श्रीलंका के क्रिकेटरों के लिए 2009 के उस आतंकी हमले को भुला पाना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा, जिसमें ऑटोमैटिक हथियारों से लैस 12 आतंकियों ने श्रीलंकाई टीम को पाकिस्तान के लाहौर के गद्दाफ़ी स्टेडियम ले जा रही बस पर हमला कर दिया। इस हमले में छह पुलिस कर्मी और दो नागरिकों की मृत्यु हुई, जबकि सात श्रीलंकाई खिलाड़ी घायल हो गए थे। घबराए हुये श्रीलंकाई खिलाड़ी जिस तरह से अपनी जान बचाकर हेलीकॉप्टर में सवार हो रहे थे, उन तसवीरों ने पूरे क्रिकेट जगत को झकझोर कर रख दिया था।
ऐसे में आईसीसी ने सीरीज़ से पहले एक सेक्युरिटी रिव्यू की मांग की, और उनकी मांग के अनुसार मेहमान टीम यानि श्रीलंका को राष्ट्राध्यक्ष के स्तर की सेक्युरिटी दी जानी चाहिए थी। परंतु ढंग की सुरक्षा प्रदान करने के बजाए पाकिस्तानी प्रशासन ने पूरी व्यवस्था को एक भयंकर युद्ध अभ्यास में परिवर्तित कर दिया। पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर अपने आप को रोक न सके और इसी बात पर उन्होने चुटकी लेते हुये ट्वीट पोस्ट की, जिसमें उन्होने कहा, “इतना कश्मीर किया कि कराची ही भूल गए” –
Itna Kashmir kiya ke Karachi bhool gaye 👏👏😀 pic.twitter.com/TRqqe0s7qd
— Gautam Gambhir (Modi Ka Parivar) (@GautamGambhir) September 30, 2019
इस ट्वीट के माध्यम से गौतम गंभीर ने एक वीडियो फुटेज शेयर की, जिसमें श्रीलंकाई टीम को सुरक्षा वाहनों के भारी भरकम दस्ते के साथ स्टेडियम ले जाया जा रहा था, जिसपर अपने व्यंग्यात्मक ट्वीट के जरिये उन्होने ये सवाल उठाने का प्रयास था, “क्या यह सब वाकई में उतना आवश्यक था?” यदि इतनी भारी सुरक्षा के साथ खिलाड़ी जाएँ, तो उनका खेल पर ध्यान कम लगेगा, और उन्हें हमेशा हमले की चपेट में आने का डर सताता रहेगा।
शायद इसीलिए इतने तामझाम के बाद भी श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष शम्मी सिल्वा खुश नहीं थे। उनके अनुसार होटल में रुकना और सड़कों के बंद होने की प्रतीक्षा करना आसान नहीं था। सीलॉन डेलि न्यूज़ को दिये उनके बयान के अनुसार, “खिलाड़ियों को होटल में रुकना पड़ा था। मैं तीन चार दिनों तक होटल के रूम में कैद रहकर थक गया था। अब हमें खिलाड़ियों और सहायक स्टाफ से बात करनी पड़ेगी, क्योंकि हम जानना हैं कि इससे टेस्ट सिरीज़ पर कितना असर पड़ा है”।
सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण श्रीलंका के 10 प्रमुख खिलाड़ी इस टूर में भाग ही नहीं ले रहे थे। इस टीम के साथ बोर्ड अध्यक्ष, सेक्रेटरी और श्रीलंका के खेल मंत्री भी पधारे थे। अपनी दोयम दर्जे की टीम भेजने के बाद भी श्रीलंका ने पाकिस्तान की टी20 टीम को 3-0 से हराया। मजे की बात तो यह है कि पाकिस्तान आईसीसी टी20 के रैंकिंग में अव्वल स्थान पर है। यह घर से दूर श्रीलंका द्वारा किसी अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय टी20 सीरीज़ में पहली क्लीन स्वीप भी है।
यूं तो श्रीलंका को दिसंबर में पाकिस्तान के साथ एक टेस्ट सीरीज़ भी खेलनी है। पर अगर बोर्ड अध्यक्ष सिल्वा की माने तो बोर्ड को पहले सभी खिलाड़ियों से अनुमति लेनी पड़ेगी, क्योंकि उनके होटल में कैद रहना बिलकुल भी आसान नहीं होगा। उनके अनुसार, “पाकिस्तान श्रीलंका को अपनी टीम भेजने के लिए काफी आभारी होगी। पर हमें ये देखना होगा कि क्या वहाँ टेस्ट मैच खेलना उपर्युक्त होगा, क्योंकि वो पाँच दिनों के लिए होंगे और खिलाड़ियों को होटल में रुकना पड़ेगा”।
बोर्ड अध्यक्ष का यह बयान पीसीबी के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा, जो इस टूर का फायदा उठाकर श्रीलंकाई टीम के साथ आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के दो टेस्ट मैच खेलना चाहती है। पीसीबी चाहती है कि पाकिस्तानी सुपर लीग का पाँचवाँ संस्कारण पूरी तरह से उनके देश में खेला जाये, और साथ ही साथ वे बांग्लादेश को भी पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज़ हेतु आमंत्रित करना चाहती है।
सुरक्षा कारणों से दुनिया के सभी बड़े क्रिकेट देशों ने पाकिस्तान का दौरा करने से मना किया है। चूंकि देश में अंतर्राष्ट्रीय खेल नहीं हो रहे, इसलिए पाकिस्तान ने यूएई में अपने घरेलू मैच कराने का प्रयास किया, परंतु स्थान में परिवर्तन से उनके दर्शक नहीं बढ़े, जो एक अच्छा व्यूइंग अनुभव तो बिलकुल नहीं देता। अभी हाल ही में सम्पन्न हुये सीरीज़ में भी आधे से ज़्यादा सीटें स्टेडियम में खाली पड़ी थीं, ऐसे में पाकिस्तान में क्रिकेट वापस लाने का कोई फ़ायदा नहीं दिखता। जब दर्शक ही रुचि न लें, तो ज़बरदस्ती क्रिकेट को निमंत्रण देने का क्या लाभ?