सोनिया के आते ही राहुल ‘आउट’, प्रवीण चक्रवर्ती ‘इन’, मतलब राहुल गांधी PM पद के एक फ्लॉप उम्मीदवार थे

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अभी भी दबाव में दिखाई दे रही है। पार्टी में लगातार फेरबदल का दौर जारी है। राहुल गांधी के इस्तीफे के कई दिनों तक चले उठा पटक के बाद पहले तो कांग्रेस ने सोनिया गांधी को थक हार कर अध्यक्ष पद दिया, और अब एक नई रिपोर्ट के अनुसार प्रवीण चक्रवर्ती को फिर से एनालिटिक्स विभाग का अध्यक्ष बनाया गया है। यह वही प्रवीण चक्रवर्ती हैं जिन्हें कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में मिली हार और राहुल गांधी के फ्लॉप भाषणों के लिए दोषी ठहराया गया था और कई कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें बाहर निकालने की सलाह तक दे डाली थी।

दरअसल, कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) डेटा एनालिटिक्स विभाग को AICC टेक्नोलॉजी और डाटा सेल के रूप में पुनर्गठन का फैसला किया है, जिसके पीछे की वजह को अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। इस डाटा सेल का चेयरमैन राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले प्रवीण चक्रवर्ती को बनाया गया है।

इस नए सेल की इकाइयां सभी राज्यों में होंगी और यह कांग्रेस को कई क्षेत्रों में सहायता करेगी। यह डाटा सेल देशभर की लोकसभा और विधानभा क्षेत्रों से डाटा इकट्ठा करने से लेकर चुनावों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों के चयन और पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ नियमित रूप से एक उपयुक्त संचार प्रणाली विकसित करेगा।

वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी द्वारा आंतरिक सूचना साझा करने के लिए एक डिजिटल प्लैटफॉर्म बनाया था जिसको ‘शक्ति’ नाम दिया गया। इस प्लेटफॉर्म का मकसद पार्टी के हाईकमान को बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ जोड़ना था ताकि जमीनी स्तर के हालातों को बेहतर ढंग से समझा जा सके। यह पूरा कार्यक्रम कांग्रेस के डाटा विश्लेषण विभाग के अंतर्गत चलाया गया जिसके प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती ही थे। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा था कि ‘शक्ति’ कार्यक्रम इस वजह से पूरी तरफ फ्लॉप साबित हुआ क्योंकि प्रवीण चक्रवती ने कभी अपने डाटा को किसी के साथ साझा किया ही नहीं। प्रवीण पर राहुल गांधी को गुमराह करने का भी आरोप लगा था। कांग्रेस नेताओं ने तो राहुल गांधी द्वारा राफेल मुद्दे का राग अलापने का दोष भी प्रवीण पर ही मढ़ दिया था। इसके अलावा ये चक्रवर्ती और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ही थे जिन्हें NYAY स्कीम का जनक कहा जाता है, जो मतदाताओं को प्रभावित करने में पूरी तरह से विफल रहा था। ऐसे कई आरोप प्रवीण चक्रवर्ती पर लगे और लोकसभा चुनावों में मिली हार के लिए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बलि का बकरा बनाया।

अब सवाल यह उठता है कि जब राफेल और न्याय जैसे बेतुकी योजनाओं के कारण ही कांग्रेस की हार हुई तो सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद प्रवीण चक्रवर्ती को फिर से डाटा सेल का अध्यक्ष क्यों बनाया गया है? ऐसी क्या स्थिति बनी कि कल तक हार के लिए दोषी ठहराए जाने वाले प्रवीण चक्रवर्ती को फिर से उसी पद के लिए चुना गया है?

फिर से प्रवीण चक्रवर्ती को तकनीकी और डेटा सेल का अध्यक्ष बनाया जाना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस के पास इस पद के लिए प्रवीण से बेहतर विकल्प नहीं है। इसकी दो वजहें हो सकती हैं पहली यह कि या तो कांग्रेस पार्टी ये अच्छी तरह से जानती है कि प्रवीण चक्रवर्ती नहीं बल्कि राहुल गांधी का कमजोर नेतृत्व पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार था और दूसरी यह प्रवीण चक्रवर्ती पर कांग्रेस एक बार फिर से विशवास जता रही है. और ये विश्वास पार्टी के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है क्योंकि लोकसभा चुनावों में अगर प्रवीण चक्रवर्ती के कारण ही पार्टी को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा था तो जाहिर है ये स्थिति भविष्य में फिर से बन सकती है। इसका मतलब यह कि इस पार्टी ने एक बार फिर से उसी व्यक्ति को चुना है जो पार्टी की नैया फिर से डूबाने वाला है।

हालांकि, जब कांग्रेस के नताओं ने प्रवीण पर हार का ठीकरा फोड़ा था तब उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मीडिया रिपोर्ट्स की एक-एक लाइन पूरी तरह बकवास है और इसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी की हार के लिए पार्टी के लीडर को जिम्मेदारी लेनी चाहिए न कि किसी अन्य को दोषी ठहराना चाहिए। इसका मतलब तो यही हुआ कि प्रवीण चक्रवर्ती तब सही थे और कांग्रेस पार्टी ने उस समय जानबूझकर चक्रवर्ती को निशाना बनाया था वो भी केवल राहुल गांधी को बचाने के लिए और प्रवीण चक्रवर्ती की नियुक्ति यही दर्शाता भी है।

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