पीएम मोदी ने साइप्रस-आर्मेनिया के जरिये तुर्की को दिया कूटनीतिक जवाब

PC: yenisafak.com

भारत द्वारा कश्मीर पर लिए गए ऐतिहासिक फैसले पर अपना एजेंडा चला रहे पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अब तक फटकार ही मिली है, लेकिन तुर्की एक मात्र ऐसा देश है जिसने कश्मीर मामले पर भारत-विरोधी रुख अपनाया है। इसी का एक और उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि न्याय और समानता के आधार पर संवाद के जरिये कश्मीर मसले का समाधान निकालना जरूरी है, ना कि टकराव के रास्ते से। तुर्की के इस भारत-विरोधी रुख को लेकर भारत का रुख यूं तो अभी तक असपष्ट ही रहा था लेकिन UN से भारत के प्रधानमंत्री ने तुर्की के लिए एक ऐसा संदेश भेजा है जो इस देश की रातों की नींद उड़ाने के लिए काफी होगा।

दरअसल, पीएम मोदी यूएन जनरल असेंबली में भाषण देने के लिए अमेरिका के न्यूयॉर्क में हैं और इसी बीच उन्होंने तुर्की के एक पड़ोसी देश साइप्रस से मुलाक़ात की। साइप्रस के राष्ट्रपति से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत साइप्रस की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतन्त्रता का सम्मान करता है। भारत के पीएम के साथ साइप्रस के राष्ट्रपति की मुलाक़ात इसलिए काफी अहम हो जाती है क्योंकि साइप्रस तुर्की का एक पड़ोसी देश है और तुर्की के साथ इस देश के बेहद खराब रिश्ते हैं। और केवल खराब रिश्ते नहीं, तुर्की ने तो साइप्रस के कुछ उत्तरी इलाकों पर कब्जा तक किया हुआ है।  इसके अलावा तुर्की समय-समय पर साइप्रस के खिलाफ धमकी भी जारी करता रहता है। अब माना जा रहा है कि साइप्रस के साथ नजदीकी बढ़ाकर भारत तुर्की को एक बेहद सख्त संदेश देना चाहता है।

पीएम मोदी ने केवल साइप्रस से ही नहीं, बल्कि तुर्की के एक और पड़ोसी देश आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान से भी मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने आर्मेनिया के हित और जरूरतों के अनुसार आर्मेनिया संग भारत की विकास साझेदारी को मजबूत करने की पेशकश की। बता दें कि आर्मेनिया के तुर्की के साथ रिश्ते भी तनावपूर्ण रहते हैं। इसी वर्ष आर्मेनिया के खिलाफ तुर्की के राष्ट्रपति ने बेहद आपत्तिजनक ट्वीट भी किया था। उन्होंने कहा था कि ओटोमन एम्पायर के समय 20वीं सदी की शुरुआत में अर्मेनियन लोगों का नरसंहार उस समय के हिसाब से बिलकुल उचित कदम था

तुर्की के राष्ट्रपति की ओर से इस तरह का बयान आना आर्मेनिया को बिलकुल भी पसंद नहीं आया था और आर्मेनिया ने तुर्की की इसके लिए कड़ी निंदा की थी

साफ है कि जब तुर्की भारत के खिलाफ लगातार बयानबाजी करके अपना एजेंडा चला रहा है तो वहीं अब भारत ने भी उसको मज़ा चखाने का मन बना लिया है। यही कारण है कि अब भारत तुर्की के दुश्मनों के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है, और उनके हितों की रक्षा करने की बात कर रहा है। अब तुर्की को भी समझ लेना चाहिए कि भारत के खिलाफ अपना एजेंडा चलाकर उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला, और उसका हित भारत के साथ ही खड़ा होने में है।

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