PAK सेना ने अपने हाथ में ली अर्थव्यवस्था की कमान, कुछ ही दिनों में हो सकता है तख्तापलट

जिसका डर था वही होने जा रहा है। पाकिस्तान की सेना अब तख्तापलट करने के लिए तैयार है। या यूं कहें पाकिस्तान में तख्तापलट के 20 साल बाद, आज भी वही स्थिति बनती हुई नजर आ रही है जहां पाकिस्तान के एक और प्रधानमंत्री को फौज के कोपभाजन का शिकार होना पड़ सकता है। बस अंतर यह है कि इस बार तत्कालीन पाक आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ की जगह बाजवा हैं और और नवाज शरीफ की जगह वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान हैं।  दरअसल, सेना की 111वें ब्रिगेड की छुट्टियां रद्द कर दी गयी हैं और सेना प्रमुख कमर बाजवा सेना की वर्दी से सिविल सूट-बूट में आ चुके है तथा उन्होंने देश के बड़े व्यापारियों से मीटिंग की।

दरअसल, पाकिस्तान के बड़े बिजनेसमैन इमरान खान की नीतियों और पाकिस्तान की वैश्विक बेइज्जती से परेशान चल रहे हैं, इसी वजह से अब कमर बाजवा ने उनकी परेशानी जानने का प्रयास किया। कमर बाजवा अक्सर सेना की वर्दी में ही नज़र आते हैं, लेकिन यहां वह वर्दी नहीं बल्कि सूट-बूट में बैठक करते नज़र आए। हालांकि, अर्थव्यवस्था में पाक सेना के सीधे दखल के बारे में बहुत कम ही सुनने को मिला है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाजवा ने ये बैठकें पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची और रावलपिंडी के आर्मी हाउस में की। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बैठक बिना इमरान खान के बिना ही सम्पन्न हुई।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने गुरुवार को इस बैठक की जानकारी दी और एक प्रेस नोट जारी किया। इस प्रेस नोट के अनुसार, ‘पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा उसके व्यापार से जुड़ी है, इसी वजह से आज सेना प्रमुख ने देश के बड़े व्यापारियों के साथ बैठक की’।

पाकिस्तानी सेना पर भी खराब आर्थिक हालत का असर देखा जा रहा है। पिछले एक दशक में पहली बार सेना के खर्चों में कटौती का ऐलान किया गया है। ऐसे में सेना को भारत व अफगानिस्तान से लगती सीमा पर चौकसी रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के ऊपर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दोगुना चीन का कर्ज है। हाल में ही आई रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है। ये पिछले कुछ दशकों में पहली बार ही हो रहा है कि किसी सेनाध्यक्ष ने प्रत्यक्ष तौर से अर्थव्यवस्था पर हस्तक्षेप करने फैसला किया है। यह तो सभी को पता है कि पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था पर सेना का कंट्रोल ही रहता है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से। पाकिस्तान की सेना अब पाकिस्तान के सभी क्षेत्रों जैसे व्यापार, आर्थिक नीतियों और सेव क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप कर रही है।

वहीं ‘द वीक’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल बाजवा के आदेश पर यहां की 111 ब्रिगेड की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। इन दोनों घटनाक्रम को देखते हुए पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका स्पष्ट होती जा रही है। पाकिस्तान में 111 बिग्रेड का ही इस्तेमाल हमेशा से तख्तापलट करने में किया जाता रहा है, सभी सैनिकों को गुरुवार शाम तक वापस ड्यूटी पर पहुंचने के लिए कहा गया है। पाकिस्तानी सेना की 111 ब्रिगेड रावलपिंडी में तैनात रहती है और ये पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर की गैरिसन ब्रिगेड है। इस ब्रिगेड का इस्तेमाल इससे पहले हुई लगभग हर सैन्य तख्तापलट में किया गया है, इसलिए इसे तख्तापलट ब्रिगेड भी कहते हैं।

बता दें कि इस्कंदर मिर्जा के खिलाफ भी जनरल अयूब खान के तख्तापलट में 111वीं ब्रिगेड में शामिल थी। साथ ही, जनरल जिया-उल-हक के जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार खिलाफ और परवेज मुशर्रफ के नवाज शरीफ शासन के खिलाफ तख्तापलट में शामिल थी। गौरतलब है कि यह वर्तमान में प्रधानमंत्री और इस्लामाबाद क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है।

एक साल पहले ही सेना की मदद से सत्ता में आये इमरान खान एक प्रधानमंत्री के तौर पर पूरी तरह से विफल रहे हैं। इन हालातों में उन पर भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का काफी दबाव है, चूंकि पाकिस्तान तंगहाली से गुजर रहा है ऐसे में भारत के साथ युद्ध करने की क्षमता उसमें नहीं है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की केवल बेइज्जती ही करवाई है। एक दो देशों को छोड़ दें तो कोई भी देश पाक के समर्थन में नहीं है। कई अवसरों पर खुद इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकवादियों को ट्रेनिंग की बात स्वीकारी है, ये भी स्वीकार किया है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठन मौजूद हैं और आतंकवाद को वित्तपोषित किया जाता है। पाकिस्तान के अंदर भी इमरान खान के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं लोग विरोध प्रदर्शन तक कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना भी इमरान खान के असफल नेतृत्व से तंग आ चुकी है। ऐसे में यह स्थिति पाकिस्तानी सेना द्वारा तख़्तापलट के लिए बिल्कुल अनुकूल है। पाकिस्तानी सेना के इतिहास को देखें तो तख़्तापलट करके वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अपने देश की जनता को यह कह सकेंगे कि प्रधानमंत्री को उनके कमजोर नेतृत्व की वजह से हटाया जा रहा है और सेना अब भारत के खिलाफ बड़ी कारवाई करेगी।

बता दें कि, इमरान खान पहले प्रधानमंत्री नहीं होंगे जो पाकिस्तानी सेना द्वारा बलि का बकरा बनेंगे। इससे पहले पाकिस्तान में 3 बार सेना तख्तापलट चुकी है।

वर्ष 1958 में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को भंग कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू कर आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंप दी थी। 13 दिन बाद ही अयूब खान ने तख्तापलट करते हुए देश के राष्ट्रपति को पद से हटा दिया था।

इसके बाद वर्ष 1977 में पाकिस्तान का दूसरा तख्तापलट आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक द्वारा किया गया था। जिया उल हक ने 4 जून 1977 को देश के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को पद से हटा दिया था। इस तख्तापलट को ‘ऑपरेशन फेयर प्ले’ के नाम से भी जाना जाता है।

वर्ष 1999 में भी आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलटते हुए तत्काल प्रभाव से सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सरकार ने इस तख्तापलट को रोकने की पुरजोर कोशिश की थी। आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ को पद से बर्खास्त करने के साथ-साथ श्रीलंका से आ रहे उनके विमान को पाकिस्तान में न उतरने देने की शरीफ सरकार की प्लानिंग धरी की धरी रह गई। इससे पहले ही मुशर्रफ के वफादार सीनियर ऑफिसर्स ने 12 अक्टूबर 1999 को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया था। इतिहास को देखते हुए यह संभावना है कि अगर लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो पाकिस्तानी सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा इमरान खान को बलि का बकरा बना देंगे और पाक की बागडोर अपने हाथों में ले लेंगे।

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