लंदन में भी पत्थरबाजी पर उतरे पाकिस्तानी समर्थक, मेयर के पाक परस्त का खुलासा

PC: Jansatta

कश्मीर पर भारत के ऐतिहासिक फैसले ने दुनियाभर के पाकिस्तानियों की नींदे उड़ा रखी हैं। पाकिस्तान में तो भारत के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन हो ही रहे हैं, लेकिन पाकिस्तानी मूल के लोग लंदन में भी गुंडागर्दी करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। लंदन में ऐसे ही प्रदर्शन हमें कल यानि मंगलवार को भी देखने को मिले। कल करीब 10 हज़ार लोगों ने लंदन की सड़कों पर प्रदर्शन किया और हिंसक प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन की आड़ में भारतीय हाई कमीशन पर हमला तक कर डाला। इन प्रदर्शनों में पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ-साथ कुछ खालिस्तानी समर्थक लोग भी शामिल थे। इससे पहले 15 अगस्त के मौके पर भी भारतीय हाई कमीशन के सामने ऐसे ही हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। लंदन जैसे बड़े शहर में फैलते जा रहे अराजकता के इस माहौल को देखकर यह स्पष्ट है कि इस देश का भविष्य अंधकार की ओर अग्रसर है और अगर यूके के लोगों ने अपने राजनेताओं की आंखे खोलने के लिए अभी कुछ नहीं किया, तो यूके के लोगों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

ऐसे हिंसक प्रदर्शनों को देखकर यह तो स्पष्ट हो गया है कि यूके पूरी तरह एक नेतृत्वहीन देश बन चुका है, जहां पर कानूनी व्यवस्था पूरी तरह लचर पड़ चुकी है। यह प्रदर्शन किसी समान्य जगह पर नहीं, बल्कि ऐसे जगह पर हो रहे हैं जहां पर कई देशों के दूतावास मौजूद हैं, जहां आमतौर पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत मानी जाती है। हालांकि, पाकिस्तानी मूल के लंदन के मेयर सादिक़ खान पर पाकिस्तानी परस्ती के आरोप लगते रहते हैं। वे कहने को तो लंदन के लोगों के मेयर हैं, लेकिन वहां बैठकर वे अपना पाकिस्तानी एजेंडा आगे बढ़ाते हैं।  इससे भी बड़ी चिंता की बात तो यह है कि यूके के नागरिकों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है और वहां की राजनीति में अभी सिर्फ ब्रेक्जिट का मुद्दा ही हावी है।

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के मुद्दे पर यहां सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। ब्रिटिश संसद में ब्रेक्जिट प्रस्ताव पर कई बार हार का सामना करने के बाद थेरेसा मे ने पिछले दिनों इस्तीिफा दे दिया था, जिसके बाद बोरिस जॉनसन कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने गए और उन्होंने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली। ब्रेक्जिट के मुद्दे पर अपेक्षाकृत सख्त‍ माने जा रहे जॉनसन के सत्ता संभालने के बाद भी यहां इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक खींचतान की स्थिति बनी हुई है। कल ब्रेक्जिट पर अहम मतदान से ठीक पहले कंजरवेटिव पार्टी के एक नेता ने दल बदल लिया, जिसके कारण जॉनसन की सरकार के पास हाउस ऑफ कॉमन्स में कामकाज के लिए आवश्यक बहुमत नहीं रह गया। यानि यूके में जल्द ही हमें समय से पहले चुनाव देखने को मिल सकते हैं और अभी सही मायनों में इस देश के पास कोई नेता ही मौजूद नहीं है।

कोई मजबूत नेतृत्व नहीं होने के कारण ब्रिटेन में ऐसे मुद्दो की सुध लेने वाला कोई नहीं है, और ऐसे में लंदन समेत पूरे यूके में इस्लामिक चरमपंथ अपना पैर पसारता नज़र आ रहा है। वहां पर मूल रूप से यूके में रहने वाले लोगों पर हमले हो रहे हैं और लोगों में भय का माहौल बनता जा रहा है। ऐसे में सादिक़ खान जैसे लोगों के लिए अपना एजेंडा चलाने के लिए खुली छूट मिल चुकी है। लंदन में एक महीने से भी कम समय में भारतीय हाई कमीशन पर ऐसे हमला होना कोई छोटी बात नहीं है। कहीं ना कहीं इसके पीछे मेयर सादिक़ खान का हाथ होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। यूके के पास अब भी समय है, या तो वह इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए दिल में सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाली लेबर पार्टी के नेताओं को चुनकर यूके के भविष्य को चौपट कर दें, या फिर वह कंजरवेटिव पार्टी के नेताओं को चुनकर यूके में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ को रोकने में अपना योगदान दें। जो भी हो, इतना स्पष्ट है कि यूके के लोगों के पास बहुत कम समय ही बचा है और उन्हें जल्द से जल्द अपनी नींद से जागने की ज़रूरत है।

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