उम्र 36 साल, 3 बच्चों की मां और वर्ल्ड चैंपियनशीप में 8 पदक, दुनिया की सबसे सफल महिला बॉक्सर मैरी कॉम

मैरी कॉम, बॉक्सिंग

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एमसी मैरी कॉम ने रचा इतिहास

उम्र 36 साल, 3 बच्चों की मां, उनके सामने रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता इंग्रीट वेलेन्सिया, फिर भी एमसी मैरी कॉम ने हार नहीं माना और रच दिया एक ऐसा इतिहास जिसे आने वाली आने वाली पीढ़ियां वर्षों तक याद करेगी। दरअसल, भारत की स्टार बॉक्सर एमसी मैरी कॉम ने वर्ल्ड चैंपियनशीप में गुरूवार को इतिहास रच दिया। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में एमसी मैरी कॉम ने कोलंबिया की मुक्केबाज इंग्रीट वेलेन्सिया को 5-0 से हराकर अपना एक मेडल पक्का कर लिया है।

मौजूदा विश्व चैंपियनशिप के पहले राउंड में एमसी मैरी कॉम को बाई मिला था जबकि दूसरे राउंड में उन्होंने थाईलैंड की मुक्केबाज़ जुतामस जितपोंग को 5-0 से हराया था, इस जीत के साथ ही मैरी कॉम ने विश्व चैंपियनशीप में 8 पदक जीतने का इतिहास भी रच दिया है। यह रिकॉर्ड बनाने वाली एमसी मैरी कॉम दुनिया की पहली महिला बॉक्सर बन गई हैं।

क्वार्टर फाइनल में रोचक मुकाबला और मैरी का पंच

क्वार्टर फाइनल में मैरी कॉम ने शुरुआत अच्छी की और एक दूरी बनाते हुए दाएं जैब का इस्तेमाल किया। साथ ही मैरी दाएं हाथ से हुक भी लगा रही थीं जिसमें उन्हें महारत हासिल है।

हल्के से बदले हुए स्टांस के साथ खेल रही मैरी बीच-बीच में विपक्षी खिलाड़ी को चकमा देकर बाएं जैब से सटीक पंच लगाने में भी सफल रहीं।  उनकी विपक्षी मैरी की रणनीति समझ रही थीं और इसलिए वह भी सावधानी के साथ खेल रही थीं। मुकाबले के आखिर में दोनों खिलाड़ी आक्रामक हो गईं।

दूसरे दौर में दोनों मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन मैरी अपनी विपक्षी से थोड़ा निकल गईं, वह इंगोट के पास आते ही हुक का अच्छा इस्तेमाल कर रही थीं और इसी वजह से वह इंगोट पर हावी रहीं। तीसरे दौर में भी मैरी ने यही किया और आखिरकार इंगोट को मात दीं।

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मैरी अब गोल्ड जीतने की बारी

सेमीफाइनल शनिवार को खेला जाएगा जिसमें एमसी मैरी कॉम का मुकाबला तुर्की की बुसेनाज काकीरोग्लूकी से होगा, यह मुकाबला 51 किलोग्राम भार में होगा। बता दें कि बुसेनाज यूरोपियन चैंपियनशीप और यूरोपियन गेम्स की मौजूदा चैंपियन हैं। दोनों ही महिला बॉक्सरों में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। पूरे भारत की नजर सातवें गोल्ड पर रहेगी।

मैरी कॉम की ऐतिहासिक उपलब्धियां

एमसी मैरी कॉम छह बार विश्व चैंपियन का ख़िताब अपने नाम कर चुकी हैं जबकि एक बार उन्होंने रजत पदक जीता था। मैरी कॉम ने 51 किलोग्राम भारवर्ग में अपना पहला विश्व चैंपियनशिप पदक जीता है।

विश्व चैंपियनशिप के अलावा एमसी मैरी कॉम ओलंपिक में कांस्य, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी एक-एक स्वर्ण पदक अपने नाम दर्ज कर चुकी हैं। विश्व चैंपियनशिप में आठ पदक जीतने वाली मैरी कॉम दुनिया की पहली मुक्केबाज़ हैं। उन्होंने साल 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 में स्वर्ण पदक जीते हैं।

दुनिया की सबसे सफल मुक्केबाज

विश्व चैंपियनशिप में 8वां पदक पक्का करने के साथ ही एमसी मैरी कॉम दुनिया की सबसे सफल मुक्केबाज बन गई हैं। पदक जीतने के मामले में मैरी कॉम ने पुरुष और महिला दोनों ही वर्गों में सबसे सफल मुक्केबाज होने का गौरव प्राप्त की हैं।

क्यूबा के पुरुष मुक्केबाज फेलिक्स सावोन के नाम सबसे ज्यादा 7 पदक जीतने का रिकॉर्ड था। मैरी कॉम पिछली बार चैंपियनशिप के क्वार्टरफाइनल में हारकर मेडल जीतने से चूक गई थीं। 51 किलोवर्ग में यह उनका पहला पदक होगा।

टोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारी

मैरी कॉम कहती हैं कि उन्हें उन्हें आज भी ओलंपिक में स्वर्ण पदक ना जीत पाने का मलाल है। वे पहले 48 किलोग्राम वर्ग के मुक़ाबलों में हिस्सा लेती थीं लेकिन ओलंपिक में 51 किलोग्राम भार वर्ग से ही मुक़ाबलों की शुरुआत होती है। इस वजह से उन्होंने अपना वज़न बढ़ाकर 51 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लेना शुरू किया।

अब एमसी मैरी कॉम का लक्ष्य अगले साल टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। अगर मैरी कॉम मौजूदा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लेती हैं तो टोक्यो ओलंपिक में उनके क्वालिफ़ाई करने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

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