पाकिस्तान और आतंक का नाता पुराना रहा है। दशकों से पाकिस्तान पर आतंक को शह देने के आरोप भी लगते रहे हैं और यह साबित भी होता आया है। चाहे ओसामा बिन लादेन का पाक में शह लेना हो या मुंबई हमलों के साजिशकर्ता का ठिकाना हो, सभी पाकिस्तान की मदद लेकर ही अपने आप को अभी तक बचाने में कामयाब रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है, फिर वह आतंकियों को कैसे पालता है? कहां से आता है इतना रुपया कि वह केवल अपने देशों में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में भी आतंक का निर्यातकर्ता है। इसका जवाब है विकसित देशों से मिलने वाली फंडिंग जो उसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने, आतंक से लड़ने और आतंकवाद से हुई क्षति को पूरा करने के लिए मिलती है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान को देने वाले फंड में कटौती जरूर की है, लेकिन अभी भी ब्रिटेन जैसे देशों से पाकिस्तान को फंडिंग मिलती है। यह फंडिंग बुनियादी जरूरतों जैसे स्कूल, दवा, इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए मिलती है, लेकिन पाक इन पैसों का इस्तेमाल आतंक को पोषित करने के लिए करता है। जिस तरह से अमेरिका पाक को दी जाने वाली आर्थिक मदद में लगातार कटौती कर रहा है उससे अन्य देशों को भी सीख लेनी चाहिए, और इस आतंकी देश की फंडिंग को रोक देना चाहिए।
हाल की एक रिपोर्ट में यह खबर सामने आई कि पाकिस्तान ब्रिटेन से मिलने वाली 107 मिलियन यूरो की आर्थिक मदद का दुरुपयोग कर जालसाजी कर रहा है। बता दें कि ब्रिटेन अपने अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग द्वारा पाकिस्तान में कई परियोजनाएं चलाता है और यह राशि लगभग 107 मिलियन यूरो के करीब है। ये पैसे मुख्यतः स्कूलों के निर्माण के लिए दिए जाते हैं। पाकिस्तान में ब्रिटेन के आर्थिक मदद से 1,389 स्कूल बनाये गये हैं, जिनमें से 1,277 संभावित रूप से संरचनात्मक समस्याएं हैं। स्कूलों में बुनियादें सुविधायें नहीं हैं और न ही उन्हें बेहतर शिक्षा मिल रही है। ऐसा करके स्कूल के बच्चों के भविष्य के साथ पाक खिलवाड़ कर रहा है। जब इस मामले की जानकारी यूके सरकार को मिली तो उसने तुरंत स्थानीय अधिकारियों को 793 स्कूलों में सभी नई सुविधाओं को बंद करने के आदेश दिए। यूके सरकार के इस निर्णय से लगभग 115,000 छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है।
पाकिस्तान इस तरह से मिलने वाली आर्थिक मदद का दुरुपयोग कर अपने यहां के छात्रों का भविष्य भी अंधेरे में डाल रहा है। ब्रिटेन को तुरंत ही कार्रवाई करते हुए हुए पाकिस्तान के दी जाने वाले सभी आर्थिक मदद को अमेरिका से सीख लेकर बंद कर देनी चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिका ने पाक को झटका देते हुए वर्तमान में जारी आर्थिक मदद को आधा कर दिया था। अमेरिका ने केरी लूगर बर्मन एक्ट के तहत पाकिस्तान को ऊर्जा एवं जल संकट से निपटने के लिए दी जाने वाली प्रस्तावित आर्थिक मदद में 44 करोड़ डॉलर की कटौती की थी। इस कटौती के बाद से पाकिस्तान 4.1 अरब डॉलर की ही आर्थिक सहायता राशि मिलेगी। बता दें कि अमेरिकी कॉन्ग्रेस ने ‘केरी लूगर बर्मन एक्ट’ (केएलबी) अक्टूबर 2009 में पास किया था और सितंबर 2010 में पाकिस्तान एन्हांसमेंट पार्टनरशिप एग्रीमेंट (PEPA) में हस्ताक्षर के बाद इसे लागू किया था। इस एक्ट के तहत पांच वर्षों की अवधि में पाकिस्तान को 52,500 करोड़ रुपये (7.5 बिलियन डॉलर) की सहायता देने की व्यवस्था की गयी थी। इस राशि में से अभी 6300 करोड़ रुपये (900 मिलियन डॉलर) पाकिस्तान को नहीं दी गई थी, जिसमें से 3080 करोड़ रुपये (440 मिलियन डॉलर) की राशि को देने से अमेरिका मना कर चुका है। इससे पहले ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.3 अरब डॉलर की सुरक्षा मदद राशि भी बंद कर चुका है।
इन सब की वजह पाकिस्तान का आतंकवाद को बढ़ावा देना और पनाह देना है। अब दुनिया भर में आतंकी संगठनों को दी जाने वाली अवैध सहायता पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने भी पाक को आतंकवाद को पनाह देने के लिए ग्रे लिस्ट में डाल चुका है। अब अगले महीने अक्टूबर में पाकिस्तान का ब्लैकलिस्ट की सूची में शामिल होने की भी पूरी संभावना है। आपको जानकार हैरानी होगी की खुद पाकिस्तान के एक मंत्री ने ये स्वीकार किया है कि पाक सरकार अपने यहां आतंकवाद को पनाह देता है, और उन्हें वित्तीय सहायता भी दी जाती है। इससे पहले, जुलाई में संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कबूल किया था कि उनके देश में अभी भी 30,000 से 40,000 आतंकवादी मौजूद हैं, जिन्हें अफगानिस्तान और कश्मीर के हिस्सों में ट्रेनिंग दी गई। इमरान खान ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान की पिछली सरकारों के अंदर आतंकवादी समूहों को खत्म करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। एक अलग कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि उनके यहां 40 अलग-अलग आतंकवादी समूह हैं, जो उनकी ही सीमा के भीतर काम कर रहे हैं।
यह तो स्पष्ट बात है कि जो देश अन्य देशों से बेलआउट पैकेज मांग कर अपने देश की अर्थव्यवस्था बचाने की कोशिश कर रहा है, उसके पास इन आतंकी संगठनों को चलाने के लिए फंड दूसरे देशों से ही मिल रहा है। पाक दूसरे देशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता का ही दुरुपयोग कर रहा है। यह आतंकी संगठन केवल पाक के पड़ोसी देशों को ही अस्थिर करने की कोशिश नहीं कर रहा बल्कि पूरे विश्व में दहशत फैला रहा है जिन पर लगाम लगाना जरूरी है। ब्रिटेन, सऊदी अरब जैसे देशों को अमेरिका से सीख लेकर अब पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी तरह की फंडिंग पर रोक लगा दी जानी चाहिए जिससे विश्व में शांति स्थापित करने में आ रही मुश्किलों का निवारण करना आसान हो सके।