अमित शाह का बड़ा कदम बदल देगा भारत में जनगणना और वोटर ID कार्ड की प्रक्रिया

जनगणना

वर्ष 2021 में देश में एक बार फिर जनगणना होने वाली है और गृह मंत्री अमित शाह इस जनगणना को पूरी तरह त्रुटिहीन बनाना चाहते हैं। मतलब यह कि वे चाहते हैं कि जो आंकड़े जनगणना के माध्यम से सरकार के पास पहुंचे, वे एकदम सटीक और विश्वसनीय हों। किसी भी देश की जनता की भलाई के लिए मतगणना के आंकड़े सटीक होना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि उसी के आधार पर सरकार अपनी योजनायें बनाती है। यही कारण है कि गृह मंत्री अब चाहते हैं कि वर्ष 2021 की जनगणना के लिए तकनीक का भरपूर इस्तेमाल हो। इतना ही नहीं, गृह मंत्री ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के संबंध में भी कई बातें कहीं। अमित शाह के मुताबिक एनपीआर के जरिए देश के सामान्य नागरिक के बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय विवरण को आपस में लिंक कर दिया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और बैंक खाते के लिए एक कॉमन कार्ड जारी करने का विचार भी रखा है।

गृह मंत्री अमित शाह ने सबसे बड़ा ऐलान वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना करने की प्रक्रिया को लेकर किया। देश की जनगणना के 140 साल के इतिहास में पहली बार मोबाइल एप्प से आंकड़े जुटाए जाएंगे। करीब 33 लाख जनगणना कर्मचारी घर-घर जाकर जानकारी लेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार एक खास एंड्रायड मोबाइल एप्प विकसित करवा रही है। अभी सरकार का सबसे बड़ा उद्देश्य सभी नागरिकों का एक डेटाबेस तैयार करना है, और भविष्य में इसके कई फायदे होंगे। अगर बड़े स्तर पर नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को तैयार किया जाता है तो इससे ना सिर्फ भारत में आने वाले घुसपैठियों की पहचान करना आसान हो जाएगा बल्कि सरकार को भी भारत के सभी नागरिकों का डेटा एक जगह ही उपलब्ध हो जाएगा। शाह के मुताबिक एनपीआर बेहद ज़रूरी है क्योंकि यह किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने और सरकारी योजनाओं के बेहतर नियोजन में मददगार साबित होगा।

सरकार के पास इतने बड़े स्तर पर डाटा उपलब्ध होने के कई फायदे होंगे। उदाहरण के तौर पर अगर किसी 18 वर्ष की कम आयु के नागरिक का एनपीआर में पंजीकरण हो जाता है, तो 18 वर्ष का होते ही उस नागरिक को वे सभी अधिकार मिलना शुरू हो जाएंगे जो सभी वयस्क नागरिकों को मिलते हैं और इसके लिए उस नागरिक को अलग से सरकार के पास दस्तावेज़ जमा करवाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी। कुछ इसी तरह अगर किसी परिवार को बीपीएल का दर्जा मिला हुआ है, तो ऐसे परिवारों के लिए बनाई गई योजनाओं का सीधा फायदा सरकार उन तक पहुंचा पाएगी। आज़ादी के बाद से ही हमारी सरकारों का ध्यान केवल योजनाओं को बनाने पर रहा और अच्छे नारे देने को ही सरकारों ने अपना धर्म मान लिया। हालांकि, इन नारों का और योजनाओं का आम जन तक कोई फायदा नहीं पहुंचा क्योंकि सरकार और प्रशासन के सभी स्तर पर जमकर भ्रष्टाचार होता था और सभी अधिकारी अपनी जेब भरने पर ही ध्यान देते थे।

मोदी सरकार ने आते ही वित्तीय लेनदेन को सुगम करने के लिए जहां बड़े पैमाने पर लोगों के बैंक खाते खुलवाए, तो वहीं तकनीक का इस्तेमाल कर सरकारी योजनाओं के जरिये होने वाले लाखों-करोड़ों के घोटालों पर रोक लगाई। उदाहरण के तौर पर, सरकार ने आधार कार्ड के इस्तेमाल से वर्ष 2018 में 90 हज़ार करोड़ रुपये की बचत की थी, और इसके साथ ही सरकार सही लोगों तक सफलतापूर्वक फायदा पहुंचाने में भी कामयाब रही। अब जनगणना करने की प्रक्रिया में तकनीक का सहारा लेकर सरकार एक बेहद क्रांतिकारी कदम उठाने जा रही है, और इसका फायदा भारत की आने वाली कई पीढ़ियों को मिलता रहेगा।

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