कई दिनों से नीले-नीले आसमान का आनंद ले रही दिल्ली NCR को एक बार फिर झटका लगा है। हाल ही में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ्ने से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स में भयानक बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर शुक्रवार से बढ़ने लगा और शनिवार को यह एक अलग ही स्तर पर चला गया। शुक्रवार को नई दिल्ली के लोधी रोड क्षेत्र में पीएम 2.5 कॉन्सेंट्रेशन स्तर 185 पर अंकित की गयी थी, जो मानकों के अनुसार ‘संतोषजनक’ है, जबकि पीएम 10 का स्तर 201 पर अंकित हुआ, जो मानकों के अनुसार ‘असंतोषजनक’ है।
शनिवार को एयर क्वालिटी ‘असंतोषजनक’ श्रेणी में आ गयी, जब उसने एयर क्वालिटी इंडेक्स पर 200 का स्तर पार किया था। दिल्ली में कई जगह एयर क्वालिटी ‘असंतोषजनक’ श्रेणी में मापी गयी। आनंद विहार में AQI का स्तर 280 था, तो वहीं बवाना में 271 था, सिरीफ़ोर्ट में ये स्तर 271 था, लोधी रोड में 213 और पंजाबी बाग में 214 मापा गया। कुल मिलकर दिल्ली क्षेत्र का एयर क्वालिटी इंडेक्स 222 पर अंकित किया गया, जो ‘असंतोषजनक’ श्रेणी में आता है। इससे स्पष्ट है की एक बार फिर दिल्ली पंजाब और हरियाणा में अनियंत्रित पराली [फसल के अवशेष जलाने] के कारण दिल्ली के लोगों का स्वास्थ्य संकट में है।
पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के इस स्तर का प्रमुख कारण है हवा की दिशा में बदलाव। पहले हवा पूर्वी दिशा से आ रही थी, परंतु अब यह पश्चिमी दिशा से बहनी शुरू हो चुकी है। हवा की गति कम ही नहीं है, परंतु इसमें नमी की मात्र काफी ज़्यादा है, जिसके कारण दिल्ली के प्रदूषण स्तर में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और हवा की गुणवत्ता में भी काफी गिरावट दर्ज़ हुई है। पिछले महीने इस मुद्दे पर क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अध्यक्ष कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा था, “साल के इस समय दिल्ली पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी हवाएँ दिल्ली में बहती हैं। परंतु 15 अक्टूबर के बाद हवा की दिशा बदल जाती है। पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी हवाएँ जो पंजाब और हरियाणा से आती है, वे प्रदूषण के कणों को हटाने में उतनी सफल नहीं रहती है”।
हवा की दिशा में बदलाव के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं के कारण दिल्ली का एक बार फिर दम घुटने लगा है। जब हवा पश्चिमी दिशा से बहना शुरू होती है, तो वो पंजाब और हरियाणा में पराली जलने के कारण उत्पन्न प्रदूषित हवा को अपने साथ लाती है, जिसके कारण हवा की गुणवत्ता में गिरावट आती है। क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अध्यक्ष कुलदीप श्रीवास्तव के अनुसार, हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषित कण आसानी से नहीं हट पाते, जिसके कारण दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में भारी कमी दर्ज़ होती है।
वर्तमान रिपोर्ट्स के अनुसार, हरियाणा और पंजाब में पराली जलने की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है, और अभी तक 120 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पंजाब के किसानों की यह शिकायत है कि पंजाब सरकार ने उनके लिए कोई और चारा ही नहीं छोड़ा है, एक किसान के अनुसार, “पंजाब सरकार हमें इसके अलावा कोई विकल्प ही नहीं देती”। इससे स्पष्ट पता चलता है कि कैसे दोनों सरकारें पराली जलने की घटनाओं को नियंत्रित करने में असफल रही है।
2015 में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने पर प्रतिबंध लगाया था। आईपीसी और एयर पोल्यूशन एक्ट के अंतर्गत ये एक दंडनीय अपराध है। आरोपियों के विरुद्ध एफ़आईआर तो दर्ज हो जाती है, परंतु पंजाब एवं हरियाणा हाइ कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार दोषियों पर किसी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया जा सकता, और चूंकि अफसर दोषियों को पकड़ नहीं पाते, इसके कारण पराली के जलने की समस्या और जटिल हो जाती है।
यहाँ पर इस बात पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित SAFAR यानि सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट पिछले वर्ष प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलने के कारण 32 प्रतिशत तक दिल्ली में प्रदूषण होता है।
2016 में भी आईआईटी कानपुर ने एक स्टडी प्रकाशित की थी, जिसमें पराली जलाने की इस आदत को दिल्ली के प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक बताया गया था। इस परिप्रेक्ष्य में पंजाब और हरियाणा की सरकारों की प्रतिक्रिया काफी निराशाजनक रही है। इस समस्या की भयावहता के बावजूद इन दोनों राज्यों ने अपनी नीतियों में कोई व्यापक बदलाव नहीं हुआ है। यदि इन्होने पराली के जलाए जाने का उचित विकल्प ढूंढा होता, तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस तरह नहीं बढ़ता।
इस समस्या का समाधान केंद्र सरकार ने हाल ही में निकालने का प्रयास किया है। 1150 करोड़ की कुल धनराशि के 18000 ऐसे मशीन खरीदे गए हैं, जो केंद्र सरकार जल्द ही पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदान कराएगी। ये मशीन फसल के अवशेषों को खाद में परिवर्तित करेगी, जिससे इन अवशेषों को जलाने की कुप्रथा को नियंत्रित करने में आसानी होगी।
केंद्र सरकार ने अपना दायित्व पूरा किया है, अब ये अमरिंदर सिंह की पंजाब सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार के ऊपर हैं, कि वे कैसे इस समस्या से निपटते हैं, ताकि दिल्ली को इस स्वास्थ्य संबंधी संकट से जल्द ही मुक्ति मिल सके।