भारत हमेशा एक हिंदू राष्ट्र था, है और आगे भी रहेगा, यहां रहने वाले सभी लोगों के पूर्वज हिंदू ही थे

भारत

जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारत, हिंदुस्तान, इंडिया यह सुनकर तो आपको समझ आ ही गया होगा कि ये सभी नाम भारत के ही हैं। भारत जैसे अपनी विभिन्नता के लिए प्रसिद्ध है वैसे ही अपने अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। आधिकारिक तौर भारत का नाम “भारत गणराज्य” या “रिपब्लिक ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है। संविधान के अनुच्छेद 1(1) में स्पष्ट लिखा है कि India, that is Bharat, shall be a Union of States. यह एक मात्र ऐसा अनुच्छेद है जो भारत के नाम के बारे में उल्लेख करता है।

हालांकि आजकल देश में एक अलग ही प्रश्न खड़ा हुआ है कि क्या भारत या हिंदुस्तान हिंदुओं का देश है या नहीं? यह सवाल लेफ्ट ब्रिगेड ने जानबूझकर भारतीयों को सांप्रदायिक रूप से बांटने के लिए किया है।

इस देश में आज 80 प्रतिशत हिन्दू रहते हैं। यह जनसंख्या दर 1951 में 84 प्रतिशत थी। कभी भी इस भारत भूमि को हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित किया गया। लेकिन इन्दिरा गांधी ने अपने इमरजेंसी के दौरान भारत को “सेक्युलर राष्ट्र” घोषित कर दिया था। स्वतन्त्रता के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी यही चाहते थे लेकिन अन्य नेताओं के दबाव में वह इस देश को सेक्युलर घोषित नहीं कर पाये थे।

6 दिसंबर, 1948 को संविधान सभा वाद-विवाद भाग एक में उड़ीसा के श्री लोकनाथ मिश्रा ने कहा था, हमारा ‘सेक्युलर स्टेट’ एक अनिश्चित वाक्यांश है, जो इस भूमि की प्राचीन संस्कृति को दरकिनार करता है।” उन्होंने कहा, “इस स्थिति की बेरुखी स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है और यह ड्राफ्ट संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 में प्रकट होती है। क्या हम वास्तव में मानते हैं कि धर्म को जीवन से हटाया जा सकता है? या फिर हम यह मानते हैं कि कई धर्मों के बीच में हम यह तय नहीं कर सकते कि किसे स्वीकार किया जाए? इन सही सवालों को देखते हुए भारत को सेक्युलर राष्ट्र घोषित नहीं किया गया। लेकिन यह सभी को पता था कि भारत आदिकाल से ही हिंदुओं का देश रहा है।

हमारे देश में हिन्दू नाम पर बहुत बड़ा शंसय रहा है आखिर हिन्दू कौन हैं? क्या यह कोई संप्रदाय है यह धर्म है या फिर एक प्रकार से जीवन जीने की शैली?

भारत की लेफ्ट ब्रिगेड और छद्म इतिहासकारों ने धर्म घोषित कर इसे सांप्रदायिक बनाने की भरपूर कोशिश की है और वे इसमें सफल भी रहे हैं। आज कोई भी दूसरा समुदाय अपने आप को हिन्दू नहीं मानता है।

इसे समझने के लिए हमें हिन्दू शब्द के उद्भव पर जाना होगा। हिन्दू शब्द संस्कृत के सिंधु शब्द से लिया गया है, जो सिंधु नदी का स्थानीय नाम है। यह नदी भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में बहती है। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के एक राजा Darius के शिलालेख में यह स्पष्ट तौर मिलता है। Hi [n] dush का उल्लेख पश्चिमोत्तर भारत के लिए मिलता है। भारत के लोगों के लिए हिंदुवां (हिंदुओं) प्रयोग किया गया था। साथ ही 8वीं शताब्दी के “चंचनामा” में भारतीयों के लिए विशेषण के रूप में “हिंदवी” का उपयोग किया गया था। इन प्राचीन अभिलेखों में ‘हिंदू’ शब्द एक जातीय-भौगोलिक शब्द के तौर पर प्रयोग किया गया है न कि एक धर्म के रूप में।

इसी तरह 13 वीं शताब्दी के बाद, “हिंदुस्तान” शब्द का प्रयोग भारत के लिए एक लोकप्रिय वैकल्पिक नाम के रूप में किया जाने लगा, जिसका अर्थ है “हिंदुओं की भूमि”। लेकिन जितने भी आक्रमणकारी भारत आए सभी एक अलग संस्कृति से थे इसलिए उन्होंने हमारी सनातन संस्कृति को “हिन्दू धर्म” कहने लगे। तब से इस सनातन धर्म को हिन्दू धर्म के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। वास्तविकता देखें तो पता चलता है कि जो भी सिंधु नदी के पार रहते हैं वे सभी हिन्दू हैं और ये कोई संप्रदाय नहीं है। यहाँ यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि अंग्रेजी में कहा जाने वाला रिलीजन (Religion) और वेदों में प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द “धर्म” में जमीन आसमान का फर्क है।

आज भारत में सभी धर्म या संप्रदाय के लोग रहते हैं और इस आधार पर देखा जाए तो इस क्षेत्र में रहने वाले सभी हिन्दू ही कहे जाएंगे। चाहे वे सनातन धर्म से हों या मुस्लिम संप्रदाय या अन्य किसी भी धर्म से हों, सभी के पूर्वज एक जमाने में सनातन धर्म के ही अनुयाई थे। बाहरी धर्मों में सबसे पहले इस्लाम भारत में आया था। उम्मयद खलीफा ने डमस्‍कस में बलूचिस्‍तान और सिंध पर 711 ईसवी में मुहम्‍मद बिन कासिम के नेतृत्‍व में भारत पर चढ़ाई किया। तभी से भारत की सनातन संस्कृति का इस्लाम से परिचय हुआ। इसके बाद लगातार हुए आक्रमणों के कारण भारत में इस्लाम रच बस गया। उत्तर-पश्चिम से आई सेनाओं ने भारत में ही डेरा डाल लिया और यहीं के हो गए। इसके बाद भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ और इन दोनों धर्मों ने मिलकर इस देश में धर्म परिवर्तन करवाया। धर्म परिवर्तन करने से किसी का इतिहास नहीं बदल जाता और न ही इसे बदला जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी यह कह चुके हैं कि मुसलमानों को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनके पूर्वज हिंदू थे और यह बात सभी सांस्कृतिक और वैज्ञानिक रूप से साबित भी हो चुका है। इन दोनों यानि भौगोलिक और ऐतिहासिक तथ्यों से यह साबित होता है कि भारत भूमि पर रहने वाले सभी हिन्दू हैं और यह कोई एक धर्म नहीं है। यह एक भौगोलिक पहचान है जिसे सभी भारतीयों को मानना चाहिए।

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