बीते 4-5 वर्षों में भारत ने विश्व में अपनी छवि एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित की है। अपने विदेशी संबंधों से और रक्षा क्षेत्र में नए तकनीक की खरीद से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है। इसी क्रम में देश के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू कोमरोस और अन्य अफ्रीकी देशों के आधिकारिक दौरे पर जा रहे हैं। लेकिन सबसे पहले यह जानना होगा कि आखिर यह देश कहां है और भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
कोमोरोस पश्चिमी हिंद महासागर में मौजूद चार द्वीपों और कई छोटे टापूओं का समूह है। कोमोरोस द्वीपसमूह की कुल जनसंख्या सात लाख से ज्यादा है और यहां के लोगों की मुख्य आर्थिक गतिविधियों में कृषि शामिल है। ये फसलें घरेलू उपभोग और निर्यात दोनों के लिए उगाई जाती हैं। कोमोरोस परफ्यूम बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल यलांग-यलांग का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा वैनिला बनाने वाले देशों में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
परन्तु यह भारत की दृष्टिकोण में क्यों महत्वपूर्ण है? आपको बता दें कि यह द्वीप देश विश्व में भारत के लिए आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में पकड़ को और मजबूत करने के लिए एक अहम कड़ी साबित हो सकता है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि वेंकैया नायडू भारत के पहले सीनियर लीडर हैं जो इस द्वीप की यात्रा पर जा रहे हैं। उनकी यात्रा से कोमोरोस भी खुश नज़र आ रहा है और भारत के साथ संबंध बढ़ाने को आतुर दिखाई दे रहा है। भारत ने सकारात्मक तरीके से जवाब दिया और अब उप राष्ट्रपति स्वयं वहां जा रहे हैं। मोजाम्बिक चैनल के इन “वैनिला द्वीप” पर भारत की निगाहें होंगी जो भारत के रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। बता दें कि कोमोरोस मोजाम्बिक चैनल के उत्तरी छोर पर स्थित है जो चैनल को नियंत्रित करने के लिए एक प्रभावी आधार प्रदान करता है।
अब हिन्द महासागर के द्वीपीय देश भी महासागर क्षेत्र में अपनी महत्ता समझने लगे हैं और अब उन्हें यह पता है कि विश्व की महाशक्तियों की सुरक्षा रणनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। ये द्वीप देश अब अपने आप को विशाल महासागर में भूमि के एक मात्र टुकड़े के रूप में नहीं देखते हैं बल्कि इन द्वीप देशों में से कुछ तो खुद को बड़ा “महासागर राज्य” कहने लगे हैं। ये वो देश हैं जिन्हें उपयुक्त रूप से विशाल एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन (EEZ) का नाम दिया गया है, जिसके लिए वे UNCLOS (United Nations Convention for the Law of the Sea) के तहत हकदार हैं।
बता दें कि वेनिला द्वीप में भारतीय हिन्द महासागर के कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, मैयट, रीयूनियन, और सेशेल्स शामिल हैं और यह सभी मोजाम्बिक चैनल के आसपास भौगोलिक रूप से स्थित है। इस प्रकार इन सभी द्वीपों का अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार के संबंध में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान है।
भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर के निर्माण के कारण वेनिला द्वीप समूह ने अपने रणनीतिक महत्व को खो दिया था। हालाँकि, एशियाई महाशक्ति जैसे चीन, जापान और भारत के उभरने के साथ ही वैनिला द्वीप के देशों का एक बार फिर से सामरिक महत्व बढ़ गया है। इन एशियाई शक्तियों की विश्व में आर्थिक उन्नति के लिए अफ्रीकी संसाधन महत्वपूर्ण हैं। नए उभरते भू-राजनीतिक समीकरणों में, ये द्वीपीय देश अपने नए रणनीतिक महत्व को पहचान रहे हैं और इसलिए विश्व की उभरती शक्तियों के साथ भागीदारी के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
