हमारे देश के आंतरिक मामलों में न पड़ो वरना पछताओगे, भारत-रूस ने दुनिया को दिया कड़ा संदेश

रूस पीएम मोदी

PC: sputniknews

पीएम मोदी रूस के दौरे पर हैं जहां उनको रूस के शहर व्लाडीवोस्टक में 4 से 6 सितंबर तक चलने वाले ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। इसी दौरान भारत और रूस के बीच हर साल आयोजित होने वाली द्विपक्षीय वार्ता का भी आयोजन हुआ। इसके बाद पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस को संबोधित किया और इस दौरान पीएम मोदी ने उन सभी देशों को एक कड़ा संदेश भेजा जो कश्मीर मुद्दे पर बार-बार अपनी टांग अड़ा रहे हैं और भारत के इस आंतरिक मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस दोनों ही अपने आंतरिक मामलों में किसी ‘बाहरी देश की दखलंदाजी’ के खिलाफ हैं। यह भारत और रूस का साझा बयान था, जिसका मतलब है कि जो बात वहां पीएम मोदी बोल रहे थे, उसका रूस भी 100 प्रतिशत समर्थन करता है। अपने इस बयान से पीएम मोदी ने पाकिस्तान और चीन जैसे देशों का नाम लिए बिना उनको चेतावनी देने का काम किया और उनको यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के आंतरिक मुद्दे से दूर रहने में ही उनकी भलाई होगी।

बता दें कि जब से भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया है, तभी से पाकिस्तान के पेट में दर्द थमने का नाम नहीं ले रहा है। इतना ही नहीं, चीन भी भारत के इस कदम को ‘अस्वीकार्य’ करार चुका है। जबकि भारत का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाना पूरी तरह भारत का आंतरिक मुद्दा है। अब जब भारत और रूस ने अपने साझा बयान में इस बात को दोहराया है, तो यह पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।

यह एक कड़े संदेश के साथ-साथ पाकिस्तान को तगड़ा झटका भी है। दरअसल, अमेरिका से खराब होते रिश्तों के बीच पाकिस्तान रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के साथ अपने रिश्ते सुधारना चाहता है, लेकिन रूस जिस तरह कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा हुआ है, उससे पाकिस्तान की सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अभी पाकिस्तान के अमेरिका के साथ रिश्ते बेहद खराब चल रहे हैं, कश्मीर मुद्दे पर रूस भी भारत का समर्थन कर रहा है, और बचा चीन, जो भारत के खिलाफ बोल तो रहा है, लेकिन दबी आवाज़ में, ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान जैसे भूखे और भिखारी देश के लिए वह भारत के साथ अपने रिश्तों को खराब नहीं करना चाहता। पाकिस्तान के साथ चीन का द्विपक्षीय ट्रेड महज़ 15 बिलियन डॉलर का है, जबकि भारत और चीन का द्विपक्षीय ट्रेड लगभग 95 बिलियन डॉलर का है, ऐसे में पाकिस्तान चीन के माध्यम से भी भारत पर कोई दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है।

भारत और रूस के रिश्ते शुरू से ही मधुर रहे हैं और इसी का एक सबूत हमें कश्मीर मुद्दे पर देखने को मिला है। यही कारण है कि इस वर्ष के ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में रूस ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को इतना सम्मान दिया है। यूएन सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य होने के नाते रूस ने हमेशा से भारत का साथ दिया है और यही कारण है कि अब भारत भी रूस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। रूस अपने कम विकसित पूर्वोत्तर इलाकों में निवेश चाहता है और भारत ने इसमें अपनी रूचि दिखाई है। यानि स्पष्ट है कि भारत और रूस के रिश्ते आपसी फायदे की नींव पर आधारित हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व में इनमें और मजबूती आने की संभावना है।

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