‘पीओके भारत का हिस्सा है’ मालदीव की संसद में नारायण सिंह ने पाकिस्तान को दिखाई उसकी औकात

पाकिस्तान मालदीव

(PC: RSTV)

पाकिस्तानी मूल के लोग पूरी दुनिया में अव्यवस्था फैलाने के लिए जाने जाते हैं। ये लोग जिस देश में भी जाते हैं, उस देश के लिए सरदर्द का कारण बन जाते हैं। यही कारण है कि अब सऊदी अरब और यूएई जैसे पारंपरिक तौर पर पाकिस्तान के समर्थक रहे देश भी पाकिस्तानियों को चुन-चुन कर उनके देश वापस भेज रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तानी फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा ही हमे तब देखने को मिला जब मालदीव की संसद में रविवार को दो दिवसीय चौथी दक्षिण एशियाई स्पीकर्स समिट के दौरान पाकिस्तान की ओर से इस सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे कासिम सूरी ने अपने विवादित भाषण से पूरी मालदीव की संसद को हाईजैक कर लिया। अपने भाषण के शुरू में ही उन्होंने भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले का ज़िक्र किया। भारत के आंतरिक मुद्दे को इस तरह एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाए जाने से वहां मौजूद भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का पुरजोर विरोध किया और मालदीव की संसद में कुछ समय के लिए जमकर हँगामा हुआ।

बता दें कि ‘सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति’  विषय पर दक्षिण एशियाई देशों की संसदों के अध्यक्षों के चौथे शिखर सम्मेलन का आयोजन मालदीव में हो रहा है। भारत की ओर से भी इस सम्मेलन में राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने हिस्सा लिया। वहीं पाकिस्तानी संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी भी इस सम्मेलन में पहुंचे हुए थे।

जब कासिम सूरी को अपना भाषण देने का मौका दिया गया, तो उन्होंने निर्धारित विषय पर ना बोलकर कश्मीर मुद्दे पर अपना राग अलापना शुरू कर दिया। पाकिस्तान की तरफ ऐसी हरकत की आशंका के चलते भारत ने अपनी पूरी तैयारी कर रखी थी। इस बारे में मालदीव सरकार को भी चेता दिया गया था। मालदीव सरकार व स्पीकर नशीद ने भी पहले ही पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को यह मुद्दा नहीं उठाने के लिए कहा था। इसके बावजूद पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल पहले से सोची गई साजिश के तहत यह मुद्दा उठाने से बाज नहीं आया।

हालांकि, इस सम्मेलन में भारत की ओर से पहुंचे हरिवंश नारायण सिंह ने पाकिस्तानी स्पीकर के एजेंडे पर तुरंत पानी फेर दिया। उन्होंने तुरंत पाकिस्तानी स्पीकर का विरोध जताया और कहा ‘हम इस फोरम में भारत का आंतरिक मुद्दा उठाने की कोशिश की कड़ी निंदा करते हैं। हम इस शिखर सम्मेलन के विषय से इतर मुद्दों को उठाकर इस फोरम का राजनीतिकरण करने की कोशिश को भी खारिज करते हैं’। सिंह ने एक बार फिर पाकिस्तान को आतंक का समर्थन करने की कोशिश से बाज आने की नसीहत दी। सिंह ने पाकिस्तान को ‘आतंक का पालक’ करार देते हुए कहा, ‘क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए पाकिस्तान को तत्काल सीमा पार आतंकवाद पर अंकुश लगाने के साथ इसे अपना समर्थन देना बंद करना चाहिए’। सिंह ने पाकिस्तान को अपने ही लोगों (बांग्लादेश) के नरसंहार के लिए झिड़कते हुए कहा कि ऐसे देश को कश्मीर का मुद्दा उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

हरिवंश नारायण सिंह ने बाद में पाकिस्तान की तरफ से शिखर सम्मेलन के विषय से हटकर उठाए गए मुद्दे को कार्रवाई से हटाए जाने की मांग की और इसके बाद मालदीव के स्पीकर नशीद ने उन्हें कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की तरफ से कही गई सारी बात को रिकॉर्ड से हटाए जाने का आश्वासन भी दिया। यानि भारत ने पूरी तरह पाकिस्तानी एजेंडे को धराशायी कर दिया और पाकिस्तान को एक बार फिर हताशा ही हाथ लगी।

कश्मीर मुद्दे पर पूरी दुनिया ने भारत का ही साथ दिया है और पाकिस्तान को हर जगह से मुंह की खानी पड़ी है। फिर चाहे वह ओआईसी हो या यूएनएससी, हर अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाने का काम किया है। अगर चीन को छोड़ दिया जाए, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का किसी भी देश ने साथ नहीं दिया है। उसे उम्मीद थी कि मालदीव में इस अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर कश्मीर मुद्दे को उठाकर शायद पाकिस्तान की कोई सुध ले ले, लेकिन यहां भी उसके नसीब में सिर्फ लताड़ ही लिखी हुई थी। पाकिस्तान के लिए अब यही अच्छा है कि वह अब कश्मीर मुद्दे को छोड़कर अपने घर के हालातों को ठीक करने पर ध्यान लगाए।

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