भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों साउथ कोरिया के दौरे पर हैं। दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देने के लिए रक्षा मंत्री साउथ कोरिया पहुंचे हैं जहां उन्होंने साउथ कोरिया सरकार के साथ कश्मीर मुद्दे पर भी विस्तृत चर्चा की । कश्मीर मुद्दे पर साउथ कोरिया ने भी भारत का समर्थन किया है। राजनाथ सिंह ने अपने साउथ कोरिया के दौरे में यह एक बार फिर स्पष्ट किया कि कश्मीर मामले पर पाकिस्तान को बोलने का कोई अधिकार नहीं है, और इसका सियोल ने भी खुले तौर पर समर्थन किया है। इतना ही नहीं, राजनाथ सिंह ने साउथ कोरिया सरकार को यह भी चिंता जताई कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में साउथ कोरिया की कुछ कंपनियाँ काम कर रही हैं जो कि भारत के हितों के खिलाफ है। इसके बाद साउथ कोरिया ने यह साफ किया है कि पीओके में काम करने वाली किसी भी कंपनी को साउथ कोरिया की सरकार कोई सब्सिडी या अन्य फायदे नहीं देगी।
बता दें, चीन द्वारा पाकिस्तान में बनाया जा रहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पीओके से गुजरता है। इस निर्माण में चीनी कंपनियों के अलावा कई कोरियाई कंपनियां भी लगी हुई हैं। इस के अलावा इसी वर्ष जनवरी में पाकिस्तान में मौजूद साउथ कोरिया के राजदूत ने यह भी कहा था कि साउथ कोरिया से पीओके में निवेश जारी रहेगा। साउथ कोरिया के राजदूत की इन बातों ने भारत में तनाव बढ़ा दिया था। अब जब भारत के रक्षा मंत्री साउथ कोरिया के दौरे पर गए हैं, तो वहां भारत ने इस मुद्दे को उठाया और दक्षिण कोरिया की तरफ से भी भारत को सकारात्मक संकेत मिला है।
साउथ कोरिया ने भारत को यकीन दिलाया है कि उसके देश की अगर कोई भी कंपनी पीओके में निवेश या कोई परियोजना को विकसित करने में रूचि दिखाती है, तो उसे साउथ कोरिया की सरकार से मिलने वाली सब्सिडी या अन्य फायदे नहीं दिये जाएंगे। इसके अलावा इन कंपनियों को टैक्स में भी कोई राहत नहीं दी जाएगी। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान विदेशी कंपनियों को वहां बुलाकर भारत के हितों के खिलाफ प्रोजेक्ट्स का विकास करवाना चाहता है। अब तक उसे चीन और साउथ कोरिया जैसे देशों का समर्थन भी मिल रहा था, लेकिन अब साउथ कोरिया के नए ऐलान के बाद पीओके में काम कर रहीं साउथ कोरिया की कंपनियों को बड़ा वित्तीय घाटा पहुंचेगा और उनके लिए पीओके में अपने प्रोजेक्ट्स पर काम जारी रख पाना मुश्किल होगा।
भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता है और ऐसे में भारत अपनी इजाजत के बिना इस क्षेत्र में किसी भी बाहरी निवेश या दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करता। चीन यहाँ चाइना-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर के तहत इनफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है जिसका भारत विरोध करता रहा है। भारत चाहता है कि चीन या अन्य किसी भी देश की कंपनी पीओके से जल्द से जल्द अपना काम समेटे और इस दिशा में अब भारत को साउथ कोरिया की सरकार से बड़ा समर्थन मिला है।
भारत और साउथ कोरिया के रिश्ते बेहद मधुर रहे हैं। भारत कोरिया का 13वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और दोनों देशों के रिश्तों में और मजबूती आने की उम्मीद है। कूटनीतिक तौर पर साउथ कोरिया ने हमेशा से ही भारत का साथ दिया है। लोकतन्त्र होने के नाते भारत और साउथ कोरिया प्राकृतिक साझेदार माने जाते हैं और भारत ने अपनी विदेश नीति के तहत साउथ कोरिया के साथ अपने रिश्ते और मजबूत करने पर ज़ोर दिया है। इस वर्ष फरवरी में साउथ कोरिया ने पीएम मोदी को ‘सियोल पीस प्राइज़’ से भी नवाजा था। कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करके साउथ कोरिया ने एक बार फिर भारत के साथ अपनी दोस्ती का नमूना पेश किया है और एक बार फिर पाकिस्तान को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।