फ्रांस की धरती पर आप भारत के खिलाफ जहर नहीं उगल सकते, फ्रांस ने POK के राष्ट्रपति का कार्यक्रम रद्द किया

फ्रांस

भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद पाक लगातार कश्मीर मुद्दे को लेकर अंतराष्ट्रीय मंच पर झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर जगह से पाक को मुंह की खानी पड़ रही है। पड़ोसी देश एक बार फिर अपना झूठ दुनिया के मंच से फैलाने की तैयारी में था लेकिन भारत की कूटनीतिक चाल ने उसके मंशूबों पर पानी फेर दिया। दरअसल, पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के कथित राष्ट्रपति मसूद खान फ्रांस के संसद के लोअर हाउस में एक कार्यक्रम करना चाहते थे, जिसे भारत ने अपने कड़े विरोध से रोक दिया है और इस तरह से भारत को एक और कूटनीतिक जीत मिली है।

ANI की रिपोर्ट्स के मुताबिक POK के कथित राष्ट्रपति मसूद खान फ्रांस के संसद में चीफ गेस्ट के तौर पर एक कार्यक्रम में शिरकत करना चाहते थे। जिस पर फ्रांस में भारतीय मिशन ने कड़ी आपत्ति जताई और फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय को एक पत्र भी लिखा। फ्रांस में भारतीय दूतावास ने पत्र में लिखा- ‘इस तरह के निमंत्रण से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा क्योंकि पीओके सहित जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है।’

इस पत्र के बाद फ्रांस ने POK के कथित राष्ट्रपति को कार्यक्रम में आने से मना कर दिया जिसके बाद मसूद खान की जगह पाकिस्तान के राजनयिक मोइन-उल-हक इस कार्यक्रम में शामिल हुए। यह कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लॉप रहा। इसमें उपस्थित लोगों में से अधिकांश पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी थे।

बता दें कि फ्रांस का भारत से गहरा संबंध रहा है। फ्रांस एक ऐसा यूरोपीय शक्ति है जो भारतीय पक्ष का हर मंच से समर्थन करता आया है। इससे पहले फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने पर भी भारत का समर्थन किया था। वहीं कश्मीर मुद्दे चीन जब अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा था तब फ्रांस ने ही चीन की हरकतों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। फ्रांस के वैश्विक कद और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को देखते हुए, भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर इसका समर्थन करना बेहद महत्वपूर्ण कदम ही माना जाएगा। इसके अलावा NSG यानि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में सदस्यता के लिए भारत का साथ देना हो, या यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए हमारे देश की लॉबिंग करनी हो, फ्रांस ने हर बार हमारे देश का ही समर्थन किया है।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि फ्रांस भारत के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक है। फ्रांस और भारत दशकों से रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों में एक दूसरे के साथ रहे हैं। भारत फ्रांसीसी रक्षा निर्यात के लिए सबसे बड़े बाजार में से है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, तो अमेरिका ने भारत को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इसके बाद यूरोपियन यूनियन द्वारा भी भारत को ब्लैकलिस्ट किए जाने की मांगे उठाई जा रही थी। उस वक्त फ्रांस ने खुलकर हमारे देश का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर कोई भी देश इंडिया को ब्लैकलिस्ट करने का प्रस्ताव लेकर आता है तो वह उस पर वीटो कर देगा।

वहीं फ्रांस और भारत हमेशा आंतरिक मामलों पर एक साथ नजर आते हैं। पाक इससे पहले अमेरिका की मदद से कश्मीर के मुद्दे को अतंर्राष्ट्रीय बनाना चाहता था और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी इसमें आगे-आगे कूद रहे थे। उस दौरान वे कई गैर जिम्मेदाराना बयान भी दिए जिसमें उन्होंने कई बार कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कही। हालांकि भारत ने हर बार उनके बयान को नकार दिया। इसके विपरीत, फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा था कि वह इमरान खान से द्विपक्षीय रूप से इस मुद्दे को हल करने के लिए कहेंगे। मैक्रॉन ने पहले कहा था, “मैं कुछ दिनों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से भी बात करूंगा और उन्हें सलाह दूंगा कि वार्ता द्विपक्षीय रूप से होनी चाहिए।”

अगर पिछले एक महीने के दौरान पाक की हरकतों पर नजर डाली जाए तो साफ पता चलता है कि उसे विश्व के हर मंच से भारतीय कूटनीति द्वारा मात मिली है। हाल ही में पाक के पीएम इमरान खान ने UNGA  में भारत व कश्मीर के खिलाफ ऐसी नकारात्मक व कुंठा भरी भाषण दी, जिसे सुनकर दुनियाभर में उनकी आलोचना हो रही है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भेंट के दौरान भी उन्हें काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी, जब ट्रंप ने पीएम मोदी के कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ को एक सफल आयोजन बताया और इसके साथ ही पाक पत्रकार द्वारा कश्मीर मुद्दे पर बेतूका सवाल पूछने के लिए इमरान को फटकार भी लगाई।

भारत के कूटनीतिक प्रयासों का ही असर है कि पाक आज विश्व के हर मंच पर बेबस नजर आ रहा है। जहां भी अपना कश्मीर राग अलापता है वहां से उसे धक्के खाने को मिलते हैं। इस बार फ्रांस ने फिर से पाक को उसकी हैसियत बता दी है कि उसके लिए वह भारत के सामने बिल्कुल तुच्छ है। भारत उसका सदाबहार मित्र है और वह अपने संबंधों में उचित-अनुचित अच्छी तरह समझता है।

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