इमरान खान, पाकिस्तान के सिलेक्टिड प्रधानमंत्री! बातें करने में उनका कोई जवाब नहीं। ये शायद उनके झूठे वादों के पुलिंदे ही थे, जिसकी वजह से सभी पाकिस्तानी चार-पांच सालों में भारत को कर्ज़ तक देने के ख्वाब देखने लगे थे, हालांकि वो बात और है कि आज भी पाकिस्तान में नान-रोटी के लिए प्रधानमंत्री को आपात बैठक बुलानी पड़ती है, और पैसा कमाने के लिए इस देश को गधों को एक्सपोर्ट करना पड़ता है। मज़े की बात यह है कि इस देश के पास एक ब्लैकमेल बम भी है, जिसे पूरी दुनिया परमाणु बम के नाम से जानती है। ब्लैकमेल बम इसलिए क्योंकि यह बात तो खुद पाकिस्तान भी जानता है कि वह परमाणु बम के साथ हमला करने की उसकी औकात नहीं है, और वह इसके जरिये सिर्फ ब्लैकमेल ही कर सकता है।
हालांकि, किस्मत इमरान खान से इतनी रूठी है, कि आजकल ये ब्लैकमेल बम भी फुस्स होता दिखाई दे रहा है। खान साहब के सपने में तो यह आया था कि इस ब्लैकमेल बम के नाम से पूरी दुनिया की आँखें कश्मीर में भारत की बर्बरीयत पर टिक जाएंगी, लेकिन अफसोस! खान साहब की बातों की किसी ने सुध ना ली! 4 दिन पहले खान साहब ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक प्रोपेगैंडा पीस लिखा था, और यहां भी वे ‘ब्लैकमेल बम’ का ज़िक्र करने से बाज़ नहीं आए। उन्होंने लिखा था ‘अगर कश्मीर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो पूरी दुनिया को इसके नतीजे भुगतने होंगे’।
नहीं दिया, दुनिया ने ध्यान फिर भी नहीं दिया, लेकिन पाकिस्तान को इसके नतीजे जरूर भुगतने पड़ रहे हैं। भला ये कैसे हो सकता है? एक ब्लैकमेल बम ही तो है जिसकी वजह से दुनिया की आधी आबादी को यह पता है कि ‘पाकिस्तान’ नाम का कोई देश भी है। खान साहब को भी शायद इस बात का अहसास हो गया है, कि ‘ब्लैकमेल बम में अब वो बात नहीं रही’। इसीलिए तो धमकी देने के महज़ 4 दिन बाद खान साहब को कल कहना पड़ा कि पाकिस्तान कभी पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। खान साहब ने मॉरल हाईग्राउंड लेते हुए यह तक कहा कि युद्ध से दोनों देशों को ही नुकसान होगा। हालांकि, खान साहब यह बताना मिस कर गए कि पाकिस्तान के पास अब खोने के लिए ‘भीख के कटोरे’ के अलावा अब बचा ही क्या है? अब आप खान साहब का यह हृदय परिवर्तन कहिए या एक और यू-टर्न, वो आपके ऊपर हैं लेकिन इतना ज़रूर बता दें कि पाकिस्तान में खान साहब का दूसरा नाम ‘यू-टर्न खान’ पड़ चुका है।
कहते हैं ना कि जिसके पास पैसा है, आज दुनिया उसी की सुनती है, लेकिन खान साहब अपनी बात कहने के बाद अपनी जेब में झांकते हैं। वे अपने आप को भारतीय वज़ीर-ए-आजम ‘नरेंद्र मूदी’ के बराबर समझते हैं, लेकिन उन्हें इतनी बात भी नहीं पता है कि ‘नरेंद्र मूदी’ यहां बैठे-बैठे पाकिस्तान के मंत्री को करंट मार सकते हैं। इतनी शक्ति खान साहब में है? कतई नहीं! इसलिए उनके लिए यही अच्छा होगा कि वे बढ़िया-सी शेरवानी सिलवाकर रखलें ताकि जब कोई अरबी राजा पाकिस्तान के दौरे पर आए, तो वे उनके लिए गाड़ी का हैंडल पकड़कर एक बढ़िया सी लॉन्ग ड्राइव पर जा सकें। हाँ, इतना जरूर हो कि उनकी शेरवानी उन्हीं के साइज़ की हो, और उसमें एक बड़ी से जेब भी हो!