दशकों से फैले अंतर्राष्ट्रीय प्रोपेगेंडा को अब आरएसएस करेगा ध्वस्त

आरएसएस

अक्सर कहा जाता है कि आरएसएस अपने संगठन के प्रचार प्रसार में विश्वास नहीं रखता। परंतु संघ के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एवं भारत की लेफ्ट लिबरल मीडिया द्वारा फैलाये जा रहे निरंतर प्रोपेगेंडा को ध्वस्त करने के लिए स्वयं आरएसएस के सरसंघचालक, मोहन भागवत ने कमान संभाल ली है।

विश्व में आरएसएस की छवि में सुधार लाने हेतु सरसंघचालक मोहन भागवत विदेशी मीडिया से बातचीत करेंगे। सूत्रों के अनुसार, इसका प्रमुख उद्देश्य भाजपा की वैचारिक गुरु माने जाने वाली संस्था के बारे में जो गलत धारणाएं हैं उसे दूर करना है। संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार अक्सर अपने संगठन के पूर्वाग्रह का शिकार होते हैं। अगर वे किसी भी चीज़ को सही परिप्रेक्ष्य में पेश भी करना चाहे, तो उन्हें ऐसा करने नहीं दिया जाता। ऐसे में आरएसएस और इसकी विचारधारा को लेकर फैली गलत धारणा को दूर करना अत्यंत आवश्यक है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह कार्यक्रम दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी इसके लिए उचित तारीख तय नहीं हुई है। आरएसएस के पदाधिकारियों ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा है कि इस कार्यक्रम के लिए विभिन्न देशों के 70 विदेशी मीडिया संस्थानों को निमंत्रण दिया गया है। यानि जिस पारदर्शिता की दुहाई देकर हमारी लेफ्ट लिबरल मीडिया आरएसएस और भाजपा को निशाने पर लेती रही है अब उन्हें अपना प्रोपेगेंडा फैलाने का कोई मौका नहीं मिलेगा।

ऐसा माना जा रहा है कि विदेशी मीडिया से बातचीत के दौरान आरएसएस प्रमुख एक से ज़्यादा विषयों पर बात करने वाले हैं, जिनमें जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार हटाया जाना, आरएसएस ‘विश्व एक परिवार है’ जैसे सिद्धान्त में क्यों विश्वास रखता है, भारत को पाक के खिलाफ सख्ती क्यों बरतनी चाहिए जैसे मुद्दे शामिल हैं।

निस्संदेह ये आरएसएस की छवि सुधारने हेतु बहुत ही सराहनीय कदम है। आरएसएस ने सर्वथा देश की एकता पर बल दिया है। देश के विकास से जुड़ी समस्या हो या फिर किसी प्रकृतिक आपदा के दौरान राहत कार्य करने हो, आरएसएस ने हर मोर्चे पर योगदान दिया है। इसके बावजूद भारतीय मीडिया और विदेशी मीडिया के कुछ लोग अपनी एजेंडावादी नीति के अंतर्गत आरएसएस पर सांप्रदायिक हिंदूवादी, फ़ासीवादी जैसे निराधार आरोप लगाते रहे हैं। कुछ बुद्धिजीवी तो इतने सहिष्णु हैं कि वे आरएसएस की आतंकी संगठन ISIS से भी तुलना करते हैं।

देश की आजादी से लेकर आज तक आरएसएस ने सदैव देश की एकता और अखंडता हेतु काम किया है, चाहे वो स्वतंत्रता के पश्चात विभाजन से प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामाग्री बांटने और पुनर्स्थापना में हाथ बँटाना हो, या फिर ऑपरेशन पोलो जैसी सैन्य कार्रवाई के दौरान भारतीय सेना और स्वतंत्रता सेनानियों को सहायता देनी हो, या आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा हेतु तत्कालीन इन्दिरा गांधी की सरकार से सीधा मोर्चा लेना हो या फिर केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत-बचाव कार्य करना हो। यही नहीं दादरा, नगर हवेली और गोवा के भारत विलय में संघ की निर्णायक भूमिका रही थी। राजस्थान में जमींदारी प्रथा के खात्मा करने में भी आरएसएस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उत्तराखंड की आपदा, भोपाल गैस त्रासदी, गुजरात में भूकंप, कारगिल युद्ध में घायलों की सेवा जैसे कई बड़ी समस्याओं में आरएसएस कार्यकर्ताओं की भूमिका सराहनीय रही है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो आरएसएस की वास्तविक विचारधारा पर प्रकाश डालते हैं।

अब आरएसएस प्रमुख विदेश मीडिया से बातचीत कर आरएसएस की देश में भूमिका और महत्व पर न केवल प्रकाश डालेंगे, बल्कि आरएसएस को लेकर फैलाई गयी गलत धारणा को भी बदलने का पूरा प्रयास करेंगे। वास्तव में ये बहुत पहले ही आरएसएस को करना चाहिए था ताकि दुनिया को पता चल सके जिस संगठन के खिलाफ कुछ लोग जहर फैलाते हैं, वास्तव में जब-जब देश को जरूरत पड़ी है इसी संगठन के कार्यकर्ताओं ने बिना अपनी जान की परवाह किये देश का साथ दिया है।

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