के दौरान दोनों सरकारों के बीच की बातचीत का भी हिस्सा था।

यहाँ पर ये बात गौर करने वाली है कि चंद्रमा पर स्थित विशाल गड्ढो में जमा हुआ पानी पाये जाने का अंदेशा है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पर प्रत्यक्ष रूप से सूर्य की किरणें नहीं पहुँच पाती। एक रिपोर्ट के अनुसार इस संयुक्त मिशन के अंतर्गत एक मानवरहित रोवर ऐसे क्षेत्रों का न केवल दौरा करेगा, अपितु चंद्रमा पर पानी खोजने का कार्य भी करेगा। ये खबर एक जापानी मीडिया आउटलेट द्वारा छापी गई थी, जिसमें कहा गया था कि इस रोवर को विकसित करने और रॉकेट को लॉंच करने की ज़िम्मेदारी जापान की होगी, जबकि मिशन के लिए उक्त लैंडर इसरो विकसित करेगा। इस मिशन को जापान का एच3 लॉंच वाहन प्रक्षेपित करेगा, जो अभी जापान में विकसित हो रहा है।

बता दें कि यह लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा, जहां पानी पाने की संभावना ज़्यादा है। यह रोवर फिर चंद्रमा की सतह पर 500 स्क्वेयर मीटर के क्षेत्र में ओनबोर्ड ईक्विपमेंट के जरिये पानी ढूँढने का प्रयास करेगा। JAXA के अभियंता ताकेशी होशिनों ने कहा, “हम विश्व में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी की उपलब्धता की पुष्टि करना चाहते हैं”। उन्होंंने आगे कहा, “चंद्रमा पर पानी ढूँढने से मानवता का न केवल दायरा बढ़ेगा अपितु चंद्रमा का भ्रमण करना और भी रोचक होगा”।

भारत का चंद्रयान 2 मिशन काफी हद तक सफल रहा है। दुर्भाग्यवश उसके लैंडर विक्रम का सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने से पहले ही ओर्बिटर से संपर्क टूट गया। अब इसरो और जैक्सा अपने संयुक्त चंद्र मिशन में एक स्मूथ ल्यूनर लैंडिंग पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे। ये न केवल भारत और जापान के लिए, अपितु पूरे विश्व के लिए चंद्रमा पर मानव सक्रियता के द्वार खोल सकता है। भारत पहले ही विश्व के अग्रणी स्पेस शक्तियों में से एक के रूप में उभर कर सामने आया है, और चंद्रयान 2 मिशन के 95% यथावत रहने और चंद्रयान 3 के प्रस्तावित मिशन से उसका कद आने वाले समय में बढ्ने ही वाला है।

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