राष्ट्रवादी महिंद्रा जी, आपने देवदत्त जैसे प्रोपगंडावादी को अपने चैनल में क्यों रखा है?

“हड़प्पा वैदिक नहीं था। लेकिन वेद हड़प्पन के ही थे।"

देवदत्त पटनायक

लेखक देवदत्त पटनायक एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। सोमवार को उन्होंने हड़प्पा और वैदिक सभ्यता से जुड़ा एक ट्वीट किया जिसके बाद से वो आलोचनाओं से घिर गये।

https://twitter.com/devduttmyth/status/1171040391568609282

देवदत्त ने अपने ट्वीट में कहा था कि, “हड़प्पा वैदिक नहीं था। लेकिन वेद हड़प्पन के ही थे। क्योंकि  हड़प्पा सभ्यता पुरानी थी और वेद बाद में आया। हड़प्पा में दफनाने को प्राथमिकता दी जाती थी जबकि वेदों से दाह संस्कार की प्रथा शुरू हुई। हड़प्पा सिंधु-सरस्वती के आसपास समृद्ध हुआ जबकि वेद गंगा-यमुना के आसपास। दोनों का हिंदू धर्म में योगदान है। स्पष्ट है!” इस ट्वीट पर उनका सोशल मीडिया पर यूजर्स ने खूब मजाक उड़ाया इस बीच एक यूजर्स ने देवदत्त से बागपत में निकाले गए कुछ ऐतिहासिक अवशेषों पर उनकी राय मांगी, तो देवदत्त बेहद शर्मनाक जवाब दिया- उन्होंने कहा, “I will check with . your mother ”यानी देवदत्त इस बात का पता यूजर की माँ के साथ लगाएंगे”।

https://twitter.com/devduttmyth/status/1171101594114330626

देवदत्त यही नहीं रुके उन्होंने और भी बेतुके और शर्मनाक ट्वीट कर यूजर्स को जवाब दिया जिसके लिए सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर यूजर्स ने सुनाया।

https://twitter.com/ilg2407/status/1171123038860898307

पहले भी देवदत्त इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं। यूजर्स ने कमेंट बॉक्स में उनके पुराने ट्वीटस को शेयर भी किया है।

https://twitter.com/SwamiGeetika/status/1171216668497854464

https://twitter.com/hi_madrista/status/1171119128200937472

 

परंतु ये देवदत्त पटनायक है कौन? देवदत्त पटनायक पेशे से लेखक है जो धार्मिक विषयों और पौराणिक कथाओं को नए अंदाज में पेश कर आज के युवाओं को भ्रमित करने का प्रयास बखूबी करते हैं। वो अक्सर हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों का वामपंथी नजरिए से विश्लेष्ण करते हैं और उसे अपने तरीके से पेश करते हैं। इसके जरिये वो बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म के प्रचार के नाम पर हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहे हैं जो इनकी किताबों में भी स्पष्ट नजर आती है। My Gita और Jaya जैसी अपनी किताबों में देवदत्त ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। और तो और वो एपिक चैनल के चर्चित शो ‘देवलोक विथ देवदत्त पटनायक’ में भी आते हैं जहां वो धार्मिक ज्ञान अपने तरीके से पेश करते हैं। इस चैनल के मालिक उद्योगपति आनंद महिंद्रा हैं जो अपने राष्ट्रवादी रुख के लिए जाने जाते हैं।

धर्म कर्म के बारे में बड़ी बड़ी बातें करने वाले देवदत्त पटनायक निजी जीवन में कितने निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करते हैं, ये तो आपने उनके सोशल मीडिया पर किये गये ट्वीटस से देख लिया है। परन्तु ये पहली बार नहीं है, अक्सर कई मौकों पर उनके इस एजेंडे का खुलासा हुआ है। इससे पहले भी सनातन धर्म के रीति रिवाजों पर अपने ऊटपटाँग विचारों के बचाव में देवदत्त ने ऐसी ओछी भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने अमेरिका में रह रहे सनातनी भारतीयों पर भी बेहद घटिया और बेतुके आरोप लगाए हैं –

https://twitter.com/devduttmyth/status/1171234255160037377

देवदत्त पटनायक सनातन धर्म के लिए वास्तव में कैसी सोच रखते हैं, ये उनके कुछ ट्वीट्स से ही साफ पता चल जाता है। उदाहरण के लिए इसे देखिये –

