भारत को 18 वर्षों में पहली बार आयात करना पड़ा कॉपर, कारण- स्टरलाइट प्लांट का बंद होना

स्टरलाइट

(PC: Business Today)

विदेशो से फंड किए जाने वाले कुछ तथाकथित पर्यावरणविदों और NGO अक्सर ही भारत के विकास के कार्यों में टांग अड़ाते रहते हैं। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन फर्जी पर्यावरणविदों की वजह से भारतीय विकास दर पर 2 से 3 प्रतिशत का नकारात्मक असर पड़ा है। तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने का मामला इस कड़ी में सबसे ताज़ा उदाहरण है। दरअसल, अब भारत 18 वर्षो के बाद रिफाइंड कॉपर के आयातक देशों में शामिल हो गया है। केयर रेटिंग के मुताबिक तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने के चलते भारत को इसके आयात की जरूरत पड़ी है। रेटिंग एजेंसी केयर ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 तक भारत कॉपर कैथोड का शुद्ध निर्यातक हुआ करता था, लेकिन स्टरलाइट प्लांट के बंद होने से स्थिति बदल गई है। भारत के कुल कॉपर निर्यात में स्टरलाइट कॉपर यूनिट कंपनी की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हुआ करती थी, लेकिन इसके बंद होने के बाद अब भारत को कॉपर जापान, कांगो, सिंगापुर, चिली, तंजानिया, यूएई और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आयात करना पड़ रहा है।

बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत के कॉपर निर्यात में 87.4 फीसद की गिरावट दर्ज की गई, वहीं इसी अवधि के दौरान आयात में 131.2 फीसद का इजाफा हुआ। वर्ष 2013-14 से लेकर वर्ष 2017-18 तक भारत में कॉपर उत्पादन लगभग 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। हालांकि, वर्ष 2019 में यह उत्पादन एकदम 46 प्रतिशत गिर गया। तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट प्लांट के बंद होने के चलते लगभग 4 लाख टन कॉपर का उत्पादन खत्म हो गया। इससे पहले देशभर में कुल 10 लाख टन कॉपर का उत्पादन होता था। भारत अपने कॉपर का अधिकतर निर्यात चीन और वियतनाम जैसे देशों में करता है। भारत का कॉपर बढ़िया क्वालिटी का होने की वजह से चीनी बाज़ार में इसकी बहुत मांग है और इसकी वजह से चीनी कंपनियों को भारतीय कंपनियों से कड़ी टक्कर मिलती है।

बता दें कि महीनों लंबे चले विरोध प्रदर्शनों के बाद तमिलनाडु सरकार ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से वेदांता ग्रुप को तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट प्लांट को सील करने का आदेश दिया था। आदेश में पर्यावरण और पानी को लेकर बनी राज्य की नीतियों का हवाला देते हुए कहा गया था कि जनहित को देखते हुए इसे हमेशा के लिए बंद किया जाना चाहिए। कुछ एजेंडावादी पर्यावरणविदों ने तब इस प्लांट के खिलाफ जमकर हिंसक प्रदर्शन करवाए थे जिनमें दर्जनों लोगों की जान तक चली गयी थी। माना जाता है कि इन प्रदर्शनों को चीनी कंपनियों और विदेशी एनजीओ द्वारा फंड किया जा रहा था। इतना ही नहीं, इन प्रदर्शनों में नक्सलियों ने भी प्रदर्शन किया था। कुछ प्रदर्शनकारियों के तार तो कमल हासन और चर्च से जाकर मिल रहे थे। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार एक प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 20 हजार लोगों का हुजूम एक चर्च के पास एकत्र हुआ था और फिर जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ चल पड़ा था। प्रशासन ने पहले से ही प्लांट के आसपास धारा 144 लगा रखी थी। लोगों से कहा गया कि वे वापस लौट जाएं। वो नहीं माने और उन्होंने रास्ते में आने वाले सरकारी दफ्तरों व वाहनों को जमकर निशाना बनाया, और तो और हिंसक प्रदर्शनकारियों ने बैंकों को भी नहीं बख्शा।

केंद्र सरकार को अब स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी राज्य सरकार ऐसे देश के हित के खिलाफ किसी उद्योग को बंद करा दे। हर फैसले से पहले देश का हित देखा जाना चाहिए। बता दें कि NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से तूतीकोरीन में स्थित वेदान्ता स्टरलाइट कॉपर प्लांट को दोबारा चालू करने के आदेश पारित हो चुके थे। हालांकि,  सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के फैसले पर रोक लगा दी थी। अब यह देखना होगा कि भारत सरकार इस बंद पड़े प्लांट को लेकर क्या कदम उठाती है ताकि भारत की अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान की भरपाई जल्द से जल्द हो सके।

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