देवेंद्र फडणवीस संभाल रहे हैं महाराष्ट्र चुनाव प्रचार की कमान, पीएम मोदी को इस बार मिला ब्रेक

देवेंद्र फडणवीस

PC: India.com

महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है, सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। एक तरह जहां एनसीपी और कांग्रेस में बीच सीटों को लेकर अभी भी तनातनी जारी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा-शिवसेना की गठबंधन आराम से जीत को लेकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं। बाकी राज्यों की तरह प्रधानमंत्री मोदी भी महाराष्ट्र को लेकर बिल्कुल निश्चिंत हैं और अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत ही छवि को और मजबूत करने में समय दे रहे हैं। इसका एक ही कारण है और वह है महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस और उनके द्वारा किए गए विकास कार्य।

गौरतलब है कि भाजपा और उसके सहयोगी दल वर्ष 2014 से ही मोदी लहर के दम पर लगातार एक के बाद एक देश भर में चुनाव जीतते रहे हैं। वर्ष 2014 का आम चुनाव हो, किसी भी राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव या फिर वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव सभी में भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे की बदौलत ही चुनावी जीत हासिल की है और जनता को उनके नेतृत्व के जरिए लुभाने में कामयाब रही है।

महाराष्ट्र में ऐसा पहली हो रहा है जहां प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने किए गए कार्यों और अपनी लोकप्रियता से चुनाव में जीत हासिल करने जा रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मिल कर देवेन्द्र फडणवीस ने पूरे राज्य का मोर्चा संभाल रखा है और प्रधानमंत्री मोदी को अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों से निपटने के लिए समय समय दे दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रमुख “स्टार प्रचारक” हैं और उनकी मौजूदगी से सबसे ज्यादा असर जनता पर पड़ता है और वे जनता से सीधे जुड़ते हैं। अगर हम पीएम मोदी और उनकी पिछली रैलीयों को देखे तो स्पष्ट हो जाता है कि पिछले विधानसभा चुनावों में उन्हें बीजेपी को लगातार एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैली करनी पड़ी थी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की कुल 21 रैलीयों की योजना बनी थी। वहीं राजस्थान और मध्यप्रदेश में उन्हें विदेश दौरे करने के बावजूद 10-10 रैलियां करनी पड़ी थी। वहीं उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने कुल 24 रैलियों को संबोधित किया था। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी ने 26 मई, 2014 को पीएम बनने के बाद से 24 अक्टूबर, 2017 तक हर महीने लगभग 19 भाषण दिए। यानि कि रिपोर्ट प्रकाशित होने तक पीएम मोदी ने 41 महीनों में लगभग 775 भाषण दिया। वहीं 2019 लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी ने सात चरणों में फैले पूरे अभियान के दौरान कुल 144 रैलियों और रोड शो को संबोधित किया था। अगर हम महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा के दौरान पीएम मोदी द्वारा किए गए रैलियों पर नज़र डालें तो उस दौरान उन्होंने कुल 15 रैलियों को संबोधित किया था।

इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा चुनाव के दौरान पीएम मोदी पर कितना निर्भर रहता है। हालांकि इस बार भी महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार की शुरुआत पीएम मोदी ने ही नासिक से की थी लेकिन फिर वह अपने अंतर्राष्ट्रीय दौरों पर व्यस्त हो गए। वहीं देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य और पार्टी ने विपक्ष को अपने विकास  कार्यों के माध्यम से किनारे कर दिया है। इसी वजह से भाजपा को यह चुनाव ज्यादा आसान लग रहा है। पिछले पांच सालों में राज्य में हुए लगभग सभी चुनावों में बीजेपी और शिवसेना ने जीत हासिल की। इसमें पंचायत, नगरपालिका, महानगरपालिका के चुनाव हैं जिसमें दोनों दल मिलकर चुनाव लड़े और विपक्षी दलों को राज्य के किसी भी चुनाव में जीतने का मौका नहीं दिया।

राज्य में विकास की बात करें तो सरकार ने मराठाओं को आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा घोषित करते हुए 18 फ़ीसदी आरक्षण दिया है। उच्च न्यायालय ने भी यह आरक्षण बरकरार रखा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शुरू किए गए जलयुक्त शिवार अभियान ने विदर्भ और मराठवाड़ा के सूखे-प्रभावित इलाकों के किसानों को काफी राहत पहुंचायी है। अभी इसी वर्ष जुलाई में खबर आई थी कि रूस की कंपनी नोवोलिपस्टेक स्टील महाराष्ट्र में दो चरणों में वर्ष 2022 तक 6,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के इनफ्रास्ट्रक्चर को और ज़्यादा विकसित करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। फडणवीस सरकार ने इसी वर्ष जुलाई में मुंबई और पुणे के बीच परिवहन के लिए हाइपरलूप परिवहन परियोजना को हरी झंडी दिखाई थी। इन सभी कार्यों से जनता खुश है और फिर से बीजेपी को सत्ता सौंप सकती है। कुल मिला कर देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र में रैलियां करेंगे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा पहले ही किए गए कार्य से उनपर ज्यादा बोझ आने की उम्मीद नहीं है इसलिए प्रधानमंत्री इस बार थोड़ा आराम कर सकते हैं। जिसके वे हकदार भी हैं।

Exit mobile version