चीनी कंपनी Huawei को 5G ट्रायल्स से दूर रखने के लिए रिलायंस जियो और एयरटेल आये साथ

हुवावे

(PC: PTI)

दुनिया में 5जी तकनीक को लेकर काफी उत्साह है और चीन की हुवावे (Huawei) कंपनी अभी दुनियाभर में इस तकनीक को विस्तार देने पर योजना बना रही है। अभी हुवावे स्मार्टफोन मार्केट में दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी है और इस साल वह फरवरी में दुनिया का सबसे पहला 5जी तकनीक फोन लॉंच भी कर चुकी है। हालांकि, पूरी दुनिया में सरकारों के प्रतिबंधों का सामना कर रही चीन की कंपनी हुवावे को अब भारत में भी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, भारत के दिग्गज टेलिकॉम प्लेयर्स यानि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने अपने 5जी कार्यक्रमों को लॉंच करने के लिए चीन की कंपनी हुवावे का बहिष्कार कर दिया है। 5जी तकनीक पर काम करने के लिए जियो ने जहां एक तरफ सैमसंग से करार किया है, तो वहीं एयरटेल ने इसके लिए नोकिया और एरिक्सन जैसी यूरोप की कंपनियों से समझौता किया है।

बता दें कि हुवावे कंपनी बड़ी आक्रामकता से भारत में 5जी ट्रायल करने के लिए लाइसेन्स प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। भारत में 5जी ट्रायल के लाइसेन्स को प्राप्त करने के लिए अब तक भारत सरकार के पास कुल 6 कंपनियों के आवदेन आ चुके हैं और Huawei भी उन्हीं में से एक है। चीन की सरकार तो Huawei को लेकर भारत सरकार को धमकी तक दे चुकी है। दरअसल, इसी महीने की शुरुआत में चीन ने भारत को हुवावे के परिचालन के संबंध में कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी। चीन ने कहा था, ‘अगर Huaweiपर भारत में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो चीन अपने यहां कारोबार करने वाली भारतीय फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र होगा’।

हालांकि, तब भारत के अधिकारियों ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया था। तब भारत के अधिकारियों ने कहा था कि अगर चीन अपनी चिंताओं को कूटनीतिक माध्यम से भारत सरकार तक पहुंचाता, तो अच्छा रहता। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि चीन द्वारा खुले तौर पर भारत को धमकी देने की वजह से अब भारत सरकार के रुख में भी बदलाव आएगा और हुवावे को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया था कि चीन की कंपनी हुवावे को लेकर भारत की चिंताओं को व्यापार नीति नहीं बल्कि सुरक्षा नीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

हुवावे 5जी तकनीक का पूरी दुनिया में प्रसार करने पर काम कर रहा है लेकिन अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कंपनी पर इन देशों की सुरक्षा से समझौता करने और चीनी सेना के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। इन देशों का मानना है कि हुवावे कंपनी चीनी सरकार के प्रभाव में काम करती है और सुरक्षा के लिहाज से यह इन देशों के लिए खतरा साबित हो सकती है। इन सब देशों द्वारा हुवावे पर कार्रवाई के बाद भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध की मांग उठना शुरू हुई थी।

हुवावे पर कई देश गंभीर आरोप लगा रहे हैं। बता दें कि जो पश्चिमी देश Huawei को अपने यहां 5जी ट्रायल करने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, उनका मानना है कि चीन की यह कंपनी उनकी सुरक्षा में सेंध लगा सकती है। इसके अलावा इन देशों को यह भी शक है कि Huawei इन देशों से संवेदनशील जानकारी चुराकर चीनी सेना के साथ साझा कर सकती है, जो कि इन देशो की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है। Huawei कंपनी पर अन्य देशों की कंपनियों के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन करने का आरोप भी लगता रहा है। अभी सबसे ताज़ा मामले में Huawei कंपनी पर चेक रिपब्लिक में भी चीनी सरकार के साथ मिलीभगत के आरोप लगे थे। चेक रिपब्लिक के कुछ ब्रॉडकास्टर्स ने हुवावे पर आरोप लगाया था कि यह कंपनी अपनी सेवाओं के बदले अपने क्लाइंट्स के कुछ गोपनीय जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही थी। हुवावे के फाउंडर की बेटी और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर मेंग वांझाऊ पर पहले ही फ्रॉड के चार्ज लगे हुए हैं। अमेरिका ने हुवावे पर आरोप लगाया था कि उनका एक ऐसी कंपनी के साथ संबंध है, जो ईरान को उपकरण बेच रही है, जबकि अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं।

भारत में सरकार ने तो अब तक हुवावे के खिलाफ कोई सख्त रुख नहीं दिखाया है, लेकिन दो बड़े टेलिकॉम प्लेयर्स ने हुवावे को एक सख्त संदेश भेज दिया है कि भारत में उसका एजेंडा नहीं चलने वाला। जहां भारत में तकनीक का विस्तार जरूरी है, तो वहीं दूसरी तरफ देश की सुरक्षा से भी समझौता नहीं किया जा सकता। जिस तरह पश्चिमी देशों ने अपने यहां Huawei द्वारा खड़ी की गई सुरक्षा चुनौती को पहचानकर कंपनी पर प्रतिबंध लगाने का काम किया है, ठीक उसी तरह भारत को भी सतर्क होकर कंपनी के परिचालन से जुड़े विवादों के मद्देनजर जांच करने की ज़रूरत है। अगर भारत सरकार को हुवावे के परिचालन पर कोई भी शक पैदा होता है, तो सरकार को तुरंत कंपनी को बैन कर देना चाहिए। सरकार के लिए 5जी तकनीक नहीं, बल्कि लोगों की निजता और देश की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, और हमें उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में कोई बड़ा कदम जरूर उठाएगी।

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