वहाबी इस्लामिक देशों में जगह बनाने को आतुर मलेशिया ने उठाया कश्मीर मुद्दा

मलेशिया

PC: bangkokpost.com

पिछले कुछ दिनों से मलेशिया भारत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत पर बेतुके आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण करके कब्जा किया है। उन्होंने कहा कि भारत को इस मुद्दे के समाधान के लिये पाकिस्तान के साथ काम करना चाहिये। मलेशिया के प्रधानमंत्री के इस भारत विरोधी बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि उनका ज्ञान भारत के बारे में अधूरा ही है।लेकिन जिस तरह से उन्होंने कश्मीर मुद्दे को बिना किसी कारण संयुक्त राष्ट्र में उठाया उससे यह भी स्पष्ट हो गया कि मलेशिया भी तुर्की की राह पर चल पड़ा है और हमारे दुशमन देश पाक का समर्थन करता है।

मलेशिया का इस तरह से तथ्यों पर न जाकर पाक का केवल इस्लामिक राष्ट्र होने के कारण समर्थन करना दर्शाता है कि मलेशिया अब पश्चिम एशिया के कट्टर इस्लामिक राष्ट्रों में शामिल होना चाहता है और इस्लाम जगत में अपनी पहचान को मजबूत करना चाहता है।

मलेशिया में इस्लाम 12 वीं शताब्दी में व्यापारियों द्वारा मल्लाका पोर्ट से लाया गया था और यह मलेशिया में सभी प्रमुख धर्मों में सबसे कम उम्र का है। इस्लाम के आगमन से पहले, मलेशिया में प्रमुख धर्म बौद्ध और हिंदू धर्म थे (विशेषकर इसकी शैव धर्म परंपरा)।  हिंदू राजा मुजफ्फर शाह ने हिंदू धर्म को त्याग दिया और केडाह के पहले सल्तनत से शुरू होने वाले सुन्नी इस्लाम को अपनाया। बाद में इस्लाम ने 15 वीं शताब्दी में मलाका सल्तनत के युग में प्रवेश किया और आज तक इसका प्रभुत्व बना हुआ। मलेशिया में कई लोगों के लिए “अच्छा” मुस्लिम एक ऐसा व्यक्ति है जो अरब संस्कृति का पालन करता है, और सऊदी अरब द्वारा निर्यात किए गए इस्लाम के शाब्दिक संस्करण का अभ्यास करता है। ये दर्शाता है कि मलेशिया का झुकाव शुरू से ही वहाबी इस्लाम की तरफ रहा है।

प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की बेटी मरीना महातिर सार्वजनिक रूप से मलेशियाई सरकार पर सऊदी अरब से प्रभावित होने का आरोप लगाती रही हैं। साथ ही सरकार के इन कदमों की निंदा भी करती हैं। मरीना देश में एक नागरिक अधिकार समूह की प्रमुख हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, “देश में इस्लाम का प्रभाव बढ़ रहा है, हमारी पारंपरिक मलय संस्कृति की कीमत पर इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।”

वर्ष 1957 में अपने स्वतंत्रता के बाद से ही मलेशिया में कट्टर इस्लाम ने अपना पांव फैलाना शुरू किया था। इसके बाद लगातार अपने शासन से United Malays National Organization ने इस देश को कट्टर इस्लाम के कुएं में धकेल दिया।

1980 के दशक के मध्य में, कट्टरपंथी इंडोनेशियाई प्रचारकों अबू बकर बशीर और हम्बली ने मलेशिया में चरमपंथियों का एक क्षेत्रीय नेटवर्क स्थापित किया। इसी कट्टरता का यह परिणाम है कि आज, जाकिर नाइक जैसे कट्टर वहाबी प्रचारक जो कि भारत में प्रतिबंधित है उसे मलेशियाई सरकार पनाह देती है वहीं, तुर्की के मुस्तफा अकील जैसे नरमपंथी को गिरफ्तार करती है।

Associated Press (AP) के अनुसार, मलेशिया में अधिकारियों ने पिछले दो वर्षों में आईएसआईएस से संदिग्ध संबंधों के लिए 160 से अधिक को गिरफ्तार किया है। बीते सालों में मलेशिया में उग्रवाद और आतंकवाद बढ़ा है। साल 2013 से 2016 के बीच तकरीबन 250 लोगों को इस्लामिक स्टेट के साथ संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया था।

