अमेरिकी हिन्दू सांसद तुलसी गबार्ड, जिनके खिलाफ अमेरिका का पूरा हिन्दू-विरोधी गैंग एकजुट हो गया है

तुलसी गबार्ड

PC: honolulumagazine

अमेरिका में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति ट्रम्प ही चुनावी मैदान में होंगे। इन चुनावों की खास बात यह है कि इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार एक हिन्दू भी हो सकता है। बता दें कि अमेरिका की मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद तुलसी गबार्ड चुनी जा सकती है और वे राष्ट्रपति पद की दौड़ की एक मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। अपने शानदार वक्ता कौशल और भारतीय समुदाय में बेहद लोकप्रिय होने की वज़ह से वे काफी मजबूत नेता मानी जा रही हैं, लेकिन ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं हैं जो हर बात पर उनके खिलाफ एजेंडा चलाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं और उनकी छवि को लगातार खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि खुद उनकी डेमोक्रेट्स पार्टी में ही ऐसे कई लोग मौजूद हैं।

दरअसल, पिछले दिनों अमेरिका में यह खबर फैलाई गई कि तुलसी गबार्ड ने पीएम मोदी के ह्यूस्टन में होने वाले ‘हाऊडी मोदी’ कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया है। चूंकि, गबार्ड हिंदू होने के नाते भारतीय मूल के लोगों के बीच लोकप्रिय रही हैं, ऐसे में इस खबर के सामने आने से भारतीय समुदाय के लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता पर गलत असर पड़ सकता था। हालांकि, बाद में यह न्यूज़ पूरी तरह से फेक साबित हुई। बाद में यह जानकारी मिली कि 22 सितंबर को तुलसी गबार्ड का आइओवा में कार्यक्रम है, इसलिए वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पाएंगी। हालांकि, इतना स्पष्ट है कि कार्यक्रम के बाद तुलसी गबार्ड खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्यूयॉर्क में मिलेंगी। इसके अलावा तुलसी गबार्ड ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए एक वीडियो भी भेजेंगी। यानि सच्चाई यह है कि तुलसी गबार्ड अपनी व्यस्तता के कारण पीएम मोदी के कार्यक्रम में नहीं जा पाएंगी लेकिन उनके खिलाफ एजेंडा चला रहे कुछ लोगों ने इस खबर को ऐसे प्रकाशित किया मानो तुलसी को पीएम मोदी के कार्यक्रम का हिस्सा बनने में कोई रूचि ही नहीं है। अब इस मामले में तुलसी गबार्ड ने भी स्पष्टीकरण देते हुए एक ट्वीट पोस्ट किया है और उनके खिलाफ झूठी खबरें छाप रहे कुछ एजेंडावादी लोगों के झूठ को एक्सपोज किया है।

ऐसे ही एजेंडा चलाने वाले लोगों में सबसे प्रमुख नाम डेमोक्रेट्स नेता रो खन्ना का आता है। दरअसल, उनकी छवि एक बेहद हिन्दू-विरोधी नेता के तौर पर स्थापित है और इसीलिए वे हिंदुओं के बीच लोकप्रिय तुलसी गबार्ड के खिलाफ एजेंडा चलाते हैं। बता दें कि खन्ना ने कुछ दिनों पहले कहा था ‘हिंदू धर्म के हम सभी अमेरिकी राजनेताओं को बहुवाद का समर्थन करना चाहिए। हमें हिंदुत्व का त्याग करना होगा। हमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध और ईसाईयों के लिए बराबर अधिकारों का समर्थन करना चाहिए’। उनके इस बयान को तुलसी द्वारा पीएम मोदी के कार्यक्रम में आने से ‘इंकार करने’ से जोड़कर दिखाया गया। यह भी माना जा रहा है कि रो खन्ना के समर्थित कुछ लोगों ने ही इस खबर को फैलाया होगा ताकि तुलसी की छवि को धूमिल किया जा सके।

इतना ही नहीं, रो खन्ना के अलावा एक अन्य एजेंडावादी विश्लेषक का नाम है पीटर फ़्रेडरिच, जो RSS और हिंदुओं के खिलाफ जमकर अपना एजेंडा चलाते हैं। फ़्रेडरिच तो RSS को अमेरिका का KKK भी कह चुके हैं। बता दें कि KKK अमेरिका में एक नस्लभेद संगठन है जो अफ्रीकी मूल के अमेरिकियों को अपना निशाना बनाता है।

https://twitter.com/FriedrichPieter/status/1174140205248536576?s=20

ऐसे में इस संगठन की RSS से तुलना करके पीटर ने अपनी हिन्दू-विरोधी एजेंडा वाली सोच का ही उदाहरण दिया है। यही पीटर, तुलसी गबार्ड के खिलाफ भी जमकर प्रोपेगैंडा फैलाता रहा है। अपने एजेंडे से भरपूर एक लेख में पीटर फ़्रेडरिच ने यह भी दावा किया है कि तुलसी को होने वाली कुल फंडिंग का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा RSS और मोदी समर्थक संगठनों से ही आता है। अपने एक लंबे ट्विटर थ्रेड में पीटर फ़्रेडरिच ने यह दावा भी किया कि तुलसी अमेरिकी नागरिक होकर यहां भारत के एजेंडे को बढ़ावा देती हैं।

https://twitter.com/FriedrichPieter/status/1168441432836845568?s=20

तुलसी अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद हैं और वे पीएम मोदी की करीबी भी मानी जाती हैं। वह कई मौकों पर खुलकर पीएम मोदी की तारीफ कर चुकी हैं। तुलसी ने एक बार पीएम मोदी के बारे में कहा था, ‘वह मुद्दों को भीतर तक समझते हैं। मोदी ने अपने समर्पण से जनता के बीच बड़े उदाहरण पेश किए हैं।’ इसके अलावा तुलसी ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद पीएम मोदी को अमेरिका का वीजा न दिए जाने की भी कड़ी आलोचना की थी। यही नहीं उन्होंने भारत की राजदूत देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी का भी विरोध किया था। यही कारण है कि अब कुछ हिन्दू-विरोधी और भारत विरोधी लोग जमकर उनके खिलाफ एजेंडा चलाने में जुटे हैं। यहां तक कि तुलसी गूगल पर भी उनके खिलाफ एक्शन लेने के आरोप लगा चुकी हैं। इसी वर्ष उन्होंने गूगल पर 50 मिलियन डॉलर का मुकदमा ठोकते हुए दावा किया था कि गूगल ने बिना किसी कारण के उनके एड अकाउंट को बंद कर दिया है, जिसका उनके प्रचार अभियान पर गलत असर पड़ रहा है।

वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम ‘हाऊडी मोदी’ के समय ऐसे विवादों को जन्म देकर कुछ लोग इस कार्यक्रम को भी विवादित बनाना चाहते हैं और वो भी तब जब राष्ट्रपति ट्रम्प खुद इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले हैं। ऐसे में अमेरिका में कुछ हिन्दू विरोधी ताक़तें ज़्यादा ही एक्टिव हो गयी हैं, लेकिन यहां तुलसी गबार्ड की प्रशंसा करनी होगी जो इस तरह के एजेंडे के बावजूद पूरी ताकत के साथ इन सभी का डटकर सामना कर रही हैं।

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