इस ट्वीट के जरिये देवदत्त पटनायक ने उन लोगों का मज़ाक उड़ाया है, जो संस्कृत भाषा का अध्ययन करते हैं। परन्तु जब उनके इस चेहरे का कोई खुलासा करता है तो वो बेहद असहिष्णु हो जाते हैं। एक बार एक संस्कृत स्कॉलर नित्यानंद मिश्रा ने संस्कृत उच्चारण और समझ को लेकर उनपर हमला किया और उनके ढोंगी विचारों की पोल खोली थी।।

इसके बाद देवदत्त ने न केवल उन्हें अपमानित किया, अपितु पूरे ब्राह्मण समुदाय का अपने ट्वीट्स के जरिये भद्दा मज़ाक भी उड़ाया –

https://twitter.com/devduttmyth/status/818537008616378372

https://twitter.com/devduttmyth/status/819039168361852932

https://twitter.com/devduttmyth/status/818147470865793024

https://twitter.com/devduttmyth/status/818498877334532096

बात यहीं पर नहीं रुकती। देवदत्त ने तो पद्मावत फिल्म पर उपजे विवाद के दौरान रानी पद्मिनी के जौहर का न केवल मज़ाक उड़ाया बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से आक्रांताओं के अत्याचारों को उचित ठहराने का बेहद घटिया प्रयास भी किया। शायद स्वरा भास्कर को पद्मावत के रिलीज़ के बाद अपने ऐतिहासिक ट्वीट्स के लिए इन्ही से प्रेरणा मिली होगी:

https://twitter.com/devduttmyth/status/931445429102723073

https://twitter.com/devduttmyth/status/931451111222870016

परन्तु यहां जो चीज सबसे ज्यादा सोचने पर विवश कर रही है तो वो है राष्टवादी उद्योगपति आनंद महिंद्रा के चैनल से हिंदू धर्म के ग्रंथों को तोड़-मरोड़कर पेश करने वाले देवदत्त पटनायक के शो का प्रसारण जारी रहना। अपने राष्ट्रवादी रुख के लिए प्रसिद्ध आनंद महिंद्रा वर्ष 2016 तक इस चैनल के को-प्रमोटर थे लेकिन बाद में मुकेश अंबानी की चैनल में हिस्सेदारी खत्म होने के बाद वो इसके मालिक बन गये। ऐसे में यदि इतने विवादों के बाद भी देवदत्त पटनायक एपिक चैनल में बने हुए हैं, तो इससे आनंद महिंद्रा क्या संदेश देना चाहते हैं?

देवदत्त पटनायक हर भारतीय चिंतन,वेद पुराण इतिहास को केवल काल्पनिक कथा का दर्जा देने में कुशल रहे हैं। वे ऐसी युक्तियों से नई पीढ़ी को भ्रमित करने का पूरा प्रयास करते हैं। अब तो इनका ये भी कहना है कि हड़प्पा सभ्यता वेदों से भी पुराना है, और वे आर्यों के आक्रमण वाले सिद्धान्त का समर्थन भी करते हैं। ऐसे में आनंद महिंद्रा देवदत्त के शो को अपने चैनल पर क्यों अभी तक जारी रखा है? उसका बहिष्कार क्यों नहीं किया है? देवदत्त पटनायक को इस शो से काफी धन मिलता है. यही नहीं रेडियो मिर्ची भी उनके काल्पनिक पौराणिक कथाओं को अपने चैनल पर प्रसारित करता है।  इससे युवा भी हिंदू ग्रंथों की वास्तविकता से परिचित कम और देवदत्त के काल्पनिक विश्लेष्ण से ज्यादा भ्रमित होंगे।

एक ऐसा व्यक्ति जो एक धर्म का सम्मान न करे और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करे उसका आनंद महिंद्रा का व्यापार के लिए समर्थन करना बिलकुल गले नहीं उतरता। हिंदू धर्म के विरुद्ध विषैला एजेंडा चलाने वाले देवदत्त पटनायक का समर्थन देने की बजाय आनंद महिंद्रा को सख्त एक्शन लेने की जरूरत है।

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