आंकड़े बताते हैं कि अब भारतीयों को सिर्फ एक कार नहीं, बल्कि आधुनिक और शानदार कार चाहिए

अब सिर्फ ‘कार’ से काम नहीं चलने वाला

ऑटोमोबाइल कार

PC: samacharnama

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। देश की आजादी के बाद से ही ऑटोमोबाइल, कपड़ा और कृषि जैसे उद्योग क्षेत्रों में वृद्धि हुई है और देश की अर्थव्यवस्था के विकास में इन क्षेत्रों का बड़ा योगदान रहा है। हालांकि, पिछले कुछ समय से मीडिया में हमें अर्थव्यवस्था में मंदी आने की खबरें देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग अर्थव्यवस्था में मंदी आने के सबसे बड़े सबूत के रूप में ऑटोमोबाइल सेक्टर की दुर्दशा का मुद्दा उठा रहे हैं, और गाड़ियों की बिक्री में लगातार आ रही कमी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बुरा संकेत मान रहे हैं। हालांकि, इस वर्ष जहां कुछ लोग ऑटोमोबाइल सेक्टर में गिरती मांग को बड़े ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं, तो वहीं यही लोग इस बात पर एकदम चुप हैं कि कुछ कार ब्रांड्स ने इसी दौर में बेहद शानदार प्रदर्शन किया है।

दरअसल, भारत में शुरु से ही कार को एक लग्ज़री प्रोडक्ट मानने का प्रचलन रहा है। लोगों के लिए कार खरीदना एक स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है, और यही कारण था कि जैसे जैसे भारत के मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति मजबूत होती गई, ठीक वैसे-वैसे हमें कारों की बिक्री में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला। पिछले वर्ष तक ऑटोमोबाइल सेक्टर बहुत तेजी से विकास कर रहा था और इसके 2030 तक दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा था। हालांकि, पिछले कुछ समय में भारतीय युवाओं के कार को खरीदने के पीछे के मकसद में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। भारत के युवाओं को अब सिर्फ एक कार नहीं बल्कि एक ‘शानदार कार’ चाहिए जो ना केवल उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाला एक व्हिकल हो, बल्कि एक आरामदायक, आधुनिक फीचर्स वाली और बढ़िया दिखने वाली गाड़ी भी हो।

इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जहां एक तरफ भारत में बिकने वाले पारंपरिक कार ब्राण्ड्स की सेल में भारी कमी आई है, तो वहीं कुछ नए और शानदार कार ब्रांड ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। और ऐसे कार ब्रांड के उदाहरण हैं किया कार मेकर का ब्रांड सेल्टोस, टाटा हैरियर और एमजी हेक्टर। ये तीनों ही गाड़ियां मिड साइज़ SUVs हैं और ग्राहक इन्हें काफी पसंद कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी कथित मंदी के दौर में इन कारों की सेल उम्मीद से भी ज़्यादा देखने को मिली है। किया सेल्टोस की बात करें तो लॉंच होने के महज़ तीन हफ्तों के अंदर-अंदर करीब 23 हज़ार लोगों ने 25 हज़ार टोकन मनी के साथ इस गाड़ी को बुक कर लिया, और इसके साथ इस वर्ष में टॉप सेल्लिंग मिड-साइज SUVs की सूची में भी इस गाड़ी को ही पहला स्थान मिला है।

 

इसके अलावा टाटा हैरियर भी मार्केट में अच्छा प्रदर्शन करने वाला कार ब्रांड बन चुका है। इस साल जनवरी में टाटा ने इस ब्रांड को लॉंच किया था और अब तक 10 हज़ार लोगों ने इस गाड़ी को बुक किया है जबकि टाटा केवल 2000 गाड़ियों की ही डिलिवरी कर पाई है। इसके अलावा इस गाड़ी का वेटिंग टाइम पीरियड 4 महीने का है, यानि बाज़ार में इस गाड़ी को लेकर काफी उत्साह है। इस वर्ष में टॉप सेल्लिंग मिड-साइज SUVs की सूची में भी इस गाड़ी को चौथा स्थान मिला है।

इन दो कारों के अलावा एमजी हेक्टर का प्रदर्शन भी बेहद शानदार रहा है। अभी हाल ही में इस गाड़ी को लॉन्च किया गया था और अब तक 21 हज़ार लोग इस गाड़ी को बुक भी कर चुके हैं। इस कार को प्रॉडक्शन क्षमता से ज्यादा बेहतर रिस्पॉन्स मिला, और वो भी इसी कथित मंदी के दौर में।

ये सभी गाड़ियां फीचर्स के मामले में भी बेहतर हैं और दिखने में भी बेहद शानदार हैं, और यही कारण है कि इन गाड़ियों की बिक्री में हमें तेज़ी देखने को मिली है। इन गाड़ियों को ग्राहकों द्वारा मिले रिस्पांस से यह स्पष्ट होता है कि अगर ग्राहकों को बेहतर सुविधाओं वाली गाड़ी उपलब्ध कराई जाए तो वे जरूर खरीदेंगे, जो शायद उन्हें ट्रेडीशनल कार मेकर्स उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।

इसलिए हमें यह कहने में बिल्कुल भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि भारत के अधिकतर कार मेकर्स द्वारा बनाई जा रही गाड़ियां ग्राहकों की मांग के अनुरूप नहीं हैं और यही वजह है कि वो इन गाड़ियों को खरीदने में कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं। मारुति जैसे भारत के कुछ ब्रांड अपने नए मॉडल्स को लेकर भी आते हैं तो भी वे भारत के युवा ग्राहकों को आकर्षित करने में असफल रहते हैं। ऐसे में अब ऑटोमोबाइल सेक्टर को गाड़ियों की संख्या पर नहीं बल्कि गाड़ियों की क्वालिटी पर ध्यान देने की ज़रूरत है, क्योंकि यह स्पष्ट हो चुका है कि अगर भारत के ग्राहकों को अच्छी गाड़ियां उपलब्ध कराई जायें, तो वे उन्हें ज़रूर खरीदते हैं।

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