स्वामी ने कहा था, चिदम्बरम की जगह तिहाड़ में है, ये भविष्यवाणी सच साबित हुई

सुब्रमण्यम स्वामी चिदंबरम

गुरुवार को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम को दिल्ली की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया है। आईएनएक्स मीडिया मामले में धनशोधन तथा भ्रष्टाचार के आरोपों में 21 अगस्त को वो गिरफ्तार हुए थे और महज दो सप्ताह बाद ही अदालत ने उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया। उन्हें तिहाड़ जेल संख्या सात के सेल नंबर 15 में रखा गया है। अब उनके तिहाड़ जेल जाने से कई लोग सोशल मीडिया पर राज्य सभा से भाजपा के संसाद और बहुचर्चित नेता सुब्रमण्यम स्वामी को सराह रहे हैं जिन्होंने वर्ष 2017 में चिदंबरम के लिए तिहाड़ जेल से संबंधित भविष्यवाणी की थी।

दरअसल, आईएनएक्स मीडिया के मामले में कार्ति चिदंबरम का नाम सामने आने के बाद साल 2017 में सुब्रमण्यम स्वामी ने एजेंसी एएनआई से कहा था कि “वह (कार्ति) एक बदमाश है। उनके पास न कोई ढंग की शिक्षा है, न व्यवसाय है। कहां से उनके पास इतना पैसा आया। यह सब धोखाधड़ी है। उनके पिता (पी चिंदबरम) ने गैरकानूनी काम किया है उसने (कार्ति) ने पैसा बटोरा है।“ उन्होंने अपने बयान में आगे कहा था कि, “चिंदबरम की पत्नी नलिनी भी यहीं करती है। उनका पूरा परिवार बदमाश है और वो सभी तिहाड़ जेल से वास्ता रखते है।“ साल 2017 में कही उनकी बात गुरुवार को सच साबित हुई जब आईएनएक्स मामले में अदालत ने चिदंबरम को दो हफ्ते के लिए तिहाड़ भेज दिया है जहां उन्हें अलग कोठरी और वेस्टर्न शौचालय के अलावा कोई विशेष सुविधाएं नहीं मिलेगी।

सुब्रमण्यम स्वामी नेशनल हेराल्ड से लेकर एयरसेल मैक्सिस मामले, आईएनएक्स मीडिया मामले तक के खिलाफ शुरू से ही सक्रिय रहे है और इसे अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है और एक मामले में तो उनकी भविष्यवाणी भी सच हो चुकी है।

सुब्रमण्यम स्वामी को एयरसेल मैक्सिस मामले और INX मीडिया मामले पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के घोटालों में स्वामी के प्रयासों को जबरदस्त कामयाबी मिल चुकी है। आईएनएक्स मीडिया केस के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील गौर द्वारा अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को सीबीआई ने उन्हें एक फार्महाउस से अपनी हिरासत में लिया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम को मुख्य साजिशकर्ता बताया था। इसके साथ ही कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक क्लासिक उदाहरण है। इसके बाद से ही चिदंबरम कानून के शिकंजे में हैं।

ऐसे में आज इस मामले में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सुब्रमण्यम स्वामी को सबसे ज्यादा श्रेय देना गलत नहीं होगा जिन्होंने इन मुद्दे को लोगों के बीच बनाए रखा और निरंतर अपने ट्वीट्स से आम जनता को और चिट्ठी से प्रधानमंत्री को ध्यान दिलाते रहे।

वर्ष 2015 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की विभिन्न कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया था। स्वामी ने आरोप लगाया था कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति की एयरसेल-मैक्सिस डील से लाभ उठाने में मदद की। इसके लिए उन्होंने दस्तावेजों को जानबूझकर रोका और अधिग्रहण प्रक्रिया को नियंत्रित किया ताकि कार्ति को अपनी कंपनियों के शेयर की कीमत बढ़ाने का वक्त मिल जाए। नियमों के मुताबिक किसी भी इन्वेस्टमेंट को 600 करोड़ से ज्यादा की डील के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (सीसीईए) की अनुमति लेनी पड़ती है।

