ऐसा लगता है कि पाकिस्तान सबसे ‘विफलतम देश’ का टैग लेने के लिए दृढ़ है। इमरान खान ने जैसा वादा किया था कि वह पाकिस्तान को नया पाकिस्तान बना देंगे वैसा होता नहीं दिखाई दे रहा। हां, वह पाकिस्तान की सेना के सबसे बड़े कठपुतली जरुर बनते जा रहे।
हाल की घटनाओं ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है। ऐसे में इमरान खान पाकिस्तान में जबरदस्त राजनीतिक विरोध का सामना कर रहे हैं। इस बीच जिस तरह का परिदृश्य पाकिस्तान में इन दिनों देखने को मिल रहा है, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि इमरान खान अपने विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए उन्हें मीठा जहर खिलाकर मारने का षड्यंत्र कर रहे हैं। ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे, दरअसल, आसिफ अली जरदारी और नवाज शरीफ हिरासत में रहते हुए बीमार हो चुके हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। आश्चर्य की बात यह है कि इन दोनों की बीमारी और उसके लक्षण एक समान है।
बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी है और दूसरी तरफ वो चीन की बदौलत FATF ब्लैकलिस्ट होने से बच गया है। फिर भी इमरान खान अपनी आवाम का ध्यान बटाने के लिए अलग-अलग प्रकार के खेल खेल रहे है और बयान दे रहे है। देश में मुद्रास्फीति ने दोहरे अंकों की संख्या पार कर ली है। पाकिस्तान में भूखमरी की स्थिति अधिक दूर नहीं दिखाई दे रही है। लंबे समय तक पीड़ित रहने के कारण पाकिस्तान के नागरिकों में अशांति और गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसी कारण पाकिस्तान के विपक्ष ने इमरान खान और उनकी सरकार पर अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है और उनके इस्तीफे की मांग की है।
लेकिन इसके उलट इमरान खान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और शाहिद खाकान अब्बासी, मरियम नवाज और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ ऐ जरदारी सहित अपने सभी विरोधियों को जेल भेज दिया है। इमरान खान सरकार पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता आसिफ अली जरदारी और पूर्व पीएम और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया है। और फिर यह खबर आई कि इन दोनों ही नेताओं की तबीयत खराब हो रही है। दोनों विपक्षी नेताओं के ब्लड प्लेटलेट काउंट में अचानक और गंभीर गिरावट दर्ज की गयी है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वे क्रमशः अदियाला और लाहौर की जेल में बंद थे।
शनिवार को नवाज शरीफ को दिल का दौरा पड़ा था। वह इस समय लाहौर के सर्विस अस्पताल में भर्ती हैं। वह एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है। इस बीमारी के कारण उनका प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से नीचे गिर रहा है।
अब इन दोनों मामलों को शरीफ के बेटे हुसैन ने यह दावा कि उनके पिता को जेल में जहर दिया गया है। अब शरीफ की बेटी मरियम को भी उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनके रक्तचाप में गिरावट दर्ज की गयी थी।
मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो अब नवाज शरीफ का प्लेटलेट काउंट “16,000 से 2,000 पर पहुँच गया है। नवाज शरीफ की हालात बेहद नाजुक है और वह जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन डॉक्टर यह पता नहीं कर पा रहे हैं कि नवाज की बीमारी का मुख्य कारण क्या है। ऐसी ही स्थिति आसिफ अली जरदारी के साथ भी बनी हुई है। हालांकि, प्लेटलेट की गिनती बढ़ने और रक्तचाप स्थिर होने के बाद जरदारी के स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। परन्तु इन दोनों की तबियत का इस तरह से खराब होना और एक ही लक्षण दिखाई देना कई सवाल खड़े करता है।
यह नोट करना ज़रूरी है कि जरदारी और शरीफ दोनों को जेल में घर का खाना खाने की अनुमति नहीं थी। जेल प्रशासन और सरकार पूरी तरह से उनके स्वास्थ्य और रखरखाव के लिए जिम्मेदार थे, इसका मतलब स्पष्ट है कि जेल में इन दोनों को लेकर लापरवाही बरती गयी या उन्हें खाने में कुछ ऐसा दिया गया जिसने दोनों को बीमार करना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि अब दोनों ही अस्पताल में हैं और एक ही बीमारी से जूझ रह हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि इन विपक्षी नेताओं को ज़हर दिया गया था। पूर्व आंतरिक मंत्री और पीएमएल-एन के महासचिव अहसान इकबाल ने आरोप लगाया कि डॉ. अदनान (शरीफ के चिकित्सक) के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद एनएबी के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और उनकी मेडिकल रिपोर्ट डस्टबिन में फेंक दी। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पीटीआई ने अपने राजनीतिक विरोधियों के साथ गंदा रवैया अपनाया है। वहीं एक अन्य पीपीपी नेता, खुर्शीद शाह को सीने में दर्द की शिकायत के बाद एक अस्पताल में भर्ती कराया है। वह भी जेल में बंद थे।
अगर हम हाल में हुई इन घटनाओं को देखें तो यह एक पाकिस्तानी के लिए काफी चिंताजनक है क्योंकि इमरान खान पाकिस्तानी सेना से समर्थन पाने के लिए निरंकुश शासन कर रहे है।
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब विपक्ष इमरान खान के इस्तीफे की मांग के लिए ‘आजादी मार्च’ का आयोजन कर रहा है। यह मार्च इसलिय आयोजित की गयी है क्योंकि पाकिस्तान में खाद्य असुरक्षा का खतरा बढ़ रहा है और पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में खाद्य कीमतों में 15% से अधिक की वृद्धि हुई है।
यह बहुत बड़ी बात है कि पाकिस्तान में दो सबसे बड़े जन समर्थन आधार वाले दो नेताओं के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार ने अपने टीवी एंकरों को ‘व्यक्तिगत राय’ देने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और उन्हें सिर्फ मॉडरेटर तक सीमित रहने को कहा गया है।
इससे स्पष्ट है कि इमरान खान और कुछ नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना की कठपुतली बनकर रहे गये हैं, जो पाकिस्तान को गर्त में धकेलते जा रहे हैं। हालांकि, पूर्व में जरदारी और शरीफ दोनों ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया है लेकिन इमरान खान बिल्कुल ही सेना के सामने नतमस्तक हो चुके हैं। जिस तरह से अब वह अपने विपक्षियों के साथ व्यवहार कर रहे हैं यह अन्य नेताओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अगर वह नवाज शरीफ़ और जरदारी को मारने का प्रयास कर सकते है तो वह अन्य नेताओं का भी यह हश्र कर सकते है।