‘तुर्की की इकॉनोमी को बर्बाद करना नहीं चाहता, पर मैं यह करूंगा’, ट्रम्प का एर्दोगन को भौकाली पत्र

ट्रम्प

डोनाल्ड ट्रम्प अपने अनोखे और बेखौफ अंदाज के लिए जाने जाते हैं। चाहे वो इमरान खान के पत्रकारों को ट्रोल करना हो या एक भारतीय बच्चे के साथ सेल्फी लेनी हो। वह विश्व के किसी भी नेता से अपनी बात कहने में नहीं हिककिचाते है साथ ही वह ट्वीटर पर भी कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति के नाम एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने अपने बेखौफ अंदाज का परिचय देते हुए यह लिखा था कि उनके जैसा कोई बुद्धिमान नहीं है।

इसी कड़ी में उन्होंने 9 अक्टूबर को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को एक पत्र लिखा था जिसमें उनका भौकाली अंदाज सामने आया है।

दरअसल, पिछले हफ्ते तुर्की के राष्ट्रपति ने ऐलान किया था कि अमेरिका ने उसे सीरिया में फौज भेजने की छूट दे दी है और अब वह सीरिया में अपना ऑपरेशन चलाएगा। हालांकि, तब ट्रम्प ने तुर्की को धमकाते हुए कहा था कि अगर सीरिया में उसने हद पार की तो वह उसकी इकॉनमी को तबाह कर देगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तुर्की के समकक्ष रेसेप तैयब एर्दोगन को इस बार पत्र लिखकर चेतावनी दी थी जो अब सामने आया है।

https://twitter.com/shubh19822/status/1184669604888449024?s=20

ट्रंप ने पत्र में लिखा कि ‘चलो एक अच्छा सौदा करते हैं।” ट्रम्प ने चिट्ठी में एर्दोगन को लिखा, “आप हजारों लोगों के नरसंहार के जिम्मेदार नहीं बनना चाहेंगे और मैं तुर्की की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाला नहीं बनना चाहता। लेकिन मैं यह करूंगा।”

ट्रम्प ने आगे इस पत्र में लिखा है, ‘यह सही समय है आप एक अच्छा सौदा कर सकते हैं। जनरल मजलूम आप से बातचीत करना चाहते हैं। वह रियायतें देने के लिए भी तैयार हैं। आप दुनिया को निराश न करें। आप एक बड़ा सौदा कर सकते है’।

आगे उन्होंने लिखा है, “अगर विवाद का निपटारा मानवतावादी तरीके से हुआ तो इतिहास आपको अच्छे नेता के तौर पर देखेगा। लेकिन अच्छी चीजें नहीं हुईं तो आपको शैतान की तरह याद रखा जाएगा। इसलिए tough guy मत बनो, मुर्ख मत बनो। मैं तुम्हें बाद में फोन करूंगा।”

हालांकि, BBC की रिपोर्ट के अनुसार इस पत्र को एर्दोगन ने dustbin में फेंक दिया। इस पत्र से डोनाल्ड ट्रम्प के भौकाली अंदाज का तो पता चलता ही है, साथ ही उन्होंने इससे ये संकेत भी दिया है कि अमेरिका जब चाहे तुर्की को सबक सीखा सकता है और वो ऐसा करने वाले हैं। इस पत्र को लिखने के बाद भी जब तुर्की नहीं माना और सीरिया में अपने हमले जारी रखा तब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कार्रवाई करते हुए तुर्की पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी।

अमेरिका के राष्ट्रपति ने 15 अक्टूबर को यह जानकारी दी थी कि उन्होंने तुर्की पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश पर साइन कर दिये हैं और इससे तुर्की को बहुत बड़ा झटका पहुंचेगा। साथ ही ट्रम्प द्वारा जारी उनके स्टेटमेंट में लिखा है कि अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने तुर्की के रक्षा मंत्री, आतंरिक मंत्री और ऊर्जा मंत्री को सैंक्शन लिस्ट में डाल दिया है, और डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा को चिट्ठी लिख तुर्की के मामले को नेशनल इमरजेंसी बताया है। ट्रम्प के मुताबिक, अमेरिका तुर्की के साथ चल रही 100 बिलियन डॉलर के व्यापार सौदे पर बातचीत को तुरंत रोक देगा और स्टील टैरिफ को भी 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।

तुर्की के खिलाफ बोलने वाले देशों में सिर्फ अमेरिका, सीरिया और रूस ही नहीं, बल्कि यह लिस्ट बहुत लंबी है। सीरिया पर हमले को लेकर अब तक यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, चीन, जर्मनी, इज़राइल, भारत, यूनाइटेड किंगडम और डेनमार्क जैसे देश तुर्की की निंदा कर चुके हैं। साफ है कि तुर्की सीरिया पर हमला करके पूरी दुनिया के निशाने पर आ गया है।

हालांकि, तुर्की के बुरे दिन शुरू हो चुके है। लेकिन ट्रम्प ने अपने उस पत्र के माध्यम से यह दिखा दिया कि “अमेरिका फ़र्स्ट” से सामने शिष्टाचार कुछ भी नहीं है। उन्होंने इस पत्र से अपनी भौकाल को ही दिखाने की कोशिश की है जो एक विश्व के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का होता है।

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