फिर भी एफआईपीबी बैठक में 3500 करोड़ रुपए की एयरसेल-मैक्सिस डील को मार्च 2006 में अप्रूव कर दिया गया। कैग के ऑडिटर्स ने पाया कि यही एकमात्र ऐसा केस है जिसे चिदंबरम ने एफआईपीबी अप्रूवल दिया था, जबकि ऐसे अन्य मामलों को वे सीसीईए रेफर करते थे।

इसके बाद सीबीआई ने वर्ष 2017 में यह मामला दर्ज किया। इस मामले में पी चिदंबरम पर वित्त मंत्री के अपने पद के दुरुपयोग करने और अनियमितता बरतने के आरोप लगे हैं। वहीं कार्ति चिदंबरम पर इस मामले में कथित तौर पर पैसे लेने का आरोप है। इनके अलावा आईएनएक्स मीडिया कंपनी के तत्कालीन निदेशक इंद्राणी और पीटर मुखर्जी को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था।

वहीं 15 मई 2017 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर आरोप लगाया कि साल 2007 में आईएनएक्स मीडिया से पैसे लेने में कई तरह की अनियमित्ताएं हुईं। चिदंबरम उस दौरान केंद्र सरकार में मंत्री थे। इसलिए ईडी ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने एयरसेल मैक्सिस मामले में पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में उन्होंने जल्द से जल्द इस मामले की जांच को पूरा करवाकर दोषियों को सजा देने की बात कही थी। तथा यह भी आरोप लगाया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को बचाने के प्रयास में वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारी शामिल थे।

इससे पहले भी वो कई बार इंटरव्यू में तो कभी अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये चिदम्बरम द्वारा सरकार में रहते हुए बरती गई अनियमितता के खिलाफ मुखर रहे।

पीगुरु के अनुसार चेन्नई इनकम टैक्स विभाग द्वारा चिदंबरम परिवार से जुड़ी जांच में करीब 200 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गयी थी जिसमें से कुछ हिस्सा स्वामी ने सार्वजनिक किया था। स्वामी ने दावा किया था कि ये जानकारी कथित तौर पर इनकम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संयुक्त छापे में मिले दस्तावेज से मिली है।

स्वामी द्वारा जारी की गए दस्तावेज में दावा किया गया है कि पी चिदंबरम के बेटे कार्ति के पास 21 विदेशी बैंक खाते हैं। पीगुरु पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पी चितंबरम की पत्नी नलिनि चिदंबरम, बेटे कार्ति, कार्ति की पत्नि श्रीनिधि ने कथित तौर पर ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में स्थित एक बड़े घर के भी मालिक हैं। रिपोर्ट में आयकर विभाग के दस्तावेज के हवाले से दावा किया गया है कि कार्ति चिदंबरम की सिंगापुर, ब्रिटेन समेत कई देशों में रियल एस्टेट एवं अन्य सेक्टरों में भारी निवेश कर रखा है। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि पी चिदंबरम के केंद्र की यूपीए सरकारों में मंत्री रहने के दौरान कार्ति चिदंबरम को कथित तौर पर वित्तीय लाभ मिले।

सुब्रमण्यम स्वामी ED अधिकारी राजेश्वर सिंह के समर्थन में भी सामने आए थे, जो एजेंसी की ओर से इस मामले की जांच कर रहे थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘सीबीआई के खिलाड़ी ईडी के राजेश्वर को निलंबित करने वाले हैं ताकि वह ‘पीसी’ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकें। अगर ऐसा हुआ तो मेरे लिए भ्रष्टाचार से लड़ने की कोई वजह नहीं रहेगी क्योंकि मेरी सरकार उन्हें बचाने पर तुली है। ऐसे में मैंने भ्रष्टाचार के जो मामले दायर किए हैं उन सभी से हट जाऊंगा।”

इसके बाद उन्होंने इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी के सरकारी गवाह बनने के बाद उन्हें ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा देने की वकालत भी की थी ताकि इस मामले के गवाह को कोई नुकसान न हो।

सिर्फ यही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने देश भर में नेहरु-गांधी परिवार के घोटालों के भी खुलासे कर उनके पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वामी के प्रयासों से ही भ्रष्टाचार में लिप्त अभी तक बसे बड़ी मछ्ली फंस चुकी है। इसलिए अगर आज चिदम्बरम तिहाड़ जेल के पीछे हैं तो निश्चित रूप से सुब्रमण्यम स्वामी को श्रेय मिलना चाहिए।

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