हरियाणा में खुद को बचाने के लिए हुड्डा के सामने झुकी कांग्रेस, अशोक तंवर की छुट्टी

हरियाणा भूपेंद्र सिंह हुड्डा

‘बीजेपी के सामने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा किसी का सिक्का नहीं चल पाएगा’, ये बात हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने बहुत पहले कही थी और अब ऐसा लगता है कांग्रेस पार्टी को ये बात समझ आ गयी है। यही वजह है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आगे कांग्रेस पार्टी को झुकना पड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को इसकी कमान सौंपी है। इसके साथ ही हुड्डा को विधायक दल का नेता नियुक्त करने के साथ हुड्डा को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष भी बनाया है। ये बदलाव यूं ही नहीं किये गये हैं, इसके पीछे की वजह राज्य में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने की है।

दरअसल, यह घोषणा कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने की। उन्होंने घोषणा करते वक्त कहा कि, कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस की नई अध्‍यक्ष होंगी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और कांग्रेस विधायक दल के नेता होंगे। यहां शैलजा की नियक्ति कांग्रेस नेता अशोक तंवर के लिए बड़ा झटका है जिन्हें राहुल गांधी की वजह से यह पद मिला था और पिछले 6 सालों से वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने हुए थे। वो राज्य के हालातों और निर्णयों को लेकर राहुल गांधी को रिपोर्ट करते थे। हुड्डा को ये बिलकुल रास नहीं आता था कि पार्टी में उनकी वरिष्ठता को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती। अशोक तंवर को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष वर्ष 2014 में बनाया गया था परन्तु हुड्डा को उनकी ये नियुक्ति खटक रही थी। अक्सर हुड्डा और तंवर के समर्थकों के बीच तनातनी की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय बनी रहती थी। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले हुड्डा और तंवर के खेमे के बीच की तनातनी ने जोर पकड़ लिया। वर्ष 2016 में राज्य में कांग्रेसियों की खेमेबाजी सड़कों पर उतर आई और तंवर के समर्थकों ने न केवल विरोध प्रदर्शन किया बल्कि हुड्डा का पुतला तक फूंका

दोनों नेताओं समर्थकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलिसला चलता रहा। इसके बाद किरण चौधरी और अशोक तंवर ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को निशाने पर लिया और उनपर गंदी राजनीति का आरोप लगाया जबकि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य 12 विधायकों ने अशोक तंवर को उनके पद से हटाने की मांग की। इसके बाद ये स्पष्ट हो गया कि पार्टी के भीतर दो गुट हैं और स्टेट यूनिट जमीनी स्तर पर नेताओं को एकजुट नहीं कर पाया है। जहां एक तरफ अशोक तंवर प्रदेशाध्यक्ष पद पर बने हुए थे, वहीं हुड्डा राज्य में पार्टी के अधिकांश विधायकों के समर्थन का आनंद उठा रहे थे।

यही नहीं हरियाणा में हुड्डा ने खुद को पार्टी से अलग करने के संकेत देने शुरू कर दिए थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा 4 अगस्त को बुलाये गये कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए लगाये गये पोस्टर में गांधी परिवार के किसी सदस्य को जगह नहीं दी थी। ये पोस्टर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल भी हुए थे।

हुड्डा की कांग्रेस पार्टी से नाराजगी ने तब और तूल पकड़ी थी जब उन्होंने कहा था कि ‘ये वो कांग्रेस नहीं, जो पहले हुआ करती थी’। उन्होंने रोहतक में आयोजित किये गये महापरिवर्तन रैली में कहा था कि “मैं एक देशभक्त परिवार में पैदा हुआ, जो अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय का विरोध करते हैं, मैं उन्हें कहना चहता हूं “उसूलों पर जहां आंच आए, वहां टकराना जरूरी है, जो जिंदा है तो जिंदा दिखना जरूरी है।” यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था तब पूरे देश ने इसका समर्थन किया था तब कांग्रेस का रुख निराशाजनक था, उस समय हुड्डा ने खुलकर इस फैसले का समर्थन किया था जो उनकी पार्टी लाइन से मेल नहीं खा रही थी। इस दौरान हुड्डा ने अपने बगावती तेवरों के साथ जहां अपनी ताकत का प्रदर्शन भी किया था। उनकी इस रैली में करीब 13 विधायक, कई पूर्व विधायक सहित हरियाणा के कई वरिष्‍ठ नेता मौजूद थे।

ऐसा लगता है किभूपेंद्र सिंह हुड्डा का पार्टी लाइन से हटकर बयान देना और महापरिवर्तन रैली करना उनकी रणनीति का ही हिस्सा था ताकि कांग्रेस हाई कमान का ध्यान उनपर जा सके। यही नहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर मुलाकात भी की थी। इस मुलाकात के बाद ही हरियाणा में पार्टी में ये बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। स्पष्ट है हुड्डा कि रणनीति कारगार साबित हुई और वो कांग्रेस हाई कमान को अपने पक्ष में फैसला लेने के लिए मजबूर करने में सफल हुए। सोनिया गांधी भी जानती हैं कि अगर हुड्डा पार्टी से अलग हुए तो न केवल रोबर्ट वाड्रा के जमीनी सौदों से जुड़ी गड़बड़ी के खुलासे होंगे बल्कि कांग्रेस के लिए भी ये नई मुश्किलें खड़ी करने का काम कर सकते हैं।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस हाई कमान ने राज्य में गुटबाजी को खत्म करने और हुड्डा को मनाने के लिए ही अशोक तंवर और किरण चौधरी को उनके पदों से हटाया है। इसके अलावा कुमारी शैलजा को हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सोनिया गांधी ने हुड्डा को मनाने के साथ-साथ राज्य में पार्टी के परंपरागत जाट और गैर जाट मतदाताओं को पार्टी से जोड़े रखने का दांव भी चला है। अब ये कितना कारगार साबित होगा आने वाले वक्त में  पता चलेगा

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