बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को भेजेगा ऐसे टापू पर, जहां अक्सर बाढ़ आती रहती है

रोहिंग्या

दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी समस्या से जूझ रहे देश बांग्लादेश ने अब रोहिंग्या शरणार्थियों से निपटने का सबसे अनोखा तरीका निकाला है। दरअसल, बांग्लादेश सरकार अब 1 लाख रोहिंग्याओं को म्यांमार के पास स्थित एक टापू पर भेजने की तैयारी कर रही है। बांग्लादेश सरकार के मुताबिक अभी जिस कॉक्स बाजार में रोहिंग्या मुसलमानों को बसाया गया है, वहां पर लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है, और ऐसे में उन्हें भासान छार नाम के एक द्वीप पर बसाया जा रहा है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस द्वीप पर लगातार बाढ़ आती रहती है, और वहां पर पहुंचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को इस द्वीप पर बसाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मदद की अपील भी की है। यह देश पहले से ही गरीब है कि और ऐसे में अधिकारियों को इन रोहिंग्याओं को बसाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि रखाइन प्रांत में इसी साल 25 अगस्त से शुरू हुई हिंसा के नए दौर के बाद से बांग्लादेश में 3 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम आ गए हैं। लगभग 3 लाख शरणार्थी पहले से ही म्यामांर सीमा के पास कॉक्स बाजार जिले में संयुक्त राष्ट्र के शिविरों में रह रहे हैं। ऐसे में इन शरणार्थियों को लेकर बांग्लादेश के लिए आए दिन नया सिरदर्द पैदा हो गया है।

बता दें कि बांग्लादेश के लिए मुश्किलें सिर्फ उन्हें बसाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वहां की सरकार के लिए इनसे सुरक्षा का खतरा भी पैदा हो गया है। इसी वर्ष सितंबर में बांग्लादेश सरकार ने दक्षिण पूर्व में शिविरों में रह रहे लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की मोबाइल सेवाएं बंद करने का आदेश दिया था। सरकार ने इसके पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था। पुलिस ने उस वक्त बताया था कि ये रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से करोड़ों डॉलर मूल्य की मेथम्फेटामाइन गोलियों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोबाइल फोन का दुरुपयोग कर रहे हैं। पुलिस ने यह भी बताया था कि शरणार्थियों के खिलाफ नशीले पदार्थों की तस्करी, हत्या, डकैती, गिरोह से लड़ने और पारिवारिक झगड़े के लगभग 600 मामले दर्ज किए गए थे। यानि ये रोहिंग्या ना सिर्फ बांग्लादेश में आर्थिक संकट पैदा कर रहे हैं, बल्कि वहां की कानून व्यवस्था को भी खराब कर रहे हैं।

पहले इन रोहिंग्या मुसलमानों के शिविरों में मोबाइल सेवा को बंद करने का फैसला और अब इन्हें दूर स्थित एक बाढ़-ग्रसित टापू पर बसाने के फैसले से स्पष्ट है कि बांग्लादेश सरकार इन मुसलमानों को अपने समाज से दूर रखना चाहती है। रोहिंग्याओं की मानसिक प्रवृति किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में बांग्लादेश के पास यह पूरा अधिकार है कि वह इन्हें अलग से एक टापू पर बसाए और वहां उन्हें सुविधाएं प्राप्त करवाए। बांग्लादेश सरकार के मुताबिक उस टापू पर पुलिस बल को भी तैनात किया जाएगा और किसी को भी व्यवस्था खराब करने की आज्ञा नहीं दी जाएगी। बंगालदेश यह भी चाहता है कि इन रोहिंग्या मुसलमानों का पालन-पोषण अंतर्राष्ट्रीय मदद से किया जाये। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था इस समय तेज गति से विकास कर रही है, और वह नहीं चाहता कि ये रोहिंग्या मुसलमान उस पर आर्थिक बोझ बनकर उसकी विकास दर को कमजोर कर दें। ऐसे में वह इनसे निपटने के अपने तरीकों का इजाद कर रहा है।

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