दिल्ली प्रदूषण पर स्पाइसजेट को पटाखा कंपनी ‘मुर्गा ब्रांड’ ने दिया धमाकेदार जवाब

स्पाइस जेट

दीपों के त्योहार दीपावली की तैयारियां देशभर में शुरू हो चुकी हैं, और इसके साथ ही साथ दिवाली पर पटाखा विरोधी गैंग की भी तैयारी शुरू हो चुकी है। कई ब्रांड भी इस बेतुके तर्क का समर्थन करने में पीछे नहीं रहे, और उन्होंने भी इस अभियान में हिस्सा लेना प्रारम्भ कर दिया।

इसी बीच निजी एयरलाइन स्पाइसजेट ने दिवाली के अवसर पर इस तरह के विज्ञापन निकालना शुरू कर दिया है, अगर अपने अभी तक नहीं देखा है तो ये देखिये –

परंतु ये विज्ञापन पटाखा निर्माताओं को रास नहीं आई, और इनमें से एक निर्माता और ‘मुर्गा छाप’ पटाखों के लिए प्रसिद्ध श्री कालीश्वरी फायर वर्क्स (मुर्गा ब्रांड) ने स्पाइसजेट को इस बेतुके विज्ञापन के लिए आड़े हाथों लिया। ‘मुर्गा छाप’ ने अपने फेसबुक पेज पर स्पाइसजेट के इस एड के जवाब में एक पोस्ट शेयर की:

इस पोस्ट में लिखा गया है,

“प्रिय स्पाइसजेट, क्या आपके पास प्रदूषण मुक्त प्लेन है?

क्या प्लेन के लिए आप व्हाइट पेट्रोल का उपयोग करते हैं या ग्रीन पेट्रोल का?

आपने हमारे फायरवर्क्स उद्योग के बारे में ऐसी बात कैसे की?

आप अपना बिज़नस क्यों नहीं बंद करते, पहले अपने प्लेनस को कूड़े में डालते और फिर लोगों को सलाह देते?

आपको पता भी है कि हवाई यात्रा से प्रति यात्री प्रति किलोमीटर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 285 ग्राम है, जबकि यही उत्सर्जन रेल यात्रा से मात्र 14 ग्राम प्रति यात्री होता है?

क्या हम भी ऐसे बैनर आपके ऑफिस के सामने लगायें?

अपने प्रचार के लिए दूसरों के उद्योग बर्बाद मत करें!”

आलोचनाओं के बाद स्पाइसजेट ने मदुरै हवाई अड्डे पर लगे इस विज्ञापन से ही पल्ला झाड़ लिया और कहा कि इससे उनकी कंपनी का कोई लिंक नहीं है। अब स्पाइसजेट जो भी कहे उसका दोहरा मापदंड सामने आ चुका है।

एक फेसबुक पोस्ट से मुर्गा ब्रांड ने न केवल स्पाइसजेट, बल्कि ऐसे कई अन्य अवसरवादी ब्रांड्स की हिपोक्रेसी को उजागर किया है। हालांकि, यह पहला ऐसा अवसर नहीं है जब किसी ब्रांड ने दिवाली के त्योहार के लिए दोहरे मापदण्ड अपनाए हों। कर्नाटक भाजपा के जनरल सेक्रेटरी अरविंद लिम्बावली ने बीते वर्ष एलेक्ट्रोनिक ब्राण्ड एलजी की हिपोक्रेसी एक्स्पोज़ करते हुए एक ट्वीट पोस्ट किया था –

 

अपनी पोस्ट में उन्होनें दो तस्वीर शेयर की थी। एक में एलजी दिवाली से पहले सुझाव दे रहा था कि, ‘अब और पटाखे नहीं! इस दिवाली अपने मित्रों के साथ खुशियाँ मनाइए क्योंकि एलजी लाया है #NayeIndiaKiDiwali ताकि आपके पास दिवाली मनाने के अनेकों कारण हो!’

वहीं, दूसरी तस्वीर में एलजी का दोहरा मापदंड उजागर हो गया, जब ये पता चला कि उस वर्ष नववर्ष की पूर्व संध्या पर लंदन में आयोजित होने वाले पटाखों के एक समारोह का प्रमुख स्पॉन्सर स्वयं एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स है। इससे पहले टाटा पावर, सैमसंग और पैनासॉनिक इंडिया ने भी ऐसे बेतुके ट्वीट किए थे, जिन्हें सोशल मीडिया पर भारी विरोध के चलते अपने पोस्ट बाद में हटाने भी पड़े थे –

ये हिपोक्रेसी सिर्फ ब्रांड्स तक ही सीमित नहीं है। लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवी हो, या बॉलीवुड के एलीट वर्ग के सदस्य हो, या फिर मीडिया के कुछ वर्ग ही क्यों न हो, सभी ने या तो दीपावली पर पटाखों के विरोध में पोस्ट किए हैं या फिर पटाखे प्रतिबंधित करवाने के लिए काफी प्रयास भी हैं। ये लोग कुछ हद तक सफल भी हुए, जब 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

जब सोशल मीडिया पर लोगों ने विरोध जताया, तो सुप्रीम कोर्ट की तत्कालीन पीठ ने ये निर्देश जारी किया कि देशभर में लोगों को पटाखे जलाने के लिए केवल दो घंटे का समय मिलेगा, और फैसले का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कारवाई होगी। परंतु इस निर्देश का उल्टा असर पड़ा, और विरोध स्वरूप देशभर में लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े। अंतत: सुप्रीम कोर्ट को ग्रीन क्रैकर्स यानि ईको फ्रेंडली पटाखे बनवाने का निर्देश जारी करना पड़ा।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ॰ हर्ष वर्धन ने हाल ही में काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च द्वारा निर्मित ईको फ्रेंडली पटाखों का अनावरण करते हुए कहा, “मैं बेहद प्रसन्न हूं। एक तरफ हम दीपावली पर ईको फ्रेंडली पटाखों का उपयोग करेंगे, तो वहीं दूसरी ओर हम अपने पारंपरिक रीतियों, यानि दीपावली पर दीपों और पटाखों की रीति को भी यथावत रखेंगे। जिन लोगों की रोज़ी रोटी पटाखों के कारण चलती थी, वे भी अब हमारे वैज्ञानिकों के कारण खुशियाँ मना सकते हैं”।

जहां अंधविरोध के कारण हर सनातनी त्योहार की रौनक को धूमिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं, तो वहीं मुर्गा छाप ब्रांड ने अपने एक पोस्ट से ऐसे अंधविरोधियों को न केवल आईना दिखाया है, अपितु एक स्पष्ट संदेश भी दिया है : विरोध करना बुरी बात नहीं, बुरी बात है बिना तर्क के विरोध करना।

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