कांग्रेस के पास BJP पर वार करने का सुनहरा अवसर था, BJP ने कॉर्पोरेट टैक्स की दरें घटाकर वो भी छीन लिया

भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर से पटरी पर लौट रही है

कॉर्पोरेट टैक्स

कॉर्पोरेट जगत को एक बड़ी राहत देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने गोवा में चल रही 37वें जीएसटी काउंसिल मीटिंग के दौरान यह घोषित किया कि कॉर्पोरेट टैक्स को 30% की मौजूदा दर से घटा दिया गया है। निर्मला सीतारमण द्वारा की गयी इन घोषणाओं से विपक्षी दलों के हाथ से सरकार को घेरने का मौका भी निकल गया है।

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार घोषणा की थी कि अब घरेलू कंपनियों के लिए सभी अधिशेषों (सरचार्ज) और उपकर (सेस) समेत कॉरपोरेट टैक्स का प्रभावी दर 25.17 फीसदी होगा। इसके साथ ही कंपनियों के लिए मैट की दर 18.5 फीसदी की दर से घटाकर 15 फीसदी करने की घोषणा की गयी है। इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी घोषणा की कि उद्योगों के लिए आवश्यक वस्तुओं के जीएसटी दरों को भी घटाया जाएगा। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती सहित अन्य अहम घोषणाओं के बाद शेयर बाजार में रौनक लौट आई और कंपनियां सरकार के इन फैसलों से काफी उत्साहित नजर आयीं। शेयर मार्केट में बड़ा बूस्ट देखने को तो मिला ही, इसके साथ ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लगभग 2127 पॉइंट्स की ज़बरदस्त छलांग भी देखने को मिली। एक ही दांव में निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय ने सुस्त चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार को बढ़ा दिया।

वित्त मंत्रालय की इस घोषणा के बाद जहां एक तरफ पूरा देश और कॉर्पोरेट जगत सरकार की सराहना कर रहा था, तो दूसरी तरफ विपक्ष को इससे बड़ा झटका लगा। झटका इसलिए क्योंकि पिछले 6 सालों में भाजपा सरकार ने विपक्ष को ऐसा कोई मौका नहीं दिया जिसे वो हथियार के रूप में इस्तेमाल करके भाजपा को घेर सके। हालांकि, इस बार विपक्षी पार्टियों के पास जीडीपी, ऑटो सेक्टर में आंशिक मंदी जैसे गंभीर विषय थे जिससे वो केंद्र की मोदी सरकार को आंकड़ों के साथ घेर सकती थी, लेकिन जब तक विपक्ष इसे समझ पाता भाजपा ने ये मौका भी उससे छीन लिया।

हालांकि, जीडीपी दर के कम होने और ऑटो सेक्टर में मंदी को मुद्दा उठाकर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है जो राहुल गांधी के ट्वीट्स में साफ़ दिखाई भी दिया –

राहुल गांधी ने अपने इस ट्वीट में कहा कि ‘हाऊडी इकॉनमी कैसी चल रही है मोदी जी? सही तो नहीं लग रही है।‘ दूसरे ट्वीट में राहुल कहते हैं, ‘#हाऊडी समारोह के लिए पीएम किस हद तक जा सकते हैं, यह इस स्टॉक मार्केट के बम्प से साफ दिखता है। 1.4 लाख करोड़ के मूल्य का यह समारोह विश्व का सबसे महंगा समारोह है। पर कोई समारोह भारत के आर्थिक मंदी की सच्चाई को नहीं छिपा सकता!’  बता दें कि ह्यूस्टन में 22 सितंबर को ‘हाउडी मोदी’ नाम से एक कार्यक्रम है जिसमें पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों शामिल होंगे।

