कुपोषण के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की नई पहल, सभी मंत्री व अधिकारी लेंगे कुपोषित बच्चों को गोद

कुपोषण

PC: up.org

जिस प्रकार से हम एक मजबूत मकान के लिए मजबूत नींव तैयार करते हैं, ठीक उसी प्रकार एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए देश में स्वस्थ व पोषित बचपन तैयार करने की जरूरत है। पीएम मोदी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। इसलिए वे कुपोषण को भारत से जड़ से खत्म करना चाहते हैं। बीते सालों में उन्होंने इस क्षेत्र में काफी सुधार भी किया है और आगे भी इस दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसलिए मोदी सरकार ने बच्चों और माताओं को संतुलित आहार और पोषण पर विशेष ध्यान दिया है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार यानी 1 अगस्त, 2019 से शुरू हुए पोषण अभियान का समर्थन करने का लोगों से अपील की। इस साल सितंबर महीने को ‘पोषण माह’ #PoshanMaah2019 के रूप में मनाया जा रहा है।

इसी कड़ी में उत्तराखंड में भाजपा शासित सरकार ने कुपोषण को खत्म करने का एक अनोखा तरीका अपनाया है। दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने फैसला किया है कि सरकार के सभी मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ेंगे। इसके तहत सभी मंत्री और अधिकारी एक-एक कुपोषित बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएंगे। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने सचिवालय के 94 अफसरों को इस कार्य में लगाया है। मालूम हो कि उत्तराखंड में 1600 अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है।

इस फैसले पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कहा- ”कुपोषण से बच्चों को बचाने के लिए सबसे जरूरी यह है कि नवजात बच्चे को जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान कराया जाए। इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। अभी बच्चे के जन्म के पहले घंटे में स्तनपान का आंकड़ा 28 प्रतिशत है। नवजात बच्चे को छह माह तक अनिवार्य रूप से स्तनपान कराया जाना चाहिए। छह माह से एक साल तक बच्चे को दिन में तीन बार पुष्टाहार दिया जाना चाहिए। इस बारे में लोगों को जानकारी कम होने के कारण ही संभवतया दो वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण का प्रतिशत बढ़ रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल गरीब बच्चे ही कुपोषित हैं। सही जानकारी न होने से बच्चों को पुष्टाहार नहीं दिया जाता। लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार की जरूरत है। इसके लिए तीन सितंबर से व्यापक अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं की जांच कर उन्हें भी पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। अब एनीमिक गर्भवती महिलाओं को लेकर विस्तृत योजना बनाई जाएगी।”

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय की सचिव ने आगे कहा- ”सबसे पहले हम अतिकुपोषित बच्चों को उस दायरे से निकालेंगे। इसके लिए सभी मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी बच्चों को गोद लेंगे। यह अभियान पूरे एक महीने तक चलेगा।”

उत्तराखंड सरकार की इस पहल से राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या कम होगी। यह पीएम मोदी के कुपोषण मुक्त भारत के कदम में सराहनीय पहल है। भाजपा प्रशासित सभी राज्यों में मुख्यमंत्रियों ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड, असम, गुजरात और मणिपुर में व्यापक स्तर पर कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाई जा रही है। इसके लिए पीएम मोदी ने सभी को ट्वीट कर अपील भी किया था।

 

 

ऐसे में सीएम त्रिवेंद्र रावत ने सबसे कुपोषण के खिलाफ लड़ने के लिए सबसे अनोखा तरीका अपनाया है। इस अभियान के तहत उनके सभी मंत्री व अधिकारी कुपोषित बच्चों के परिवार से सीधे संपर्क में रहेंगे और पोषण मुहैया कराएंगे। जिससे जल्द से जल्द राज्य में कुपोषण का खात्मा हो सकेगा। इस तरह से भाजपा प्रशासित केंद्र व राज्य सरकारों के एकजुट अभियान से कुपोषण जल्द ही देश से खत्म हो जाएगा। जरूरत है कुछ ऐसा ही कदम हर राज्य में वहां की सरकार लें जिससे अखिल भारतीय स्तर पर कुपोषण का खात्मा हो सके।वें

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