ISRO ने शुरू किया प्रोजेक्ट ‘नेत्र’, अब अंतरिक्ष में उपग्रहों को डेब्रीज से नहीं पहुंचेगा नुकसान

इसरो

PC: businessinsider

भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक के बाद एक नए आयाम स्थापित करते जा रहा है। हाल ही में इसरो द्वारा चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण और चांद की कक्षा में ऑर्बिटर स्थापित करवाने के बाद अब स्पेस के खतरों से भी निपटने के लिए कमर कस ली है। चंद्रयान 2 के अभियान के दौरान ही इसरो ने नेत्र (NETRA) नामक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। यह एक चेतावनी प्रणाली है जो अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों को स्पेस डेब्रीज और अन्य खतरों का पता लगाएगा।

द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार 400 करोड़ की लागत से तैयार इस चेतावनी प्रणाली से भारत भी उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो गया है जो स्पेस डेब्रीज से होने वाले खतरों का पता लगाने के लिए इस तरह की चेतावनी प्रणाली का प्रयोग करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है यह सिस्टम हमें किसी मिसाइल या अंतरिक्ष हमले से भी सतर्क करेगा। यानि कोई दुश्मन देश हमारे देश पर हमला करना चाहेगा तो हम नेत्र के जरिए पहले ही सचेत हो जाएंगे।

NETRA या Network for space object Tracking and Analysis के लिए इसरो कई उपकरणों का इस्तेमाल किया है जैसे रडार, टेलिस्कोप, डेटा प्रोसेससिंग यूनिट और एक कंट्रोल सेंटर। यह प्रणाली स्पेस डेब्रीज के 10 cm से भी छोटे मलबों को 3,400 किमी की सीमा तक और लगभग 2,000 किमी की अंतरिक्ष कक्षा तक ट्रैक कर सूचित करने में सक्षम है।

Space Situational Awareness (SSA) प्राप्त करने के लिए इसरो लेह में लगे लंबी दूरी वाला टेलिस्कोप और उत्तर पूर्व में लगे रडार, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लगे Multi-Object Tracking Radar (MOTR) पोनमुडी व माउंट आबू में लगे टेलिस्कोप की मदद लेगा।

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार इसरो की NETRA प्रणाली का अंतिम लक्ष्य 36,000 किमी पर स्थित जियोस्टेसनरी ऑर्बिट तथा लो अर्थ ऑर्बिट पर नजर रखना है जहां क्रमस: संचार उपग्रह और रिमोट सेन्सिंग उपग्रह काम करते हैं।

बता दें कि वर्तमान में 36,000 किमी की जियोस्टेसनरी ओर्बिट में भारत के 15 संचार उपग्रह हैं, 2,000 किमी तक के लो अर्थ ओर्बिट में 13 रिमोट सेंसिंग उपग्रह और मध्यम पृथ्वी की कक्षाओं में आठ नेविगेशन उपग्रह मौजूद हैं। NETRA प्रणाली की मदद से किसी भी प्रकार के होने वाले खतरों पर नजर रखी जा सकेगी और करोड़ो की लागत से बने उपग्रहों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा। इस प्रणाली से अन्य उपग्रहों के किसी भी प्रकार से कक्षा परिवर्तन के पीछे उद्देश्यों को समझने में मदद मिलेगा और साथ ही यह जानने में मदद मिलेगा कि क्या वे हमारे अंतरिक्ष यान की जासूसी कर रहे थे या नुकसान पहुंचा रहे थे।

NETRA के आने के बाद से इसरो ने एक और मुकाम हासिल कर लिया है जिससे भारत का स्पेस शक्ति के रूप में स्थान और भी मजबूत हो गया है। इससे पहले भारत मिशन शक्ति के जरिए अंतरिक्ष में मारक क्षमता हासिल करने वाले देशों की सूची में शामिल हुआ था। मिशन शक्ति से भारत ने इसरो और डीआरडीओ के संयुक्त प्रयास के द्वारा विकसित भारतीय मिसाइल से लो अर्थ ऑर्बिट में संदिग्ध सैटलाइट को मार गिराया था।

दूसरे सामान्‍य मिसाइल के मु‍काबले एंटी सैटेलाइट मिसाइल बहुत ही अलग होता है। दूसरे मिसाइल जहां लक्ष्य से टकराने के बाद ब्लास्ट होते हैं, वहीं एंटी सैटलाइट मिसाइल काइनैटिक किल मैकेनिज्म पर काम करती है। इसके वॉरहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता है। सैटलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वह उसे गिरा देता है। धरती की निचली कक्षा में गतिमान किसी सैटेलाइट को पृथ्वी से निशाना बनाना बहुत कठीन काम है, लेकिन डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके इसे कर दिखाया।

संचार, जीपीएस, नेवीगेशन, सैन्य, मौसम, वित्त सहित आम जीवन से जुड़ी मनोरंजन के टेलीविजन चैनल्स, बिजली आदि तमाम चीजें कहीं न कहीं सैटेलाइट से नियंत्रित होने लगी हैं। ऐसे में अगर दुश्मन देश के सैटेलाइट को नेस्तनाबूत कर दिया जाए तो वह पूरी तरह से हमारी काबू में हो जाएगा। उसके सारे गुप्त कोड लॉक हो जाएंगे। आपातकाल में मिसाइल जैसी चीज का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। लड़ाकू विमान और युद्ध पोत जहां के तहां खड़े रह जाएंगे। एंटी सैटेलाइट (ए सैट) के द्वारा भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को सुरक्षित रख सकेगा।

इन दोनों ही प्रणाली से अब भारत खुद को सुरक्षित करने की दिशा में काफी आगे बढ़ गया है इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर दुश्मन देश के किसी भी संचार व सैन्य उपग्रह को नष्ट भी कर सकेगा। संचार व्यवस्था ठप होने से शत्रु राष्ट्र की समूची सैन्य संचार प्रणाली निष्क्रिय हो जाएगी। नेत्र सिस्टम देश की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस नेटवर्क को मजबूत कर सकेगा। हालांकि भारत ने स्पष्ट कहा है कि यह क्षमता एक डेटरेंट है और किसी भी राष्ट्र के खिलाफ निर्देशित नहीं है। इसरो और डीआरडीओ के वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर देश को सुरक्षित करने के लिए नए-नए उपकरणों का आविष्कार कर रहे हैं जिस पर हमे गर्व करना चाहिए।

आने वाले समय में भी इसरो कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है जैसे- चंद्रयान-3 ,आदित्य-L1 नाम का सोलर प्रोब मिशन, शुक्र-यान, मंगल-यान-2 यानि मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 को भेजने की तैयारी कर रहा है। इसरो ने अपना स्पेस स्टेशन बनाने की भी घोषणा की है। अभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए सरकार से मिले हैं और इस परियोजना पर काम चल रहा है। इन सभी परियोजनाओं से भारत आने वाले दिनों में विश्व में अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होगा।

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