26 प्रकार के लड़ाकू विमान उड़ाने वाले RKS भदौरिया को कई कारणों से वायुसेना का चीफ बनाया जा रहा है

वायुसेना

PC: Patrika

गुरुवार को वायु सेना के नए चीफ की घोषणा हुई। सरकार ने एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया को वायुसेना का नया चीफ बनाया गया है। वो एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का स्थान लेंगे। धनोआ 30 सितंबर को चीफ ऑफ एयर स्टाफ के पद से रिटायर हो रहे हैं। फिलहाल एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया वाइस चीफ ऑफ द एयर स्टाफ हैं। लेकिन यह 28 वर्षों बाद ऐसा हो रहा है जब सरकार वायु सेना के अधिकारी को एक्सटेन्शन देकर एयर चीफ मार्शल बनाने जा रही है। सर्विस चीफ का कार्यकाल तय करने के आमतौर पर दो नियम हैं। पहला 62 की उम्र होने तक और दूसरा तीन साल का कार्यकाल। दोनों में से जो भी पहले आएगा, कार्यकाल पूरा होने के लिए वही मान्य होता है।

दरअसल, एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया भी एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ की तरह 30 सितंबर को ही रिटायर होने वाले थे। वायुसेना के इतिहास में 28 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब रिटायरमेंट के दिन उपप्रमुख को प्रमुख बनाया जा रहा है। वर्ष 1991 में एयर मार्शल एनसी सूरी भी ऐसी ही परिस्थिति में चीफ बने थे। भदौरिया दो साल तक यानी 62 की उम्र तक वायुसेना प्रमुख रहेंगे।

मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे एक सोची समझी रणनीति नज़र आ रही है। भदौरिया को एक्‍सटेंशन दिए जाने के पीछे एक दूसरी वजह उनकी राफेल सौदे में अहम भूमिका भी हो सकती है। वह फ्रांस से हुए इस सौदे को लेकर होने वाली वार्ता में बतौर डिप्‍टी चीफ शामिल हुए थे। अब मोदी सरकार यह चाहती है कि राफेल उनके रहते ही वायु सेना के बेड़े में शामिल हो जाए। यह भी उल्लेखित करना आवश्यक है कि भदौरिया उन गिने-चुने वायुसेना के अधिकारियों में से एक हैं जिन्‍हें राफेल विमान उड़ाने की ट्रेनिंग के लिए फ्रांस भेजा गया था। इसी वर्ष 12 जुलाई को उन्‍होंने फ्रांस के मोंटे डे मार्सन एयर बेस (French Air force’s Mont De Marsan Air Base) से राफेल उड़ाया था। इस दौरान उन्होंने इस बेहतरीन लड़ाकू विमान के तकनीकी पक्ष को भी अच्छे से जांचा था। इसलिए यह आवश्यक है कि वह राफेल की अगुवाई करें।

बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित पहला भारतीय राफेल लड़ाकू विमान लेने के लिए 8 अक्टूबर को फ्रांस जाएंगे। जानकारी के लिए बता दें कि 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस भी है, ऐसे में राफेल का मिलना भारत के लिए ऐतिहासिक तारीख साबित हो सकता है।

आपको बता दें कि अक्टूबर 2022 तक भारत को 36 राफेल विमान मिल जाएंगे। 36 लड़ाकू विमानों के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस और डसॉल्ट एविएशन के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। IAF पायलटों के एक समूह को पहले से ही विमान उड़ाने के लिए फ्रांस में प्रशिक्षित किया गया है, अभी भी प्रशिक्षण चल रही है। भारत-विशिष्ट राफेल जेट पर आरबी-01 चिन्हित है जो कि एयर चीफ बनने वाले एयर मार्शल आरके भदौरिया के नाम पर ही है।

भारत में राफेल को लेकर तैयारियां भी की जा रही हैं। वायुसेना अपनी ‘गोल्डन ऐरोज’ 17 स्क्वाड्रन को फिर शुरू करने की तैयारी में हैं। यह राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली इकाई होगी। ये विमान पश्चिम सीमा पर पाकिस्तानी खतरे से निपटेंगे। इसके बाद आने वाले अगले 18 जेट्स को 101 ‘फॉल्कन’ स्क्वाड्रन में पश्चिम बंगाल स्थित हरिमासा बेस पर तैनात किया जाएगा। ये विमान चीनी सीमा पर भारतीय वायुसेना को मजबूती प्रदान करेंगे।

नेशनल डिफेंस अकादमी से पासआउट एयर मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया के पास 4,250 घंटे उड़ान का अनुभव है। उनके पास 26 प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमान उड़ाने का अनुभव है। एयर मार्शल भदौरिया प्रायोगिक टेस्ट पायलट होने के साथ कैट ‘ए’ कैटेगरी के क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और पायलट अटैक इंस्ट्रक्टर भी हैं। भदौरिया को 26 अलग-अलग तरह के विमान उड़ाने का अनुभव है। अब तक उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं। वह देश के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र मोर्चे पर जगुआर स्क्वाड्रन के कमांडर रह चुके हैं। इसके अलावा वह फ्लाइट टेस्ट स्क्वाड्रन और सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के कमांडिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वह राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र में तेजस एलसीए प्रोजेक्ट के चीफ टेस्ट पायलट और प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुके हैं। ऐसे में अनुभवी भदौरिया वायुसेना को अगले दो सालों तक एक नई मजबूती प्रदान करेंगे।

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