‘द वायर’ का सवाल- चंद्रयान-2 की 95% सफलता आखिर किस आधार पर? जवाब ये है

द वायर

‘द वायर’ का विवादों से चोली दामन का नाता रहा है। कश्मीर मुद्दे पर पड़ोसी देश के विषैले प्रोपगैंडा को बढ़ावा देना हो, इस्लामिक कुरीतियों का समर्थन करना हो, या फिर पुलवामा हमले के जवाब में एयर स्ट्राइक पर प्रश्न चिन्ह लगाना हो। द वायर ने हमेशा ही पत्रकारिता के नाम पर भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा दिया है। मंगलवार को एक बार फिर इस बात की पुष्टि हो गयी, जब द वायर ने चंद्रयान 2 के वर्तमान स्थिति पर इसरो के बयान का मजाक उड़ाते हुये एक लेख छापा, जिसका शीर्षक था – “यदि ‘चंद्रयान-2 90-95% तक सफल था’ अगर यह जवाब है, तो सवाल क्या है?”

इस शीर्षक से द वायर ने अपने लेख में स्पष्ट किया है कि इसरो का चंद्रयान 2 पूर्णतया असफल है, और उसे इसरो के प्रमुख का कोई भी बयान नहीं बदल सकता। यानि द वायर के पत्रकार खुद को इसरो प्रमुख जैसे शीर्ष वैज्ञानिक से भी ऊपर समझते हैं। उदाहरण के लिए शीर्षक के नीचे ये टेक्स्ट देखिये –

ऊपर लिखे लाइन के अनुसार वायर अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार को निशाने पर लेने का असफल प्रयास कर रहा है और इसके साथ इसरो और करोड़ों भारतीयों को विक्रम लैंडर की ‘असफलता’ बताकर हतोत्साहित करने का प्रयास कर रहा है। अब जानिए चंद्रयान 2 मिशन की अब तक की कहानी- हुआ यूं कि 7 सितंबर को चंद्रयान 2 का लैंडर रोवर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर ही रहा था कि सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर विक्रम का मुख्य ऑर्बिटर से संपर्क टूट गया। चूंकि विक्रम का मुख्य उद्देश्य था चंद्रमा की सतह पर भ्रमण कर चंद्रमा पर आवश्यक जानकारी जुटाना, इसलिए इसरो के वैज्ञानिक इस आंशिक संकट से काफी निराश हुए।

हालांकि ये पहली बार था कि किसी देश ने अपने पहले प्रयास में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने का सोचा, और वे उसमें पूरी तरह सफल होते होते रह गए। फिलहाल, विक्रम लैंडर को खोज लिया गया है, परंतु उससे संपर्क करना अभी भी बाकी है। इसके बावजूद देश और दुनिया भर से इसरो को उसके प्रयासों के लिए न सिर्फ सराहा जा रहा है, बल्कि अमेरिका और जापान की स्पेस एजेंसियां भविष्य में स्पेस प्रोजेक्ट्स के लिए संधि करने तक का प्रस्ताव सामने रख रही हैं।

हालांकि ये सब शायद द वायर के गले नहीं उतर रहा है, इसी कारण वे अपने लेख के जरिए इसरो के इस मिशन को असफल सिद्ध करने में जुटे हैं। अपने लेख में द वायर के लेखक आगे लिखते हैं- ‘एक वैज्ञानिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि के सिवन ने 90-95% का आंकड़ा पीएम नरेंद्र मोदी को प्रसन्न करने के लिए बताया होगा।” द वायर का इस कथन से मतलब साफ है, मुद्दा कुछ भी हो, यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित हैं तो कुछ तो गड़बड़ होगी ही होगी।

ऐसे बयानों से द वायर यहाँ बिल्कुल हमारे पड़ोसी देश के हुक्मरानों की भाषा बोलता दिखाई दे रहा है। जो पिछले कई दिनों से चंद्रयान 2 के ‘असफलता’ पर कुछ ज़्यादा ही प्रसन्न दिख रहे हैं। हालांकि यह कोई हैरानी की बात नहीं है। द वायर शुरू से ही अपने भारत विरोधी रिपोर्टिंग शैली के लिए बदनाम रहा है। जम्मू कश्मीर राज्य से जब से अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधान हटाये गए हैं, तब से ऐसा लगता है मानो द वायर के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक कश्मीर पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने जितनी भी भ्रामक रिपोर्टिंग की है, उसे ऐसी जानकारी देने में द वायर सबसे आगे रहा है।

यही नहीं, द वायर ने तो सनातन धर्म और राष्ट्रवाद के विरुद्ध मानो मोर्चा ही खोल दिया है। चाहे ‘उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक’ के विरुद्ध एक पर्सनल अभियान चलना हो, या फिर ‘जय श्री राम’ को एक युद्ध घोष घोषित करने की लिबरल्स की मंशा को बढ़ावा देना हो, द वायर ने अपने विषैले एजेंडे को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। ऐसे में इसरो के चंद्रयान 2 अभियान पर इनका लेख इनकी देशविरोधी सोच को ही उजागर करता है, जिसकी जितनी निंदा की जाये, वो कम है।

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