4 जवानों को यासीन मलिक ने मार दिया, अब 30 सालों बाद इनके परिवार को मिलेगा न्याय

यासीन मलिक

अलगाववादी नेता और कई आपराधिक मामलों के दोषी यासीन मलिक के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते होंगे, लेकिन आपको उन 4 वायुसेना के अफसरों के बारे में कुछ नहीं पता होगा, जिन्हें आज से लगभग 30 साल पहले शहीद कर दिया गया था और इसी अलगाववादी नेता यासीन मलिक पर उनकी हत्या के आरोप लगे थे। जिन 4 अफसरों की हत्या की गई थी, उन्हीं में से एक स्क्वाड्रन लीडर थे रवि खन्ना! रवि खन्ना को तो सबने भुला दिया लेकिन जिसपर उनकी हत्या करने के आरोप लगे, उसे कश्मीर के नेताओं की शय पर हमेशा वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता रहा। हालांकि, अब इस मामले में रवि खन्ना की पत्नी निर्मला खन्ना को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है।

दरअसल, 30 साल पुराने इस मामले में विशेष अदालत ने अब यासीन मलिक के खिलाफ वारंट जारी किया है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक अभी टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की न्यायिक हिरासत में है। कोर्ट ने उनके साथ-साथ तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी वारंट जारी किया है। मलिक पर आरोप लगा था कि 25 जनवरी 1990 को उसने श्रीनगर शहर के पास 4 वायुसेना अफसरों की हत्या की थी। हालांकि, कभी उस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी।

रवि खन्ना की पत्नी निर्मला खन्ना ने कल यानि सोमवार को टाइम्स नाऊ से बातचीत के दौरान अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ‘30 सालों तक उनके पास कोई नहीं आया, किसी ने उनसे यह नहीं पूछा कि वे अपने जीवन को कैसे बिताएंगी और यासीन मलिक जैसे आरोपियों को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलता रहा, लेकिन अब उन्हें इंसाफ की उम्मीद है।‘ बता दें कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने से पहले यासीन मलिक जैसे अलगाववादियों पर सरकार मेहरबान रहती थी।

यूपीए सरकार के दौरान यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेताओं को राजनीतिक कार्यकर्ता माना जाता था। उनकी सुरक्षा में सैकड़ों जवान तैनात रहते थे। मीरवाइज उमर फारूक की सुरक्षा सबसे मजबूत थी। सिर्फ उसके सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर बीते करीब 10 साल में पांच करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। इतना ही नहीं, इन अलगाववादियों के हवाई टिकट, होटल और इलाज का खर्च भी सरकार देती थी।

हालांकि, मोदी सरकार ने आने के बाद एनआईए को इन सभी के विवादित आर्थिक संसाधनों की जांच करने के आदेश जारी किए और आज उसके नतीजे सबके सामने हैं। यासीन मलिक आज तिहाड़ में हैं और अब 30 साल पुराने एक महत्वपूर्ण मामले में भी यासीन के खिलाफ कोर्ट द्वारा वारंट जारी किया गया है। इतना ही नहीं, ठीक इसी वर्ष केंद्र सरकार ने यासीन मलिक की संस्था जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को आतंक-रोधी कानून के तहत बैन कर दिया था।

रवि खन्ना मामले ने फिर एक बार जहां एक इस बात को प्रदर्शित किया है कि कांग्रेस के समय कभी सैनिकों और वायुसैनिकों को सम्मान नहीं दिया जाता था, तो वहीं इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि मोदी सरकार के समय 30 साल पुराने मामलों में भी अब शहीद वायुसैनिकों के परिजनों को इंसाफ दिया जा रहा है। इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है, और उम्मीद है कि निर्मल खन्ना को इस मामले में जल्द ही इंसाफ मिलेगा।

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