वैश्विक तनाव के बीच पीएम मोदी करेंगे रूस यात्रा, नई सामरिक व आर्थिक नीतियों से रिश्ते होंगे मजबूत

पीएम मोदी

PC: Zeenews

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पीएम मोदी कूटनीतिक तौर पर पहले से ज़्यादा एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पीएम मोदी अब तक फ्रांस, यूएई और बहरीन जैसे देशों का दौरा कर चुके हैं और इसके साथ ही वे जी7 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा ले चुके हैं। अब पीएम मोदी 4 सितंबर को दो दिन की रूस यात्रा पर जा रहे हैं। वह 5 सितंबर को व्लादीवोस्टक में आयोजित ‘ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम’ के चीफ गेस्ट होंगे।

इस दौरान वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। पीएम मोदी और पुतिन की मुलाक़ात ऐसे समय में होने जा रही है जब विश्व एक तनाव-भरे दौर से गुजर रहा है। एक तरफ हाँग काँग में लोकतन्त्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर चीन सैन्य कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है, तो वहीं अमेरिका के दो साथियों यानि जापान और साउथ कोरिया के रिश्तों में तनाव अपनी चरम सीमा पर है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनाव चल रहा है और अमेरिका चीन के बीच व्यापार युद्ध अपने ज़ोरों पर है। ऐसे में दो बड़े वैश्विक नेताओं की मुलाक़ात पर सभी की नज़र टिकी हुई है।

पीएम मोदी अपनी इस रूस यात्रा पर जहां एक तरफ रूस और भारत के द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, तो वहीं दक्षिण एशिया में बढ़ते चीन के वर्चस्व को रोकने में भी दोनों देश अहम भूमिका निभा सकते हैं। पीएम मोदी अपने रूस दौरे पर रूस के साथ लगभग 25 समझौतों पर अंतिम मुहर लगा सकते हैं। इस दौरान 4 सितंबर को पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के साथ वन-टु-वन डिनर भी करेंगे। डिनर के दौरान दोनों नेता अपनी व्यक्तिगत रिश्तों को और मजबूत करेंगे तथा अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे प्रमुख वैश्विक मसलों पर प्रभावी समन्वय कायम करने के लिए कदम उठाने पर रणनीति बनाएँगे। रूस के राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाखोव ने रूसी मीडिया को हाल में बताया था कि, ‘ऐसी बातचीत के दौरान मुख्य अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय समस्याओं, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में समन्वय आदि पर काफी भरोसे और और स्पष्टता के साथ चर्चा होती है।’ यानि साफ है कि इस चर्चा के दौरान पीएम मोदी और पुतिन सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे और अपनी भविष्य की विदेश नीति के निर्माण का ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे। यह देखना बड़ा ही जरूरी होगा कि बड़े वैश्विक मुद्दों पर भारत और रूस जैसे देश क्या मत रखते हैं, फिर चाहे वह हाँग काँग का मामला हो, या फिर चीन और अमेरिका के बीच जारी व्यापार युद्ध का!

रूस को अभी भारत जैसे शक्तिशाली देश के साथ की बड़ी ज़रूरत है। रूस और भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में पारंपरिक तौर पर व्यापारिक रिश्ते बड़े मजबूत रहे हैं। हालांकि, वर्ष 2014 के बाद से रूस से भारत में होने वाले सैन्य हथियारों के आयात में भारी कमी आई है। पिछले कुछ समय में भारत ने अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों से बड़े रक्षा सौदे किए हैं, और रूस इसी बात से चिंतित है। अब रूस भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को बढ़ावा देना चाहता है और इसी दिशा में दोनों देशों द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2025 तक 30 बिलियन यूएस डॉलर तक ले जाना चाहते हैं और इसमें दोनों देशों का ही फायदा होगा। अभी रूस चीन के साथ बड़ी मात्रा में व्यापार करता है लेकिन चीन के साथ रूस का ट्रेड डेफ़िसिट है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2016 में चीन को रूस ने 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक्सपोर्ट किया था जबकि इसी दौरान चीन से रूस ने 38 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट किया था।

अपनी रूस यात्रा से पीएम मोदी जहां एक ओर भारत और रूस के आर्थिक सम्बन्धों को और ज़्यादा मजबूत करने का काम करेंगे तो वहीं दूसरी ओर दो बड़े वैश्विक नेताओं की मुलाक़ात से ग्लोबल पॉलिटिक्स और जियोपॉलिटिक्स पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा। पीएम मोदी को इस वर्ष के ‘ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम’ में एक मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाना इस बात को भी दर्शाता है कि भारत की आर्थिक क्षमता को अब दुनिया के सभी देश स्वीकार कर रहे हैं और हर कोई भारत में अपार आर्थिक संभावनाओं को पहचान चुका है। पिछले दिनों जी7 में भारत को निमंत्रण दिया जाना भी इसी बात का एक सबूत था। ये पिछले 5 सालों में पीएम मोदी की सफल कूटनीति का ही नतीजा है कि अब हर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर भारत के पक्ष को भी गौर से सुना जाता है और रूस जैसी महाशक्तियां भारत के साथ अपने रिश्तों को महत्व दे रही हैं।

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