मलेशिया में कट्टरता इतनी बढ़ चुकी है कि वहां स्वर्ण पदक जीतने वाले जिमनास्ट की पोशाक तक की आलोचना हो चुकी है। 21 वर्षीय जिमनास्ट फराह अन अब्दुल हादी द्वारा पहनी गयी एक ड्रेस को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए मलेशिया की एक सांसद सिती जैलाह ने सरकार से महिलाओं पर होने वाले यौन अपराधों की रोकथाम के लिए ऐसे कपड़ों पर रोक लगाने की मांग की थी। यही नहीं मलेशिया की सरकार बियर उत्सव पर प्रतिबंध लगाती है और सामाजिक न्याय और महिलाओं के समान अधिकारों से इनकार करती है।

इस्लामवादियों ने इंडोनेशिया और मलेशिया में कमजोर सार्वजनिक स्कूल प्रणालियों का लाभ उठाया है, सभ्य, धार्मिक रूप से उन्मुख स्कूलों का निर्माण किया है और परिणामस्वरूप, अधिक रूढ़िवादी मूल्यों वाले युवाओं को भड़का रहे हैं। 2011 और 2017 के बीच मलेशिया में कुछ 900 नए निजी इस्लामिक स्कूल खोले गये। इस्लामी नेताओं के विरोध के चलते मलेशिया में दो बार बियर फेस्टिवल रद्द कर दिया गया। मलेशिया में सरकार ने ऐसे संसदीय बिल का समर्थन किया है जो मलेशिया के कलांतन राज्य में मुस्लिमों पर लागू किए जाने वाले शरिया कानूनों का दायरा बढ़ाता है। जून 2014 में, UMNO की एक शाखा की 20 वीं वर्षगांठ मनाते हुए, पार्टी अध्यक्ष और तत्कालीन प्रधानमंत्री नजीब रजाक ने अपनी पार्टी के सदस्यों से आह्वान किया था कि वे UMNO के अस्तित्व को बचाने के लिए ISIS का अनुकरण करें।

अब जब की महातिर मोहम्मद की पार्टी United Malays National Organization ने पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी(PAS) जैसे रूढ़िवादी दल के साथ गठबंधन कर लिया है तब मलेशिया का इस तरह से कट्टर इस्लामिकरण की तरफ बढ़ना कोई नई बात नहीं है।

बता दें कि प्राचीन काल से भारत में मलेशिया के बारे में जानकारी थी। रामायण, जातक कथाओं, मिलिन्दपण्ह, शिल्पादिकरम् तथा रघुवंश नामक महाकाव्यों में मलेशिया का उल्लेख मिलता है। मलेशिया के केडाह तथा वैलेस्ली आदि प्रान्तों से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि वहां शैव धर्म प्रचलित था। यहां से कुछ ऐसी देवियों की मूर्तियां भी मिली हैं जिनके हाथ में त्रिशूल है। अन्य मूर्तियों में सातवीं और आठवीं सदी से संबंधित ग्रेनाइट का नन्दी-शीर्ष, दुर्गा-प्रतिमा तथा गणेश मूर्ति आदि विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुई हैं। प्राचीन काल में मलेशिया में ब्राह्मी लिपि के परवर्ती रूप का ही प्रयोग किया जाता था। केडाह नामक स्थान से कुछ ऐसे बौद्ध ग्रंथों के अंश मिले हैं जो पुरानी पाली से मिलती जुलती किसी लिपि में लिखे गए हैं। संस्कृत वहां की स्रोत भाषा रही है। वहां की भाषा में कई ऐसे शब्दों का प्रयोग भी आमतौर पर किया जाता है जो संस्कृत भाषा से लिए गये हैं।

इससे यह स्पष्ट होता है कि मलेशिया अभी नया नया परिवर्तित इस्लामिक राष्ट्र है जो वहाबी इस्लाम के समक्ष अपनी निष्ठा दिखाने की कोशिश कर रहा है। वास्तव में मलेशिया का कश्मीर पर बयान देने का कोई तुक ही नहीं बनता है क्योंकि न ही उसके पास किसी प्रकार का अधिकार है और न ही वह कश्मीर से किसी प्रकार से जुड़ा है। इससे यही साबित होता है कि वह अपने पश्चिम के इस्लामिक देशों के बीच अपने आप को एक कट्टर इस्लामी देश की मिसाल पेश करने की कोशिश कर रहा है।

Exit mobile version