भारत सरकार ने 5 अगस्त को जब संविधान से अनुच्छेद 370 के खंड 2 और 3 को निरस्त करने का ऐलान किया था, तब यह उम्मीद लगाई गई थी कि मोदी सरकार का यह फैसला जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए गया है। यह उम्मीद अब वास्तविक रूप लेने लगा है। ट्राइडेंट ग्रुप, मेदांता ग्रुप, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, क्योरफिट और पॉलिसी बाजार के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने भी जम्मू कश्मीर में निवेश करने का फैसला किया है।
देवेंद्र फडणवीस की सरकार जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद कर दो रिजॉर्ट का निर्माण करेगी। महाराष्ट्र कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने बताया, ‘उनके पास लक्षद्वीप में रिजॉर्ट शुरू करने का प्रस्ताव है, लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता कश्मीर और लद्दाख में रिजॉर्ट बनाने की है। जहां मामूली दर पर देशी, विदेशी और राज्य के पर्यटक ठहर सकेंगे।’
Jaykumar Rawal, Maharashtra Tourism Minister: We are planning to open a resort near Srinagar and to open a mountaineering institute near Ladakh. In next 15-20 days a team would go there to find suitable sites. pic.twitter.com/JnNM99lMls
— ANI (@ANI) September 3, 2019
जयकुमार रावल के मुताबिक जम्मू में पहलगाम और लद्दाख में अगले 15 दिन में जगह को लेकर सर्वे किया जाएगा। महाराष्ट्र टूरिज्म कारपोरेशन अगले 15-20 दिनों में एक टीम उपयुक्त स्थलों को खोजने के लिए वहां जाएगी। राज्य के पर्यटन मंत्री रावल ने यह भी बताया, “महाराष्ट्र में निगम का अपने कई सारे रिजॉर्ट हैं, ठीक उसी तर्ज पर निगम कश्मीर और लद्दाख के बर्फीली वादियों में रिजॉर्ट खोले जाएंगे।” फिलहाल इसके लिए अभी 1-1 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में रिजॉर्ट बनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बन जाएगा। महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि घाटी में रिजॉर्ट खोलने से यहां खाने वाले सैलानियों को काफी राहत मिलेगी। खासकर अमरनाथ और वैष्णो देवी आने वाले तीर्थ यात्रियों को फायदा मिलेगा।
महाराष्ट्र के इस घोषणा के बाद पड़ोसी राज्य कर्नाटक भी इसी दौड़ में शामिल हो गया और जम्मू और कश्मीर में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की घोषणा की है। कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया कि उनका राज्य भी जम्मू कश्मीर के पर्यटन उद्योग में प्रवेश करने के बारे में विचार कर रहा है। उन्होंने लिखा, ‘एक तरफ हम कर्नाटक में पर्यटन उद्योग को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं हम जम्मू और कश्मीर पर्यटन में प्रवेश करने के बारे में भी विचार कर रहे हैं। कर्नाटक की कला, वास्तुकला, संस्कृति और परंपराओं को भारत के ताज में प्रदर्शित किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों राज्यों के लिए जीत की स्थिति होगी।’
While we are focused on improving Tourism Industry in Karnataka, we are also contemplating about making an entry into Jammu & Kashmir Tourism.
Karnataka's Art, Architecture, Culture & Traditions can be showcased in India's Crown, resulting in a win-win situation for both States.
— C T Ravi 🇮🇳 ಸಿ ಟಿ ರವಿ (Modi Ka Parivar) (@CTRavi_BJP) September 3, 2019
भारत सरकार की शुरू से ही यही कोशिश रही है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिले और इस क्षेत्र में सरकार ने कई कदम भी उठाए है। जम्मू कश्मीर में 370 हटने के बाद 3-4 जिलों को छोड़ कर पूरा राज्य में शांति बहाल हो चुकी है। लोग खुश है और भारत सरकार से अपने क्षेत्र के विकास के लिए नई योजनाओं का इंतज़ार कर रहे है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार का यह कदम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए एक मैसेज की तरह है कि पूरा देश उनसे जुड़ना चाहता है। महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से बाकी राज्यों और व्यापारियों को भी प्रेरणा मिलेगी तथा वह भी जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए आगे बढ़ कर निवेश करेंगे। इससे जम्मू कश्मीर का देश के अन्य हिस्से से कोनेक्टिविटी भी बढ़ेगी जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और लोगों को रोजगार भी। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 15 प्रतिशत है। और अगर पर्यटन को बढ़ावा मिलता है तो एगरो बेस्ड इंडस्ट्री और हैंडी क्राफ्ट इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे इस राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट मिलेगी। जब तक जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था तब तक देश के अन्य हिस्सों के व्यापारियों और लोगो पर कई तरह की पाबंदिया लगी हुई थी जिससे वह वहाँ जा कर व्यापार कर सके।
जम्मू और कश्मीर में आर्थिक विकास की क्षमता है, लेकिन राज्य में उद्योगों की कमी और भ्रष्ट राजनीति के कारण, राज्य के लोग अवसरों से वंचित थे। अब इसके हटने के बाद भारत दोनों तरफ से ही उद्योग, निवेश और रोजगार में वृद्धि होगी। इसके बाद राज्य को केंद्र सरकार पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं होगी। यह अपने संसाधनों के माध्यम से कर राजस्व उत्पन्न कर सकता है क्योंकि राज्य में औद्योगिक और कॉर्पोरेट गतिविधि को बल मिलेगा।