स्कूलों को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम

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PC: .indianexpress.com

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि प्राइवेट स्कूलों में पूरी तरह से पारदर्शिता बरकरार रहे। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की तैनाती, वित्तीय लेन-देन के साथ स्कूल की सभी क्रिया कलापों पर केंद्र सरकार नजर रखेगी। केंद्र सरकार ने इस पर काम भी तेजी के साथ शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स की माने तो अगले 6 माह के भीतर देशभर के सभी स्कूल केंद्र सरकार की निगरानी में संचालित होंगे। इसमें सबसे खास बात यह है कि केवल प्राइवेट स्कूल ही नहीं होंगे सरकारी स्कूल भी मॉनिटर किए जाएंगे।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक

मालूम हो कि देशभर में लाखों प्राइवेट स्कूल हैं जिनमें कुछ तो सरकारी लाइसेंस पर संचालित हो रहे हैं लेकिन इनमें न जाने कितने ऐसे स्कूल हैं जो बिना लाइसेंस के ही वर्षों से संचालित हो रहे हैं। न उन्हें मॉनिटर किया जाता है न ही उनकी शिक्षण की गुणवत्ता देखी जाती है। ये स्कूल मनमानी तरीके से फीस भी वसूलते हैं जिससे गरीब परिवारों को काफी समस्याएं आती हैं। एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि स्कूल गलत जानकारी देकर सरकार की तरफ से वित्तीय मदद लेते हैं। इनमें वे स्कूल ज्यादा हैं जो सरकारी सहायता से संचालित हो रहे हैं। हालांकि इन स्कूलों की संख्या देश भर में मात्र 5 प्रतिशत है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय की रिपोर्ट की माने तो कई स्कूल ऐसी हैं जिनके पास न पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर है न ही पर्याप्त शिक्षक फिर भी वे मनमानी स्कूल चला रहे हैं। ठीक इसी तरह स्थिति प्राइवेट स्कूलों की भी हो गई है। अधिकतर जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूल हैं वहां मात्र एक या दो कमरे में ही संचालित की जाती हैं। प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की बात करें तो न तो उनके पास प्रशिक्षित शिक्षक होते हैं न ही प्रति बच्चों के हिसाब से उनकी संख्या पर्याप्त होती है। इसके बावजूद भी वे बेहिसाब फीस वसूलते हैं।

संसद में गूंजा था प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का मामला

अभी हाल ही में संसद में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी तरीके से वसूली जा रही फीस पर भी चर्चा हुई थी। जिसमें समाजवादी पार्टी और बीजेपी के सांसदों ने राज्यसभा में आवाज उठाया था। राज्यसभा मे शून्यकाल के दौरान देश भर में निज़ी स्कूलों में फीस अनियमितता और स्कूलों द्वारा अभिभावकों के शोषण पर कई सांसदों ने चिंता व्यक्त की थी। इस दौरान बीजेपी से राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक ने भी निजी स्कूलों की मनमानी का मुद्दा राज्यसभा में उठाया था। श्वेत मलिक ने कहा था कि स्कूल एडमिशन से पहले चंदा मांगते हैं। बिल्डिंग डोनेशन मांगते हैं और अपनी कई ब्रांच खोलते जाते हैं। किताब, वर्दी, टूर के नाम पर ज्यादा शुल्क वसूले जा रहे हैं। अभिभावक को बाहर ये किताबें नहीं ख़रीदने दी जाती है। 4-4 गुना फीस स्कूल वाले बढ़ाते हैं। आपको बता दें कि निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी और एडमिशन के लिए डोनेशन का खेल बहुत लंबे समय से चलता आ रहा है। अभिभावक परेशान होते हैं और मजबूरी में स्कूल की शर्तों को मानना पड़ता है।

सरकारी स्कूलों की भी हालत दयनीय

प्राइवेट स्कूलों के बाद बात आती है सरकारी स्कूलों की, एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कई ऐसे सरकारी विद्यालय हैं जो मात्र एक या दो शिक्षकों के बल पर संचालित हो रहे हैं। वहीं बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। यह स्थिति तब है, जब राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक और छात्रों के बीच का अनुपात काफी बेहतर है। यानि प्रत्येक 23 से 24 छात्र पर एक शिक्षक है। यानि सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी मनमानी तरीके से विद्यालय आते हैं। उन पर भी इस एक्शन के बाद नजर रखी जा सकेगी। इसीलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय देशभर के विद्यालयों की धांधली रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। इसके लिए देशभर के विद्यालयों की जीआईएस यानि जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम के तहत एक सर्वे करा रही है। जिससे हर स्कूल चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट उनकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी। इसेक साथ ही स्कूल से जुड़ी सभी जानकारियां सरकार के पास रहेंगी।

छात्रों के माता-पिता से भी ली जाएगी जानकारी

खास बात यह है कि सरकारी व प्राइवेट स्कूलों से जानकारी मांगने के बाद इस पर आखिरी सत्यापन करने के लिए सरकार थर्ड पार्टी यानि बच्चों के माता-पिता से भी संपर्क करेगी। जिससे स्कूल द्वारा दी गई जानकारी वास्तव में सच है या नहीं सिद्ध हो सके। अगर स्कूल ने गलत जानकारी दी होगी तो उस पर जांच करके सरकार तुरंत कार्रवाई करेगी। बता दें कि केंद्र सरकार से पहले महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्य में यह नियम पहले ही लागू कर दी है। राज्य सरकार के मुताबिक 70 प्रतिशत स्कूलों ने सरकार से स्कूल से संबंधित सभी जानकारी साझा कर दी है। बाकि के 20 प्रतिशत स्कूल इसी महीने के अंत तक जानकारियां सरकार से साझा कर देंगी। ऐसे में बस एक क्लिक में स्कूल की सभी जानकारियां सरकार को प्राप्त हो जाएंगी।

बता दें कि मौजूदा समय में पूरे देश में 15.59 लाख विद्यालय हैं। जिसमें करीब ढाई लाख स्कूल शहरी क्षेत्रों में स्थित है जबकि 13.12 लाख स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में है। इन स्कूलों में 70 फीसदी से ज्यादा स्कूल सरकारी हैं। वहीं मात्र 5.4 फीसदी ऐसे स्कूल भी हैं जो सरकारी सहायता से संचालित हैं। अगर मौजूदा दौर की बात करें तो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है ऐसे में केंद्र सरकार का यह कदम बेहद सराहनीय है। इस कदम से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। वहीं प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर भी सरकार लगाम लगा सकेगी।

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