अब वक्त आ गया है कि भारत का ‘वास्तविक इतिहास’ लिखा जाए, अमित शाह ने तो ठान लिया है

अमित शाह

(PC: Twitter)

देश के गृहमंत्री अमित शाह, अपने सख्त अंदाज के लिए जाने जाते हैं। देशहित में कोई भी बड़ा फैसला लेना हो अमित शाह बेबाकी से उस पर अपनी राय रखते हैं। चाहे वह अनुच्छेद 370 की बात हो, तीन तलाक की बात हो, UAPA बिल की बात हो, अमित शाह बेखौफ अंदाज में बोलते हैं। इस बार अमित शाह ने भारत के इतिहास पर खुलकर बयान दिया है। उन्होंने भारतीय इतिहास के पुनरूत्थान का संकल्प उठाया है। अमित शाह ने कहा है कि हमें अब भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास लिखने की जरूरत है। जिससे देश के वास्तविक नायकों को उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिया जा सके।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में  आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी “गुप्तवंशक-वीर: स्कंदगुप्त विक्रमादित्य” का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा, “भारतीय इतिहास का भारत के दृष्टिकोण से पुनर्लेखन होना चाहिए। हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज के संघर्षों का भी कोई शोध ग्रंथ नहीं है, सिख गुरुओं और महाराणा प्रताप के बलिदानों का भी प्रमाणिक ग्रंथ नहीं है, यदि वीर सावरकर न होते तो शायद 1857 की क्रांति का भी कोई इतिहास न होता “।

अमित शाह ने इस कथन  से न केवल वीर सावरकर के आलोचकों को करारा जवाब दिया है, बल्कि उन्होंने सावरकर जैसे क्रांतिकारी देशभक्त के महत्व के बारे में भी लोगों को बताया है। यह विनायक दामोदर सावरकर ही थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को भारत का पहला स्वाधीनता संग्राम बताया था। उनकी पुस्तक, ‘इंडियाज़ वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस’ अंग्रेज़ सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दी गई थी, इस पुस्तक में उन्होंने 1857 की क्रांति का जिक्र किया था।

अमित शाह यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने भारत के इतिहास के पुनरुत्थान के लिए गुप्त वंश के नायक, सम्राट स्कंदगुप्त का उदाहरण देते हुए कहा, ” यह संगोष्ठी एक ऐसे पराक्रमी सम्राट स्कंदगुप्त को फिर से इतिहास के पन्नों पर पुनर्जीवित करने का काम करेगी जिसने न केवल भारतीय सभ्यता, संस्कृति और साहित्य को संरक्षित किया बल्कि भारतवर्ष को अन्यायी हूणों के आक्रमण से बचाते हुए जूनागढ़ से लेकर कंधार तक एक अखंड भारत की रचना की थी”।

शाह ने आगे कहा, “सम्राट स्कंदगुप्त ने न केवल हूणों को भारत से खदेड़ कर अखंड भारत की कल्पना को साकार किया बल्कि देश की एकता व अखंडता बनाए रखने के लिए सत्ता का भी परित्याग किया। पर सम्राट स्कंदगुप्त को इतिहास में उनका उचित स्थान न देकर इतिहासकारों ने ऐसे महान सम्राट के साथ बहुत अन्याय किया है”।

सम्राट स्कंदगुप्त तो मात्र एक उदाहरण हैं। भारत के ऐसे कितने अनन्त वीर हैं, जिन्हें इतिहास में उचित सम्मान नहीं दिया गया। चाहे वे बप्पा रावल हों, या फिर चक्रवर्ती सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड, या फिर मोहम्मद ग़ोरी को परास्त करने वाली गुजरात की वीरांगना नायकी देवी कंदब, या फिर राजपूतानों का खोया गौरव वापस दिलाने वाले वीर योद्धा एवं समाज सुधारक महाराणा हम्मीर ही क्यों ना हों, हमारा वास्तविक इतिहास ऐसे अनेकों वीरों से भरा पड़ा है। इन वीरों को उचित स्थान देने का संकल्प लेकर अमित शाह ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे किन कारणों से इतने कम समय में एक लोकप्रिय जननेता बन गए हैं।

इतिहास के पुनर्लेखन की नींव कुछ हफ़्ते पहले ही पड़ चुकी थी, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत के सीमाओं की इतिहास का पुनर्लेखन करने के लिए कहा था। एएनआई की रिपोर्ट्स के अनुसार- परियोजना के पीछे सरकार का उद्देश्य शहरों और आंतरिक इलाकों के नागरिकों को सीमांत क्षेत्रों की संस्कृति, इतिहास और मानव भूगोल के बारे में जागरूक करना है। जिसमें सीमाओं की पहचान, सुरक्षाबलों और सीमा पर रहने वाले लोगों की भूमिका, उनकी संस्कृति और उनके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

यही नहीं, भारत की सीमाओं का इतिहास लिखने का अपना अलग ही महत्व है। अपनी सीमाओं की तो बात ही छोड़िए, हम भारतीय अपने अधिकांश इतिहास से ही विमुख हो चुके हैं। हम उसी को इतिहास को परम सत्य मान लेते हैं जो वर्षों से हमें कुछ वामपंथी लेखकों एवं विचारकों ने लिखकर थमा दिया है। अरबी और तुर्की आक्रमणों से पहले भारतवर्ष एक विशाल राष्ट्र था, जिसकी सीमाएं पश्चिम में पाकिस्तान से लेकर पूर्व में बांग्लादेश और उत्तर में काराकोरम की चोटियों से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैली हुई थी।

सच कहें तो अब समय आ चुका है कि हम अपने इतिहास के वास्तविक पक्ष से खुद भी परिचित हों, और पूरी दुनिया को भी परिचित कराएं। अमित शाह ने जिस तरह भारतीय इतिहास के पुनरुत्थान की बात कही है, वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की दिशा में एक सार्थक कदम है। वैसे भी, अमित शाह की कथनी पर कोई संदेह नहीं कर सकता, क्योंकि जो वे बोलते हैं, वह वे करके दिखाते हैं, और जो वे नहीं  बोलते हैं, वो वे डेफिनेटली करके दिखाते हैं।

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