मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक अलग ही अवतार में दिखाई दे रहे हैं। मोदी सरकार के पहले पाँच सालों में उन्होंने गृहमंत्री के तौर पर देश को अपनी सेवाएँ दी थीं। उनके सफल नेतृत्व का ही यह नतीजा था कि नई सरकार में उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। हालांकि, राजनाथ सिंह को हमेशा से एक ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता रहा है जिनकी जीवनशैली बेहद साधारण और विवादों से दूर रही है। गृहमंत्री रहते हुए उन्होंने कभी आक्रामकता नहीं दिखाई और पड़ोसी देश पाक के लिए भी कभी उन्होंने कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया, लेकिन अब रक्षा मंत्री रहते हुए वे ना सिर्फ पाक से पीओके को छीनने की बात कर रहे हैं, बल्कि पाक की न्यूक्लियर बम वाली गीदड़भभकी का भी उपयुक्त जवाब दे रहे हैं।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भारत ने और ज़्यादा आक्रामकता से पाकिस्तान को किनारे लगाने का काम किया है। जम्मू-कश्मीर से विशेषाधिकार छीनने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है। पाक की शुरू से यह आदत रही है कि बात-बात पर वह भारत को परमाणु हमले की धमकी देता आया है, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अबकी बार पाक की इस बीमारी का भी इलाज़ ढूंढ निकाला है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से लगातार उकसावे वाले बयानों पर राजनाथ सिंह ने पड़ोसी मुल्क को इशारों-इशारों में सख्त चेतावनी दी थी। राजनाथ ने कहा था कि ‘नो फर्स्ट यूज’ भारत की परमाणु नीति है, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उनके सिर्फ इस बयान के कारण ही पाक में बैठे हुक्मरानों के पसीने छूट गए थे।
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इसके अलावा राजनाथ सिंह अब सुपर ‘पीओके मिशन’ मोड में भी दिखाई दे रहे हैं। जब पाक कश्मीर को लेकर उकसावे भरे बयान दे रहा था, तो राजनाथ सिंह ने कहा था कि अब कश्मीर बातचीत का विषय है ही नहीं, जो बात होगी वह पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर को लेकर ही होगी। अगस्त में राजनाथ सिंह ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था ‘अगर भारत की पाकिस्तान से बात होती है तो वह केवल अब ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके)’ पर ही होगी’।
रक्षा मंत्री के तौर पर वे ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों को भी बढ़ावा दे रहे हैं जो ना सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है। इसी महीने की शुरुआत में एक बयान में उन्होंने कहा था कि भारत लंबे समय तक आयातित हथियारों पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने रक्षा उद्योग में सक्रिय भागीदारी के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित करते हुए यह भी कहा था कि हमारा लक्ष्य 2025 तक रक्षा उद्योग को 26 बिलियन अमरीकी डॉलर बनाना है।
Defence Minister Rajnath Singh in Delhi: I invite private sector for active participation in defence industry. Our target is to make defence industry worth USD 26 billion by 2025. We are open to new ideas and committed to explore the participation of private sector. pic.twitter.com/SxeSlGfp0N
— ANI (@ANI) October 4, 2019
और सिर्फ इतना ही नहीं, वे खुद जवानों के बीच जाकर उनका मनोबल बढ़ाने में भी पीछे नहीं रहे हैं। उदाहरण के तौर पर पिछले महीने रक्षा मंत्री ने बेंगलुरु स्थित HAL एयरपोर्ट से तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी। इसी के साथ वह हल्के लड़ाकू विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बन गए। इसके अलावा सितंबर महीने के ही आखिरी हफ्ते में रक्षा मंत्री मशीन गन चलाते हुए भी नज़र आए थे।
#WATCH Defence Minister Rajnath Singh fired medium machine gun on-board INS Vikramaditya, earlier today. pic.twitter.com/8EnkZrusvf
— ANI (@ANI) September 29, 2019
उनके इस कड़े रुख से ना सिर्फ पाक में बैठी भारत-विरोधी ताकतों को तगड़ा झटका लग रहा है बल्कि भारतीय जवानों का भी मनोबल बढ़ रहा है। अगर देश का रक्षा मंत्री दुश्मन के खिलाफ अपना कड़ा रुख रखता है तो इससे बॉर्डर पर खड़े जवानों के हौसले भी बुलंद होते हैं और उनमें आत्मविश्वास की भावना बढ़ती है। राजनाथ सिंह ऐसा करने में सफल रहे हैं और उनसे उम्मीद है कि भविष्य में भी वे ऐसे ही रक्षा मंत्रालय का सफलतापूर्वक नेतृत्व करते रहेंगे।