‘एनक्कू थमीझ पीड़ीक्कम’ सीएम खट्टर का तमिल मै इंटरव्यू देखण जोग्गा है

खट्टर, हरियाणा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर से सोशल मीडिया पर धूम मचाए हुए है। इस बार भी उनकी तमिल भाषा पर पकड़ और तमिल में ही उनका इंटरव्यू सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है।

दरअसल, गुरुवार को उन्होंने एक तमिल TV चैनल  Thanthi TV को तमिल भाषा में ही इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू के दौरान एंकर ने अँग्रेजी में सवाल पूछा लेकिन उन्होंने जवाब तमिल भाषा में बिना किसी हिचकिचाहट और रूकावट के दिया। बता दें कि खट्टर मूल रूप से पंजाब से जुड़े है। इस इंटरव्यू के शुरू में उन्होंने तिरुवल्लुवर द्वारा तमिल भाषा में लिखित एक प्राचीन काव्य रचना ‘तिरुक्कुरल’ का दोहा पढ़ा। इसके बाद उन्होंने बिना रुके इंटरव्यू दिया जिसे सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वो तमिल भाषा के वह महारथी है।

इस इंटरव्यू के दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि हरियाणा में कौन जीतेगा? तो उन्होंने जवाब दिया ‘वहाँ फिर से कमल ही खिलेगा (‘Meendum thamarai malarum’)।

जब उनसे यह पूछा गया कि हरियाणा में तमिल लोगों के लिए क्या किया जाएगा तो उन्होंने तमिल भाषा में जवाब दिया कि ‘हरियाणा में आये सभी तमिल हरियाणवी हैं तथा वह सभी उनके अपने है’। खट्टर ने कहा कि वह कई बार तमिलनाडु गए हैं, और यहां तक कि तमिल भाषा में अपने स्कूल पाठ्यक्रम में प्रमाणपत्र भी हासिल किया है। खट्टर ने बताया कि ‘उपमा’ और ‘उत्तपम’ तमिल व्यंजनों में उनका पसंदीदा भोजन है। यह पहली बार नहीं है जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा को सामने रखा है। इससे पहले वह पोंगल त्योहार के दौरान तमिल में भाषण देकर चर्चा में आए थे।

भारत विविधताओं का देश है, लेकिन एक इकाई के रूप में इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है। लोग आपस में एक अदृश्य अपनत्व से जुड़े हुए है। यहाँ 22 अनुसूचित भाषाएँ है और सभी का अपना अलग ही महत्व है। तमिल भाषा से अपनापन दिखा कर मनोहर लाल खट्टर ने इसी महत्व को देशवासियों के सामने रखने का एक बेहतरीन प्रयास किया है। यह उन लोगों के मुंह पर ज़ोरदर तमाचा है जो भाषा के आधार पर देश को उत्तर और दक्षिण में बांटने का प्रयास करते है।

वामपंथी इतिहासकारों ने सदियों पहले ही से उत्तर और दक्षिण में बांटने काम किया था जिसे अब प्रधानमंत्री मोदी और मनोहर लाल खट्टर जैसे नेता इस दूरी को पाटने का काम कर रहे है। कुछ दिनों पहले जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए थे तब भी पीएम मोदी ने तमिल परिधान में उनका स्वागत किया था। इससे यही स्पष्ट होता है कि वे भारत की सभी परम्पराओं, भाषाओं और संस्कृति का सम्मान करते हैं, उसे वैश्विक स्तर पर लेजाना चाहते है। इससे पहले जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए थे तब भी उन्होंने ह्यूस्टन शहर के स्टेज से संबोधन के दौरान हिन्दी ही नहीं बल्कि पंजाबी, गुजराती और बंगाली सहित 6 भाषाओं को बोल कर भारत की विविधता को विश्व के सामने रखा था। यह देश को एकजुट करने का सबसे अच्छा तरीका है। यही बात हमें अन्य देशों से अलग भी बनाती है क्योंकि हमारे देश में अनेकता में एकता देखने को मिलती है। सदियों से यह देश सैकड़ों भाषाओं, सैकड़ों बोलियां, सह-अस्तित्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहा हैं। भारत की अलग-अलग भाषाएं और उदार एवं लोकतांत्रिक समाज इस देश की पहचान है। मनोहर लाल खट्टर ने इसी विविधता का परिचय देते यह दिखाया है कि यह देश एक है। सभी को सभी का सम्मान करना चाहिए और किसी भाषा को जानने और समझने से दूसरी भाषा का महत्व कम नहीं हो जाता।

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