पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपने अमेरिकी दौरे को लेकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहे हैं। वे शनिवार दोपहर को ही यहां पहुंच गए हैं। अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ अब तक के सबसे बड़े सम्मेलन ‘हाऊडी मोदी’ में हिस्सा लेना हो, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ लगातार दो बैठकों में हिस्सा लेना हो, यूएस की सबसे बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक करना हो, या फिर 7.5 बिलियन डॉलर की एक एनर्जी डील पर हस्ताक्षर करना हो, पीएम मोदी का शेड्यूल इस बार काफी व्यस्त है और यह दौरा भारत के लिए काफी हितकारी भी साबित होने वाला है।
परंतु इन सबके पीछे एक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिसका नाम बहुत ही कम लोगों को पता होगा। इन्ही के कारण विश्व के सबसे शक्तिशाली लोकतन्त्र के राष्ट्रपति न केवल पीएम मोदी से मिलने को आतुर हैं, बल्कि उनके सम्मान में आयोजित किए जा रहे ‘हाऊडी मोदी’ सम्मेलन में हिस्सा भी लेंगे। इस शख्स का नाम है हर्षवर्धन श्रृंगला, जो वर्तमान में अमेरिका में स्थित भारत के राजदूत के पद पर तैनात है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक करने वाले श्री हर्षवर्धन श्रृंगला वर्ष 1984 से ही भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत हैं। वरिष्ठ अधिकारी हों या कनिष्ठ, सभी की दृष्टि में श्रृंगला एक ऐसे अफसर हैं, जो स्पष्ट विचारों और बातों में अटूट विश्वास करते हैं। इन्होंने आर्थिक कूटनीति पर विभिन्न प्रकार के शोधपत्र प्रकाशित करवाए हैं और इसी से संबन्धित कई विषयों का अध्ययन भी किया है। ये भारत बांग्लादेश के सम्बन्धों पर बहुत गहन ज्ञान रखते हैं।
यूएसए में अमेरिकी राजदूत के तौर पर तैनात होने से पहले हर्षवर्धन श्रृंगला बांग्लादेश में भारत के भी हाई कमिश्नर रह चुके हैं। बहरामपुर से भेरामारा के इंटरकनेक्शन द्वारा भारत से बांग्लादेश तक 500 MW की अतिरिक्त बिजली आपूर्ति हो, या फिर अखौरा से अगरतला तक रेल लिंक के बांग्लादेशी हिस्से का निर्माण पूरा कराना हो, ये सभी काम इनके कार्यकाल में ही पूरे हुए हैं।
बतौर बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव एवं म्यांमार के मामलों के संयुक्त सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 2011-13 के बीच भारत और बांग्लादेश के बीच 1974 में की भूमि सीमा समझौते के अंतर्गत तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे को सुनिश्चित कराया था। हालांकि इस समझौते को 2015 में ही संसद में पारित कराया गया था लेकिन जब पीएम मोदी ने जून 2015 में ढाका का दौरा, तब जाकर इस पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हस्ताक्षर किया। इस समझौते पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के सम्बन्धों में काफी सुधार आया है।
इसके अलावा श्री हर्षवर्धन श्रृंगला थाईलैंड में भी भारत के राजदूत रह चुके हैं। इन्होंने यूएन में भारतीय मिशन, यूनेस्को, और वियतनाम, इज़राएल एवं दक्षिण अफ्रीका में स्थित विभिन्न भारतीय मिशन में अहम पद भी संभाले हैं।
भले ही ‘हाऊडी मोदी’ सम्मेलन का आयोजन टेक्सास इंडिया फोरम कर रहा हो लेकिन इसके क्रियान्वयन में अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास, विशेषकर भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला का बहुत बड़ा हाथ रहा है। यह सम्मेलन यूएस में स्थित भारतीय अमेरिकी समुदाय का सबसे बड़ा सम्मेलन है। जिसके लिए अभी से 50000 से ज़्यादा लोगों ने साइनअप कर लिया है। यह 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर एवं 2015 के सैन जोस में आयोजित इवेंट्स से भी बड़ा है। जहां मोदी ने पहले अमेरिका में स्थित भारतीय अमेरिकियों को संबोधित किया था।
यही नहीं, हाऊडी मोदी सम्मेलन में कई अमेरिकी राजनेता भी उपस्थित रहेंगे, जिनमें प्रमुख रूप से स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी शामिल हैं। इससे सिद्ध होता है कि भारतीय समुदाय को अमेरिका में कितना सम्मान दिया जाता है, और उनकी पहुँच कहाँ तक है। कभी जिस देश में नरेंद्र मोदी को गुजरात के दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए घुसने नहीं दिया गया था, वहाँ अब उन्हे न सिर्फ आमंत्रित किया जाता है, बल्कि उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति भी आते हैं।
इससे पहले भी नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 16 अहम कंपनियों के साथ एक बैठक की थी। इन कंपनियों में बेकर ह्यूज़, शेनियर एनर्जी, एक्ज़ोनमोबिल, ल्योंडेलबेसेल इंडस्ट्रीज़, श्लूम्बर्जर एवं टेलूरीयन इंक इत्यादि शामिल हैं। इसके तुरंत बाद, भारत द्वारा संचालित पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ने टेलूरीयन इंक से के लुईसियाना में स्थित ड्रिफ्टवुड प्रोजेक्ट के द्वारा प्रतिवर्ष 5 मिलियन टन लिक्विफाइड नेचुरल गैस की आपूर्ति के लिए हस्ताक्षर किया है।
लाइवमिंट से बातचीत के दौरान भारतीय दूतावास से जुड़े कुछ सूत्रों के अनुसार, “इस सम्मेलन का आयोजन और इसकी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राजदूत की प्रमुख भूमिका रही है। निस्संदेह पीएमओ और विदेश मंत्रालय के कार्यालय से इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, पर इन सभी दिशानिर्देशों का अक्षरश: पालन करना और इसकी सफलता सुनिश्चित करने में अमेरिका में स्थित भारतीय राजदूत का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है।”।
यहीं नहीं, पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच दो लगातार होने वाली बैठकों के आयोजन के पीछे भी श्री हर्षवर्धन श्रृंगला की मेहनत का ही हाथ है। 24 सितंबर को होने वाली यूएन की आम सभा से पहले पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच लगातार दूसरी बैठक का प्रबंध भी अमेरिकी राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला की मेहनत के कारण ही संभव हो पाया है। इसके अलावा नरेंद्र मोदी 25 सितंबर को अमेरिका के 45 यूएस कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक भी करेंगे। जिसमें बैंक ऑफ अमेरिका, कोका कोला, डेलोइट, आईबीएम, सिस्को, जेपीमॉर्गन एंड चेस, लॉकहीड मार्टिन, मास्टरकार्ड, माइक्रोसॉफ्ट एवं क्वालकॉम टेक्नोलॉजी जैसी नामचीन कंपनियां शामिल होगीं। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत में इनके निवेश को और बढ़ावा देना होगा। वित्त मंत्रालय द्वारा कॉरपोरेट जगत को भारी राहत मिलने के बाद पीएम मोदी के इन अहम बैठकों को जिस तरह से हर्षवर्धन श्रृंगला ने सुनिश्चित कराया, उसे भारतीय कूटनीति की विजय कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।