4 वर्षों के अपमान के बाद, फेमिनाज़ी पीड़ित सर्वजीत सिंह अब सभी आरोपों से हुए बरी

सर्वजीत सिंह ने जो चार वर्षों में खोया, क्या वो कोई लौटा सकता है?

PC: Indiatoday

चर्चित जसलीन कौर मामले में गुरुवार को एक अहम निर्णय में न्यायालय ने कथित आरोपी सर्वजीत सिंह को अंतत: बरी दिया है। सर्वजीत सिंह बेदी पर आम आदमी पार्टी के छात्र संघ CYSS की एक कार्यकर्ता जसलीन कौर के साथ छेड़खानी का आरोप था, जिसके कारण सर्वजीत को मानसिक रूप से मीडिया और समाज द्वारा काफी यातनाओं का सामना करना पड़ा था।

पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट दीपिका भारद्वाज ने इसी संबंध में ट्विटर पर पोस्ट भी शेयर किया है –

इस ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘चार साल, अनगिनत तारीखें, मीडिया और समाज द्वारा उसके और उसके परिवार का बेहिसाब अपमान। आखिरकार, सर्वजीत ने इस केस को जीत लिया है । कोर्ट ने सभी आरोपों से उसे बरी कर दिया है’।

इस मामले में जीत के बाद खुद सर्वजीत सिंह ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए लिखा,  “फै़सला आ चुका है, मैं बरी हो गया हूं, मैं वाहेगुरू का धन्यवाद करता हूं और सभी को सपोर्ट के लिए धन्यवाद करता हूं। मेरी मां मेरे साथ हमेशा खड़ी रहीं । उनके साथ की वजह से ही मुझे साहस मिला । मेरे प्रति उनके अटूट विश्वास के कारण मैं हर दिन सभी कठिनाइयों से जूझ सका। मैं शिखा खंदूजा कौल को कैसे भूल सकता हूं, जिन्होंने पूरी प्रक्रिया में मेरा मार्गदर्शन किया। वे मेरी बड़ी बहन की तरह है, और जो पुस्तक उन्होंने मेरे केस पर लिखी है, वो जल्दी ही सबके सामने आएगी।’ इसके अलावा अपने इस पोस्ट में सर्वजीत ने उन सभी का भी धन्यवाद किया जो इस मामले में उनके समर्थन में थे।

दरअसल, 23 अगस्त 2015 को दिल्ली में एक चौराहे पर सर्वजीत और जसलीन के बीच झड़प हुई थी, जिसपर जसलीन ने उसे देख लेने की धमकी दी थी। इसके पश्चात जसलीन ने फेसबुक पर पोस्ट डालते हुए आरोप लगाया कि सर्वजीत ने न केवल उसके साथ छेड़खानी की, अपितु उसे धमकियां भी दी।

फिर क्या था, बिना जांच पड़ताल किए सभी लोगों ने जसलीन को नायिका समझ लिया और सर्वजीत को खलनायक बना दिया। इस छवि को बढ़ावा देने में टाइम्स नाउ चैनल का विशेष योगदान था, जब इस चैनल में काम कर रहे पत्रकार अर्णब गोस्वामी (अब रिपब्लिक टीवी में) ने जसलीन के पक्ष का समर्थन करते हुए सर्वजीत को मीडिया ट्रायल में ही दोषी ठहरा दिया था। अरविंद केजरीवाल ने भी जसलीन कौर को बधाई देते हुए उसे दिल्ली की युवतियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया। यही नहीं, दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर बी एस बस्सी ने जसलीन को घटना रिपोर्ट करने के लिए 5000 रुपये के नकद पुरस्कार देने की भी घोषणा की।

परंतु जैसे-जैसे केस आगे बढ़ता गया, जनता को इस केस की वास्तविकता का आभास होने लगा। सर्वजीत के पक्ष में धीरे-धीरे कई लोग सामने आने लगे, और इसके ठीक उलट जसलीन कौर ने अपना पक्ष रखना तो दूर, अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराना भी उचित नहीं समझा। वहीं सर्वजीत को न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज़ करानी पड़ती थी, अपितु उसे कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ता था।

अब जब सर्वजीत दोषमुक्त सिद्ध हो चुका है, तो प्रश्न ये उठता है कि जो चार वर्ष उन्होंने एक झूठे केस के कारण खोये हैं, क्या वो उन्हें वापिस मिलेंगे? क्या एक ‘मोलेस्टर’ का टाइटल, जो सर्वजीत पर अवसरवादी पत्रकारों ने थोपा था, वो मिट जाएगा? क्या सर्वजीत एक आम जीवन जी पाएंगे? ऐसे ही मुद्दों पर प्रकाश डालती फिल्म ‘सेक्शन 375’ में अक्षय खन्ना ने इस बात को केंद्र में रखते हुए कहा था, ‘इस तरह के झूठे मामले एक वास्तविक पीड़िता के ताबूत में कील के समान होते हैं’।

सर्वजीत अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं थे, जिन्हें एक झूठे मामले के कारण इतनी पीड़ा झेलनी पड़ी। उसी वर्ष रोहतक में एक बस में दो लड़कियों ने कथित रूप से छेड़ रहे दो लड़कों को खूब पीटा, जिसका वीडियो भी बाद में वायरल हुआ। कई लोगों ने न केवल इसके लिए इन दोनों लड़कियों की सराहना की, अपितु हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो उन दोनों लड़कियों के लिए वीरता पुरस्कार की घोषणा भी कर दी। हालांकि, जब ये केस झूठा निकला, तो बाद में खट्टर सरकार को काफी शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी।

सच पूछें तो सर्वजीत सिंह जैसे मामले इस बात का सूचक है कि कैसे कुछ अवसरवादी लोग उसी कानून का दुरुपयोग करते हैं, जिसे महिलाओं की सुरक्षा हेतु पारित किया गया था। हर कोई सर्वजीत जैसा साहसी नहीं होता, और यदि हमने इस मामले से कोई सीख न ली, तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब दुष्कर्म एवं छेड़खानी इन झूठे मामलों के कारण केवल एक मज़ाक बनकर रह जाएगा।

Exit mobile version