इससे पहले प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे पर राजनीति करने के प्रयास किये और कहा था कि, ‘अब निवेशक भी मोदी सरकार से दूर होने लगे हैं। चकाचौंध दिखाकर रोज 5 ट्रिलियन, 5 ट्रिलियन बोलते रहने या मीडिया की हेडलाइन मैनेज करने से आर्थिक सुधार नहीं होता। विदेशों में प्रायोजित इवेंट करने से निवेशक नहीं आते। निवेशकों का भरोसा डगमगा चुका है। आर्थिक निवेश की जमीन दरक गई है। मगर भाजपा सरकार इस सच्चाई को स्वीकर नहीं कर रही है। आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में मंदी स्पीड ब्रेकर है, इसको सुधारे बिना सब रंग-रोगन बेकार है”।

राहुल गांधी हो या प्रियंका या लेफ्ट लिबरल गैंग सभी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने के प्रयास कर रहे थे और इसकी तैयारी में अभी भी जुटे हुए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में वो इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने का मन भी बना चुके होंगे परन्तु इन सुधारों की घोषणा से सभी को गहरा एक झटका जरुर लगा है। इन सुधारों की घोषणा से सरकार ने उनके हाथ से एक सुनहरा मौका और बड़ा मुद्दा छीन लिया। चाहे वो असदुद्दीन ओवैसी हो, जिन्हें ये सुधार ‘गरीबों से लूटकर अमीरों को फ़ायदा पहुँचाने’ वाला नजर आया, या फिर द क्विंट के राघव बहल, जिन्हें लगा कि ये सुधार कॉर्पोरेट जगत के फ़ायदे के लिए नहीं हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि किसी समय हमारे देश को अपनी जकड़ में रखने वाले इन लेफ्ट लिबरल्स को सरकार द्वारा की गयी वित्तीय सुधारों की घोषणा से कितना गहरा झटका पहुंचा है:

सच पूछें, तो इन सुधारों के साथ साथ केंद्र सरकार ने कांग्रेस और उनका समर्थन करने वाले लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवियों के गिरोह से वो एक अवसर भी छीन लिया, जिसका उपयोग कर यह सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकते थे। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को कभी भी सही मुद्दों पर घेर ही नहीं पायी है। जब भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है तो ऐसे मुद्दों को उठाया है जिससे उन्हें ही मुंह की खानी पड़ी है।

अगर घेरने का भी प्रयास किया गया है, तो ऐसे मुद्दों पर किया गया है, जिनका न कोई ओर है, और न कोई छोर। चाहे वो ‘असहिष्णुता’ पर काँग्रेस द्वारा फैलाया गया प्रपंच हो, या फिर ‘राफेल’ डील को कथित घोटाले का नाम देने का असफल प्रयास हो, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने सरकार को उन्हीं मुद्दों पर घेरा है जिन्हें सिद्ध करने के लिए उसके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है। प्रमाण भी तब मिलेंगे न जब बनावटी मुद्दों का वास्तविकता से कोई संबंध होगा। पिछले 6 वर्षों में ऐसी कोई भी घटना नहीं थी, जिस पर प्रमाण सहित काँग्रेस एनडीए सरकार को घेर सके।

ऐसे में विपक्ष के पास आंशिक मंदी के तौर पर एक सुनहरा अवसर आया था, जिसमें वे सरकार को मजबूती के साथ घेर सकती थी, चाहे वो तिमाही जीडीपी दर में कमी हो, या फिर ऑटोमोबाइल उद्योग में आई आंशिक मंदी, फिर भले ही उनके पास स्लोडाउन को आर्थिक मंदी बताने वाला भ्रामक डेटा ही क्यों न हो। परंतु एक के बाद एक ताबड़तोड़ वित्तीय सुधार घोषित कर केंद्र सरकार ने वो सुनहरा अवसर भी विपक्ष के हाथ से छीन लिया है। अब शेयर बाजार में न केवल रौनक लौट आई है बल्कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से कंपनियों पर टैक्स बोझ घटेगा जिससे कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी होगी। इससे कंपनियां अब फिर से अपना इन्वेस्टमेंट बढ़ा सकेंगी और नई योजनाओं की शुरुआत करने के लिए काम कर करेंगी तो नई जॉब की संभावनाएं भी बढेंगी।

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