भारत का कोमोरोस के साथ रिश्ते को मजबूती देने का निर्णय एक महत्वपूर्ण समय में आया है जब चीन भारत के पड़ोसी देशों में मिलिट्री बेस बनाकर समुद्र के रास्ते भारत को घेरने के लिए ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ जैसी योजना पर काम कर रहा है। हालांकि, भारत ने भी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपो और देशों में अपनी जल सेना का बेस बना कर मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत ने अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और विशेष रूप से हाल के दिनों में, भारत और चीन के हिंद महासागर क्षेत्र में उपस्थिति के लिए ‘चीन-भारतीय प्रतियोगिता’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
वास्तव में अगर देखा जाए तो हिंद महासागर के माध्यम से यात्रा करने वाले जहाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले संकीर्ण समुद्री चोकपॉइंट्स को नियंत्रित करने के लिए नई दिल्ली की लंबे समय से महत्वाकांक्षा है। इस रणनीति में एक ट्राई सर्विस कमांड अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की स्थापना करना इसका एक उदाहरण है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का स्ट्रेट के एक छोर पर स्थित है और इसलिए भारत अब इसे रणनीतिक रूप से उपयोग करने की ओर देख रहा है। वहीं जब बात होर्मुज स्ट्रेट (Strait of Hormuz) की होती है, जिसे दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण आयल चोकपॉइंट्स भी कहा जाता है, उसके लिए भारत ने पहले ही ओमान में ड्यूक के बंदरगाह पर अपनी धमक दे दी है जिसका उपयोग सैन्य उद्देश्यों और सैन्य सहायता के लिए किया जा सकता है।
साथ ही चाहाबार बंदरगाह, भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिती को विस्तार देने का मौका देता है। बता दें कि यह चाहाबार पोर्ट ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन्दरगाह है जिसके विकास में भारत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ के पास फ्रांस के कब्जे वाले जिबूती पर भी भारत का एक्सेस भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
और अब मोजाम्बिक चैनल में वैनिला द्वीप के देशों के साथ अपने रिश्तों को बढ़ा कर भारत पहली चाल चलने वाला देश बन गया है जिससे स्पष्ट रूप से अब वह लाभ की स्थिति में आ गया है।
भारत वैनिला द्वीपों में दो द्वीपों पर अपनी पकड़ बनाने की दिशा में काम कर रहा है और वह द्वीप हैं मॉरीशस में अगालेगा (Agalega) और सेशेल्स (Seychelles ) में एजम्प्शन आईलैंड (Assumption Island) । सेशेल्स में मार्च 2016 से तटीय रडार चालू है और इस द्वीप देश ने भारत को पिछले साल द्वीप पर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की भी अनुमति दी है, जो दर्शाता है कि भारत रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप देश के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में सक्षम है। मॉरीशस के डिएगो गार्सिया (Diego Gracia ) में स्थित अमेरिकी बेस के उपयोग पर छूट मिलने से इस रणनीतिक लाभ को और बढ़ावा मिला है। वहीं भारत और फ्रांस के बीच एक लॉजिस्टिक एक्सचेंज समझौते को अंतिम रूप देने से पूर्व में रीयूनियन द्वीप तक पहुंच प्राप्त हो जाएगी, जो कि वेनिला द्वीप में एक फ्रांस अधिकृत द्वीप है। उत्तरी मेडागास्कर में भारत की विदेशी धरती पर पहली लिसनिंग पोस्ट (listening post) और रडार सुविधा भी स्थापित की गयी है जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की अपनी उपस्थिति और स्थिति दोनों को और मजबूत मिली है।
कोमोरोस के साथ भारत के इस जुड़ाव से, भारत सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए मोजाम्बिक चैनल में अपनी सामरिक पकड़ को मजबूत करेगा और वेनिला देशों के साथ जुड़ाव भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक बड़ा रणनीतिक लाभ देगा।