यूएन में कश्मीर का राग अलापना मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को भारी पड़ रहा है, क्योंकि भारत ने मलेशिया के साथ व्यापारिक संबंधों को कम करने का निर्णय लिया है और इसपर अमल भी कर रहा है। हालांकि, मलेशिया का सरदर्द सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। भारत से मिले झटके के बाद अब महातिर मोहम्मद को अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार के कारण भी आर्थिक प्रतिबंधों का डर सता रहा है, और ये हम नहीं बल्कि खुद महातिर मोहम्मद कह रहे हैं।
दरअसल, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने सोमवार को कहा कि मलेशिया, जिसकी अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर है, वो आने वाले दिनों में ट्रेड वार के चलते व्यापार प्रतिबंधों की मार झेल सकता है। हालांकि, इस दौरान महातिर ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश पर संभावित प्रतिबंधों के स्रोत का उल्लेख नहीं किया, परन्तु वो इससे काफी निराश थे कि कभी फ्री ट्रेड के प्रस्तावक रहे देश अब स्वयं ‘बड़े स्तर’ पर प्रतिबंधात्मक व्यापार में लिप्त हैं। जी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार पर चिंता व्यक्त करते हुए मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में एक कॉन्फ्रेंस में महातिर मोहम्मद ने कहा, “दुर्भाग्यवश, हम मझधार में फंस गये हैं, आर्थिक रूप से हम दोनों बाजारों से जुड़े हैं और फिजिकली हम भौगोलिक कारणों के बीच में भी फंस गए हैं। और हो सकता है आने वाले दिनों में हमें भी प्रतिबंधों का सामना करना पड़े।”
मलेशिया की ये चिंता जाहिर भी है, क्योंकि सिंगापुर के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन मलेशिया के शीर्ष निर्यातकों में से हैं। इन दोनों देशों के बीच चल रहे ट्रेड वार के कारण मलेशिया की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ रहा है। मलेशिया के इन देशों में कुल निर्यात पर नजर डालें तो आप भी समझ जायेंगे कि महातिर मोहम्मद को ये चिंता क्यों खाई जा रही है। दरअसल, मलेशिया का सिंगापुर में निर्यात 34.4 बिलियन यूएस डॉलर है जोकि मलेशिया के कुल निर्यात का 13.9% है, चीन में मलेशिया का निर्यात सिंगापुर के लगभग आसपास ही है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में मलेशिया का निर्यात 22.5 बिलियन यूएस डॉलर है जोकि मलेशिया के कुल निर्यात का 9.1 प्रतिशत है। अब चीन-अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध के कारण मलेशिया का आर्थिक संकट और गहरा सकता है जिसका आभास मलेशिया को है और इन दोनों देशों के बीच के तनाव को कम करने के लिए महातिर मोहम्मद अपने पड़ोसी देशों का सहयोग भी ले रहे हैं। परन्तु उनके प्रयास सफल होते नहीं दिखाई दे रहे। वहीं, भारत में मलेशिया का कुल निर्यात देखें तो यह 9 बिलियन यूएस डॉलर है जोकि मलेशिया के कुल निर्यात का 3.6% है। अब भारत मलेशिया से आयात होने वाले सामान पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। उस समय तो महातिर ने इशारों ही इशारों में यह कहा था कि अगर भारत कोई एक्शन लेता है तो वो भी पलटकर एक्शन लेने से नहीं घबराएँगे। परन्तु जल्द ही महातिर होश में आ गये और वो कूटनीति का सहारा लेने की बात करने लगे। हालाँकि, भारत ने इसपर कोई जवाब नहीं दिया जिससे महातिर की हताशा और बढ़ती जा रही है।
वैसे ये चिंता यूँ ही नहीं है, दरअसल, मलेशिया का पाम ऑयल उसके कृष क्षेत्र का मुख्य आधार है। पिछले साल मलेशिया के कुल घरेलू उत्पादन में खाद्य तेल का योगदान 2.8 प्रतिशत रहा था जोकि कुल निर्यात का 4.5% था। यूरोपीय संघ पहले ही पाम ऑयल के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए काम कर रहा है। दरअसल, यूरोपीय संघ ने वनों की कटाई पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इस वर्ष की शुरुआत में एक अधिनियम पारित किया था जिसके तहत 2030 तक जैव-ईंधन में पाम ऑयल का उपयोग खत्म करने की बात कही गयी थी। इंडोनेशिया के बाद मलेशिया पाम ऑयल का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। ऐसे में मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे उत्पादक देश कच्चे और रिफाइंड पाम ऑयल के लिए भारत और चीन जैसे बाजारों की ओर देख रहे हैं। मलेशिया और भारत के रिश्ते वैसे तो अच्छे ही रहे हैं। यह हमें जनवरी में देखने को भी मिला था जब भारत ने आरबीडी और पाम ऑयल पर प्रभावी इम्पोर्ट ड्यूटी 59.40 प्रतिशत और 48.40 प्रतिशत के स्तर से घटाकर क्रमश: 49.50 प्रतिशत और 44 प्रतिशत कर दिया था। परन्तु मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पिछले महीने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद से ही नई दिल्ली में मलेशिया को लेकर गुस्सा देखने को मिला। भारत ने पहले इम्पोर्ट ड्यूटी पर शुल्क बढ़ाया फिर भारतीय व्यापारियों ने भी अगले महीने के लिए होने वाले पाम आयल आयात के सौदों को रोक दिया है और अब भारत मलेशिया की बजाय इंडोनेशिया को महत्व दे रहा है। अब मलेशिया की मीडिया ने भी महातिर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, यानि मलेशिया की मीडिया भी महातिर मोहम्मद के भारत विरोधी सुर को लेकर महातिर सरकार पर हमलावर हो गई है, यही कारण है कि महातिर मोहम्मद के सुर भी अब बदले-बदले नज़र आ रहे हैं। वहीं अमेरिका-चीन के ट्रेड वार ने महातिर की चिंताओं को बढ़ाने का काम किया है।
स्पष्ट है मलेशिया के प्रधानमंत्री ने हर तरफ से अपने देश की परेशानी को बढ़ाने का ही काम किया है और अब वह डैमेज कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं। वो ऐसा कर पाने में कितना सफल होते हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा परन्तु उन्हें अगर भारत से कोई उम्मीद है तो उनके लिए यही अच्छा होगा कि वह कश्मीर मुद्दे पर पाक के एजेंडे को बढ़ावा ना देकर अपने देश हित के बारे में सोचें।