हिंदी थोपने का आरोप लगाने वालों को PM मोदी ने ह्यूस्टन से दिया 6 से अधिक भाषाओं में जवाब

पीएम मोदी

PC: hindustantimes

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर में अपनी ‘वाकपटुता’, धारदार और धाराप्रवाह भाषण के लिए खूब लोकप्रिय हैं। रविवार रात अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में उन्होंने अपने कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ को संबोधित किया और सम्बोधन के दौरान हिन्दी ही नहीं बल्कि भारत में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में जवाब देकर, मोदी सरकार के ऊपर हिन्दी थोपने के आरोप को करारा जवाब दे दिया।

दरअसल, ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में ‘हाउडी, मोदी’ कार्यक्रम में 50,000 भारतीय-अमेरिकियों के जनसमूह का अभिवादन करते हुए पीएम मोदी ने पूछा, ‘‘हाउडी, माय फ्रेंड्स (मेरे मित्रों)?’’ इसके बाद उन्होंने जनसमूह से कहा, ‘‘अगर आप मुझसे पूछोगे, ‘हाउडी, मोदी’ तो मेरा जवाब है, भारत में सबकुछ अच्छा है। वह यहीं नहीं रुके और भारत में भाषाओं की विविधता पर जोर देते हुए उन्होंने 6 भाषाओं में जवाब देते हुए कहा, “सब चंगे सी, मजामा छे, एलम सौकियाम, सब खूब भालो, सबू भाल्लाछी।” बता दें कि अमेरिका के पश्चिमी राज्यों में हाउडी का काफी प्रचलन है और हाउडी का मतलब होता है, “आप कैसे हैं”। इस तरह से हाउडी मोदी का मतलब हुआ कि ‘मोदी जी आप कैसे हैं’। पीएम मोदी ने इसका जबाव 6 अलग-अलग भाषाओं में देकर समां बांध दिया और भारत में उनके ऊपर हिन्दी थोपने का आरोप लगाने वालों को भी यह बता दिया कि राष्ट्र और राष्ट्र की विविधता ही उनके लिए सर्वोपरि है।

इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की मौजूदगी में वहां मौजूद अमेरिकी नागरिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे अमेरिकी मित्र इससे आश्चर्यचकित हैं कि मैंने क्या कह दिया। प्रेसीडेंट ट्रंप और मेरे अमेरिकी मित्रों, मैंने भारतीय भाषाओं में केवल यह कहा कि ‘सब कुछ ठीक है’। उन्होंने भारत की अनेकता में एकता को समझाते हुए कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं, विभिन्न संस्कृति, विभिन्न खानपान के साथ विविधताओं से भरपूर है और यही इसकी अनूठी पहचान है और ताकत भी। उन्होंने कहा, “हमारा जीवंत लोकतंत्र हमारा आधार है और यही हमारी प्रेरणा है।” आगे उन्होंने कहा, “हमारी लिबरल और डेमोक्रेटिक सोसायटी की बहुत बड़ी पहचान है, सदियों से हमारे देश में सैकड़ों भाषा या सैकड़ों बोलियां भावनाओं के साथ आगे बढ़ रही हैं और आज भी करोड़ों लोगों की मातृभाषा बनी हुई हैं।”

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट करते हुये कहा कि अलग-अलग पूजा पद्धति या सैकड़ों तरह का अलग-अलग क्षेत्रीय खानपान, अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग वेशभूषा, अलग-अलग मौसम, ऋतु चक्र इस धरती को अद्भुत बनाते हैं। विविधता में एकता यही हमारी धरोहर है। यही हमारी विशेषता है, भारत की यही डायवर्सिटी हमारी वाइब्रेंट डेमोक्रेसी का आधार है।‘

प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह अंतराष्ट्रीय मंच से भारत की विभिन्न भाषाओं में जवाब दे कर उन सभी विरोधियों को चुप करा दिया जो सरकार को गैर हिंदी भाषियों पर हिन्दी थोपने का आरोप लगा रहे थे और तरह-तरह की टिप्पणियां कर देश में उनके खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास कर रहे थे।

दरअसल, 14 सितंबर यानि हिन्दी दिवस पर अमित शाह के एक भाषण के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हिन्दी थोपने का आरोप लगाया था। अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि “भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है लेकिन एक ऐसी का भाषा होना बहुत जरूरी है जो दुनिया में भारत की पहचान बन सके। अगर एक भाषा आज देश को एकजुट कर सकती है, तो यह व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा है।”

साथ ही एक बयान में गृह मंत्री ने कहा था, “’मुझे लगता है यह हमारी देश की सबसे बड़ी ताकत हैं। परंतु जरूरत है देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे पुरखों और स्वतंत्रता सेनानियों ने राजभाषा की कल्पना की थी और राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था।’ उन्होंने आगे कहा, “मैं मानता हूं कि हिंदी को बल देना, प्रचारित करना, प्रसारित करना, संशोधित करना, उसके व्याकरण का शुद्धिकरण करना, इसके साहित्य को नए युग में ले जाना चाहे वो गद्य हो या पद्य हमारा दायित्व है।”

अमित शाह के इस बयान के बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया और सरकार पर गैर हिंदी भाषियों पर हिन्दी थोपने का आरोप लगाने लगे। तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने शाह के बयान का विरोध करते हुए कहा था कि हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध करते रहे हैं। वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया- हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। क्या आप इस देश की विभिन्नताओं और अलग-अलग मातृभाषाओं की सुंदरता की तारीफ कर सकते हैं। एमडीएमके चीफ वाइको ने कहा कि भारत में अगर हिंदी थोपी गई, तो देश बंट जाएगा। हमारे पास केवल एक ‘हिंदी इंडिया’ होगा। इस बयान पर सियासी बवाल मचने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने कभी भी दूसरे क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी भाषा थोपने की बात नहीं की थी। बल्कि उन्होंने आग्रह करते हुए कहा था कि एक मातृभाषा सीखने के बाद दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी सीखा जा सकता है। मैं खुद एक गैर हिंदी भाषी राज्य गुजरात से आता हूं। अगर कोई व्यक्ति इसपर राजनीति करना चाहता है तो वह उसकी इच्छा है।’

फिर भी विपक्ष और लेफ्ट लिबरल ब्रिगेड मोदी सरकार को विलेन बनाने पर तुली थी। लेकिन पीएम मोदी ने ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम से 6 भाषाओं में जवाब देकर हिन्दी थोपने का आरोप लगाने वालों को एक कड़ा संदेश देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने देश कि विविधताओं पर वह कितना गर्व करते हैं। उन्होंने भारतीय भाषाओं का प्रयोग कर न सिर्फ देश की विविधताओं को दर्शाया बल्कि अमेरिकी-भारतीयों में अपने मूल राष्ट्र के लिए एक देशभक्ति की भावना भी जगा दी जिससे वह अपने आप को भारत से जोड़ सकें। किसी भी व्यक्ति के अंदर देशभक्ति की भावना को जगाने का सबसे अच्छा माध्यम मातृभाषा होती है और पीएम मोदी ने ठीक वही किया। पीएम मोदी ने जिस तरह से विदेश में रह रहे भारतीयों को भाषा के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया उससे भारत व भारत की संस्कृति का मान विश्वभर में बढ़ा है।

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