इसरो का चंद्रयान 2 मिशन 95 प्रतिशत तक सफल रहा। इसरो सफलतापूर्वक अपना ऑर्बिटर चांद की कक्षा में स्थापित करने में सफल रहा लेकिन चांद की सतह पर उतरने से ठीक पहले इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया, ऐसे में चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बनने से भारत चूक गया। ये सभी के लिए भावुक पल था और उन पलों ने इसरो के अध्यक्ष सिवन को भी भावुक कर दिया। इसरो हेड्क्वार्टर में मौजूद सभी वैज्ञानिक इसके बाद मायूस हो गए लेकिन पीएम मोदी ने उनका हौसला बढ़ाने में देर नहीं लगाई। अपने जोशीले भाषण से उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को जोश से भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद जब पीएम मोदी इसरो सेंटर से जाने लगे तो उनके साथ चल रहे इसरो चीफ दोबारा भावुक हो गए और फिर जो हुआ उसने सभी को भावुक होने पर मजबूर कर दिया।
#WATCH PM Narendra Modi hugged and consoled ISRO Chief K Sivan after he(Sivan) broke down. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/R1d0C4LjAh
— ANI (@ANI) September 7, 2019
पीएम मोदी ने उन्हें अपने गले से लगाया और उनकी पीठ थपथपाई। यह बेहद भावुक पल था और इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी ढेरों प्रतिक्रिया आईं। सभी ने इसरो चीफ के साथ-साथ पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की, हालांकि इस दौरान कुछ ऐसे लोग भी थे जो यहां भी नफरत फैलाने से बाज़ नहीं आए। यकीन मानिए, ये पल इतने भावुक थे कि इनको देखकर किसी की भी आँखों में आँसू आ जाते, लेकिन इसके बावजूद कुछ एजेंडावादी लोगों ने जहां एक तरफ इसे पीएम मोदी का पब्लिसिटी स्टंट बताया, तो वहीं मानसिक संतुलन खो चुके कुछ लोगों ने इसरो चीफ सिवन के रोने पर ही सवाल उठा दिये।
ऐसे ही लोगों में सबसे पहला नाम आता है एक ट्विटर यूजर गौरव पांधी का! अपने आप को राजनीतिक विश्लेषक कहने वाले इस शख्स की विश्लेषण करने के कौशल को आप इसी बात से समझ सकते हैं कि उन्होंने इसरो चीफ के भावुक होने की तुलना एक छोटे बच्चे के रोने से कर डाली। उन्होंने ट्वीट किया ‘मैं इसरो चीफ से एक बेहतर संयम की उम्मीद कर रहा था। लोग असफल होते हैं और भविष्य में सफलता के लिए आगे बढ़ते हैं। इसरो की उपलब्धियों को पूरे विश्व ने माना है और उनकी सराहना की है। हालांकि, इसरो चीफ जैसे कद के व्यक्ति का इस तरह बच्चे की तरह रोना मुझे बेहद बेवकूफाना लगता है’। गौरव पांधी जैसे तथाकथित राजनीतिक विश्लेषक को आज हम यह बताना चाहेंगे कि इन्सानों में इमोशन्स यानि भाव मौजूद होते हैं जो व्यक्ति को कभी हंसने पर, तो कभी रोने पर मजबूर करते हैं। एक भावहीन व्यक्ति ही इस तरह की बेहद बेतुकी बात कर सकता है।
I was expecting better temperament from the @ISRO chairman. Failures happen and are stepping stones for the success ahead. ISRO's achievements and efforts are applauded by the entire world. A man of his stature crying like a baby because of shortfalls looks idiotic to me. pic.twitter.com/hLIlzBmlAP
— Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) September 7, 2019
इसी तरह की मानसिकता वाले कुछ लोगों ने ट्विटर पर यह भी लिखा कि यह पूरा ड्रामा करने की पीएम मोदी को कोई ज़रूरत नहीं थी, और हर चीज़ सिर्फ पीआर और पब्लिसिटी स्टंट के लिए नहीं की जाती। यहां तक कि एक ट्विटर यूजर ने तो यह बकवास तक कर डाली कि इसरो चीफ इसलिए नहीं रो रहे हैं कि चंद्रयान 2 मिशन फेल हो गया है, बल्कि इसलिए रो रहे हैं कि वो चंद्रयान-2 की सफलता की आड़ में होने वाले पीएम मोदी के पब्लिसिटी स्टंट को कामयाब नहीं कर पाये।
https://twitter.com/dineshwadera/status/1170196746661548032?s=20
Hume RODU @isro head nahi chahiye… should have to kick him out immediately… we need strong & courageous ISRO head…
Woh Ro raha tha kyo ki woh modi ka publicity stunt ko success nahi kar paya… es liye nahi ki #Chandrayaan2 fail ho gaya …— Maddy Bhai 💗 (@with_rahul_ji) September 7, 2019
A political figure should not enforce his presence during such missions. Modi was a cause of extreme pressure and panic for the entire ISRO team.. All for Modi's publicity stunt.
— SilentObserver (@JustFactFinder) September 7, 2019
हालांकि, सोशल मीडिया पर अधिकतर लोगों ने इन पलों को भावुक कर देने वाला पल बताया और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। सकारात्मक प्रतिक्रिया देने वालों में इस बार वामपंथी दल के ऐसे लोग भी थे जो अक्सर ऐसे मुद्दों पर जहर फैलाने का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर बरखा दत्त ने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा ‘पीएम मोदी का गले लगाना इसरो चीफ को करोड़ो हिंदुस्तानियों द्वारा गले लगाने के समान था। बहुत बढ़िया जेस्चर! इसी की ज़रूरत थी। जो भी ऐसे पलों को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, वे लोग देश की एकता के खिलाफ काम कर रहे हैं’।
I think @narendramodi hug of a heart broken @isro chairman was a group hug of a billion plus people. A very fine gesture. And just what was needed. To criticise and politicise even this as some are doing is to deny any transcendental moments for the country to unite as one #ISRO
— barkha dutt (@BDUTT) September 7, 2019
इसी तरह वामपंथी लेखक और राजनीतिक विचारक जैनब सिकंदर ने ट्वीट किया ‘इसने मुझे रुला दिया, जिस तरह पीएम मोदी इसरो के वैज्ञानिक का ढांढस बंधा रहे हैं, वह बेहद प्रशंसनीय है’।
Ok this made me cry..
Really admirable the way Prime Minister Modi is consoling the scientist from ISRO.pic.twitter.com/DEzT9mtWzQ— Zainab Sikander (@zainabsikander) September 7, 2019
पीएम मोदी ने जिस तरह मायूस वैज्ञानिकों के बीच जाकर उनका हौसला बढ़ाने का काम किया है, वह उनकी शानदार नेतृत्व क्षमता को दिखाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था ‘वही लोग सफल नेता बनते हैं जो अपनी सफलता का श्रेय दूसरों को देना जानते हों और दूसरों की असफलता के समय उनका हौसला बढ़ाते हों, कल पीएम मोदी ने डॉ. कलाम की इन बातों का अनुसरण कर दिखा दिया कि वे ही एक ऐसे नेता हैं जिसकी आज के भारत को ज़रूरत है। इस दुनिया में नफरत फैलाने वाले की कोई कमी नहीं है और ऐसे में सभी को सकारात्मकता का माहौल बनाकर आगे बढ़ने की ज़रूरत है।