‘शरद भाऊ, आता काय होईल?’ महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार जल्द बन सकते हैं ‘तिहाड़ी’

पवार

(PC: WION)

मोदी सरकार इन दिनों काफी एक्शन में दिख रही है। पहले कश्मीर से अलगाववादियों का सफाया किया, उसके बाद यूपीए के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के आरोपी पी चिदंबरम पर शिकंजा कसी, फिर कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार निशाने को घेरे में लिया। इसी कड़ी में एक और नेता अभी चर्चा में हैं। उनका नाम है शरद पवार, जो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं व केंद्र सरकार में भी मंत्रालय संभाल चुके हैं। उन पर भ्रष्टाचार करने का आरोप है, और इसी कारण उनके खिलाफ ईसीआईआर दर्ज किया गया है।  शरद पवार के साथ ही उनके भतीजे अजित पवार और उनके विश्वासपात्र आनंद राव, जयंत पाटिल के खिलाफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक स्कैम मामले में ईसीआईआर दर्ज की गई है।

दरअसल, इन दोनों नेताओं के खिलाफ 25000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत ईडी ने मुकदमा दर्ज किया है। प्रारम्भ में ही इनके खिलाफ मुंबई पुलिस ने इस मामले में एक एफ़आईआर दर्ज की थी। बता दें की ईसीआईआर एफआईआर के बराबर ही होता है। इसमें पीएमएलए एक्ट के अंतर्गत ईडी एनफोर्समेंट केस इनफॉर्मेशन दर्ज करती है।

इसके अलावा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की जांच के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटीज कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक जांच आयोग की तरफ से दायर आरोप पत्र में नुकसान के लिए पवार और अन्य आरोपियों के ‘निर्णयों, कार्रवाई और निष्क्रियताओं’ को जिम्मेदार ठहराया गया था। स्थानीय कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। इस मामले को संज्ञान में लेते हुये बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार समेत 70 लोगों पर मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।

शरद पवार और जयंत पाटिल समेत बैंक के अन्य डायरेक्टर के खिलाफ बैंकिंग और आरबीआई के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। इन्होंने कथित तौर पर चीनी मिल को कम दरों पर कर्ज दिया था और कर्जा चुकाने में असमर्थ दोषियों की संपत्तियों को कोड़ियों के भाव बेच दिया था।  इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि इन संपत्तियों को बेचने, सस्ते लोन देने और उनका पुनर्भुगतान नहीं होने से बैंक को 2007 से 2011 के बीच करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री रहे अजित पवार उस समय उक्त सहकारी [cooperative] बैंक के डायरेक्टर थे। नाबार्ड ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनियम के तहत इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पवार और अन्य लोगों को बैंक घोटाले का आरोपी बनाया गया।

शरद पवार ने इस बात पर ऐसी प्रतिक्रिया दी मानो उन्हे इस प्रकार के मुकदमे से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। वे कहते हैं, “यदि उन्होंने मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया है, तो मैं इसका स्वागत करता हूं। मैंने उन जिलों में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखी है जिनमें मैंने और मेरे पार्टी के सहयोगियों ने दौरा किया है, खासकर युवाओं की प्रतिक्रिया बेजोड़ थी। इसके विपरीत लोगों की प्रतिक्रिया देखने के बाद मुझे आश्चर्य होता अगर मेरे खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस कार्रवाई की शुरुआत की है।‘’

शरद पवार ने आगे यह भी कहा, “ऐसे समय में जब चुनाव सामने हैं, मेरे जैसे व्यक्ति का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जो भी इसमें फंसा हो…जब महाराष्ट्र के लोगों को इसका एहसास होगा, तो प्रभाव देखा जाएगा और मुझे यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि इससे किसे लाभ होगा”। शायद इसी को कहते कि रस्सी जल गयी, पर बल नहीं गया।‘’

एनसीपी चीफ शरद पवार के किस्सों से कौन परिचित नहीं है। भ्रष्ट नेता की प्रतिमूर्ति माने जाने वाले शरद पवार इससे पहले भी ऐसी कई गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जहां पर अंत में नुकसान केवल और केवल राजकोष का हुआ है, जिसमें जनता की मेहनत की कमाई का भरपूर योगदान होता है। परंतु अपने कार्यकाल में इस धन का उपयोग पवार वंश ने केवल अपनी जेबों को भरने के लिए किया है।

इसके अलावा शरद पवार के अंडरवर्ल्ड डॉन और 1993 के मुंबई बम विस्फोट के प्रमुख दोषी दाऊद इब्राहिम से संबंध किसी से नहीं छुपे हैं। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी शाहिद बल्वा से भी इनकी घनिष्ठ मित्रता रही है। कॉरपोरेट लॉबी के लिए बदनाम जिस नीरा राडिया के टेप ने 2011 में देशभर में तहलका मचा दिया था, उसी के अनुसार शाहिद बल्वा तो डीबी रियल्टी के चेहरे हैं, असल काम तो पवार वंश पर्दे के पीछे से करती है। चूंकि शरद पवार काफी समय तक बीसीसीआई के अध्यक्ष भी थे, इसलिए उन्होंने 2010 में आईपीएल मैच टैक्स मुक्त कर दिया था। उस वक्त बीसीसीआई में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। अब जब ईडी ने शिकंजा कस दिया है तो पवार बाबू महाराष्ट्र चुनाव का हवाला देकर बचने का प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन अब कानून का शिकंजा अब पवार वंश के शरद पवार और अजित पवार पर कसता जा रहा है। ईसीआईआर के दर्ज होने के बाद अब ईडी पूरा प्रयास कर रही है कि शरद पवार और अजित पवार जल्द ही सलाखों के पीछे हों। जिस तरह से ईडी देश के भ्रष्ट नेताओं को अपने शिकंजे में ले रही है, उसे देख के तो यही लग रहा है कि अब पवार फैमिली की भी खैर नहीं!

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